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Parasram Arora

कोई  पुरखो को   पानी  पहुंचा  रहा हैँ  कोइ गंगाओ मे  पाप  धो रहा हैँ   कोई  पथर की प्रतिमाओं  के सामने  बिना भाव  सर  झुकाये बैठा हैँ 
धर्म  के  नाम पर  हज़ार  तरह  की मूढ़ताएं  प्रचलन मे हैँ धर्म से  संबंध तो   तब होता हैँ जब  आदमी  जागरण की  गुणवत्ता  हासिल कर लेता हैँ  
जहाँ  जागरण  होगा  वहा अशांति  कभी  हो ही नहीं सकती  
क्यों कि  जाग्रत  आदमी  विवेकी  होता हैँ      इर्षा  क्रोध  की  वृतियो  से  ऊपर  उठ  चुका होता हैँ औदेखा  जाय तो  धर्म औऱ  शांति पर्यायवाची  शब्द  हैँ धर्म  औऱ  शांति...... पर्यायवाची  शब्द हैँ

धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ

11 Love

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प्रभाकर अजय शिवा सेन

जग की पर्यावाची मघा😁😁😁😂😄😅

©प्रभाकर अजय शिवा सेन जग का पर्यावाची 

#Roses

जग का पर्यावाची #Roses

8 Love

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brijesh mehta

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©brijesh mehta
  प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द नहीं है, 
दुनिया में!

प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द नहीं है, दुनिया में! #Life

286 Views

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Parasram Arora

ये माना क़ि  
कंचन कामिनी  तुम्हे  भरमाये रखती है 
कीर्ति की  गुदगुदी  तुम्हारी चेतना  को  सुलाए रखती है 
ये और भी अच्छा है  क़ि  काल  का. चक्र 
तुम चलता हुआ कभी देख नहीं पाते 
क्यों क़ि  सुषुप्ति तुम्हारी तुम्हे  निस्सीम अनंतता को 
देखने नहीं देती 
जिस दिन खुलेगी   आँख और  जागरण का  बढ़ेगा भार 
तुम्हे लगेगा  जो कुछ पाया  व्यर्थ   था  वो 
क्योंकि चेतना का 'अधिकांश '  उस दरमियान   था  सोया हुआ # चेतना का अधिकांश

# चेतना का अधिकांश

13 Love

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Parasram Arora

खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

पर्यायवाची...... #शायरी

7 Love

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manoj kumar jha"Manu"

धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम।
धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।।

सुधा दे रही है वसुधा हमें तो,
भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।।

"भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"*
वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।।
(स्वरचित)
* माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
(अथर्ववेद १२/१/१२)

 धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा।
इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।

धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।

0 Love

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Jogendra Singh writer

आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची  क्या है
Answer in comment section

©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची

#Light

nojoto ka पर्यायवाची #Light

19 Love

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anil.gangwar.1994000

इंसानियत में यादि समानता है।
तो धर्म की भिन्नता का कोई मूल्य नहीं।।।।
@gangwar anil

©anil.gangwar.1994000 सकारात्मक चेतना का अनोखा क़दम।

#Corona_Lockdown_Rush

सकारात्मक चेतना का अनोखा क़दम। #Corona_Lockdown_Rush #विचार

16 Love

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Ek villain

भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान निर्माताओं ने सैकड़ों वर्ष की अवधि परमपिता और दास्तां को मिटाकर भारतीय राजनीति के एक सर्वप्रिय और विशेषकर शुरू प्रदान करने की भी कोशिश की है उसे गणतंत्र दिवस पर गहराई से समझना आवश्यक है कुछ कम्युनिस्ट्स विचारों को ने धर्म को मजाक के सामर्थ्य मानने की भूल करते हुए सनातन धर्म के सरस्वत मानवीय मूल्यों को शंकर ने दृष्टि से समझने का जो कार्य किया है उसे मिटाते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय जीवन पद्धति को धर्म का मूल मानते हुए राष्ट्रीय के कल्याण के लिए उनका सूत्र वाक्य में प्रयोग किया है और धर्म शब्द की वास्तविकता संज्ञा की यूरोपीय विचारक और वामपंथी इतिहासकार भारत के जीवन दर्शन की गहराई तथा थावे नाम ना सके और उसे स्वतंत्र भारत निर्मित चिंतकों और पूर्णता करने में काम किया गया उसके रुख को स्पष्ट किया इसी कारण धर्म चक्र परिवर्तन को भारत संसद की परिणति के रूप में स्वीकार किया गया तो भारत की न्यायपालिका की 1 धर्म रक्षित रक्षित भारतीय संविधान की मूल प्रति में जिनसन के चित्रों का उपयोग हुआ है वह भारतीय संस्कृत से ही लिए गए हैं परंतु दुर्भाग्य हमारे संविधान का मूल स्वरूप आम लोगों को सहज उपलब्ध नहीं है संविधान का जो पाठ बाजारों में उपलब्ध है उसमें से वह संकेतिक चित्र नहीं दिए होते संविधान के किस भाग में भारतीय नागरिकता का उल्लेख है उसी भाग का 12 में वैदिक काल के गुरुकुल से किया गया है ऐसे गुरुकुल जहां वैदिक उपनिषदों का पाठ हो रहा है और हवन भी हो रहा है वैदिक ऋषि द्वारा जाने वाला यह हवन ही भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को बताने के लिए पर्याप्त है

©Ek villain # राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है सविधान

#RepublicDay

# राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है सविधान #RepublicDay #Society

8 Love

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Vimlesh Miledar Saroj

शर्दियों में सबसे खूबसूरत दोपहर का पहर होता है,
गाँव के हर एक घर में एक छोटा सा शहर होता है।
बड़ी होशियारी से संभल कर रहना मेरे यारों,
क्योंकि,गैरों से घातक अपनों का ज़हर होता है।

       -सरोज #चेतना
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CHARCHIL DIARY....

इतना संघीन पाप कौन करे..
मेरे दुख पर विलाप कौन करे...
चेतना मर चुकी है लोगो की...
पाप पर पश्चियाताप कौन करे....

©CHARCHIL DIARY....
  #चेतना
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Chetna Vinay Tiwari

मैं "चेतना"
न जाने कितने लोगों की
 "प्रेरणा"

०७-०७-२०२३

©Chetna Vinay Tiwari #चेतना
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Harry

चेतना

चेतना #Thoughts

187 Views

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Mahima Jain

•| पर्यायवाची कविता |•

' गर्व ' जिसको करना था,
' घमंड ' था उसने कर लिया।
' मान ' सम्मान सब मिट गया,
' अहंकार ' भी चकनाचूर हुआ।।
 मेरी पहली पर्यायवाची कविता। ❤️
शब्द - अहंकार
पर्यायवाची - गर्व, घमंड, मान

____________________________________________
Challange done for -

मेरी पहली पर्यायवाची कविता। ❤️ शब्द - अहंकार पर्यायवाची - गर्व, घमंड, मान ____________________________________________ Challange done for - #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #hindmaahi #prantimahima #pranti2021 #prantitask3 #meriparyayvachikavita

0 Love

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brijesh mehta


प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं, 
दुनिया में!

यह अकथनीय है,
इस अवस्था का वर्णन असंभव है।











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©brijesh mehta
  प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं, 
दुनिया में!

यह अकथनीय है,
इस अवस्था का वर्णन असंभव है।

#मंमाधन

प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द ही नहीं, दुनिया में! यह अकथनीय है, इस अवस्था का वर्णन असंभव है। #मंमाधन #Life

27 Views

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Parasram Arora

मेरी चेतना का ऊपरी  भाग सुशुप्त है
इसीलिए मुझे निस्सीमता कही नजर नहीआ रही थीं ......
ज़ो समृद्धि मैंने  अर्जित की थीं
उसमे मेरी  कोई दिलचस्पी भी नही थीं
हाँ कीर्ति का तापमापक यंत्र गुदगुदाता है अवश्य  मुझे
और इसीलिए मेरी बची खुची चेतना. भी.
भाव विभोर हो जाया करती थीं.
अब  मेरी चेतना  में  कभी जागरण  हो पायेगा..भविष्य में . इसकी कोई सम्भावना भी मुझे 
 दिख नही रही थीं

©Parasram Arora चेतना और जागरण
चेतना और जागरण

चेतना और जागरण चेतना और जागरण #कविता

10 Love

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kishori jha

 पर्यावाची  स्वाद #yemausam

पर्यावाची स्वाद #yemausam #Thoughts

81 Views

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ShadoW

कुछ दर्दों की दवाएं ना होती,
अगर दुनिया में माँएं ना होती...

©ShadoW माँ...हर दवा का पर्यायवाची है...
#maa #Mother #viral #thought #Feeling 

#MothersDay

माँ...हर दवा का पर्यायवाची है... #maa #Mother #viral #thought #Feeling #MothersDay #विचार

10 Love

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निशब्द

उजाले का पर्यायवाची.... #Life #Life_experience #Motivational #Hindi #Nojoto #yqdidi #yqbaba #yqaestheticthoughts #Light

उजाले का पर्यायवाची.... Life #Life_experience #Motivational #Hindi #yqdidi #yqbaba #yqaestheticthoughts #Light #विचार

27 Views

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Sneh Prem Chand

जगत चेतना

जगत चेतना

27 Views

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Harshvardhan Sharma Sharma

राष्ट्र चेतना

राष्ट्र चेतना

256 Views

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SHANU KI सरगम

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©SHANU KI सरगम जन चेतना

जन चेतना #कोट्स

26 Love

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Bheem Bheemshankar

मानव चेतना

जब शरीर साथ छोड़ देता है तो मानो भी अपना रुख मोड़ लेता है मानव अपनी आवश्यकताओं में विलय हो कर आपने
आप से ही मुख
मोड लेता है

©Bheem Bheemshankar
  मानव चेतना

मानव चेतना #विचार

27 Views

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Parasram Arora

आज  जिस  चीज  की  सबसे ज्यादा कमी.. हैँ 
वह  हैँ  मानव चेतना 
बाकी  सब  कुछ  अपनी जगह  पर  हैँ  लेकिन  
इंसान अपनी जगह पर नहीं  हैँ 
अगर  इंसान अपनी  ख़ुशी क़े रास्ते  मे  खुद  ही 
रुकावट  बनना   बंद  कर दे. तो 
 दुनिया  मे  हर  दूसरा  समाधान  मौजूद  हैँ 
मनुष्य को .  रूपांतरण  किये बिना  आप   इस   भृमित   दुनिया  का  रूपांतरण   नहीं  कर 
सकते मानव  चेतना.......

मानव चेतना.......

10 Love

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Anand Mishra

मेरी तसल्ली के चिराग की घड़ियां ऐसी हैं,
कोई चेतना उभरी,कोई बन्द सी हैं,
बहुत शोर है कि सुन नही पाता,
या निकलती आवाज ही मन्द सी है?

©Anand Mishra मेरी चेतना

मेरी चेतना

10 Love

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डॉ.अजय कुमार मिश्र

भूधर के चोटी पर बैठें हिमखण्डों के द्रविता से,
 नित सजीव होती पृथ्वी सदा प्रवाहित सरिता से।

सागर भी हर्षित होते निर्झरिणी स्रोत समागम से,
 नित अनुशासन में रहते तरंगिणी के अभिवादन से।

वायु उदधि के जलकण को कर मुक्त छारियता से,
मेघ रूप पर्णित होते ज्वार तरंग सहारा से।

आज प्रकृति हो रही रुष्ट मानवता के दुस्साहस से, 
हिमखण्ड हो रहे अनियमित प्रदूषित जलवायु से।

चलो करें संरक्षण अब जलवायु  प्रदूषण से,
बहुत कर लिए हम सब दोहन प्रकृत संचित संसाधन से।

©डॉ.अजय मिश्र प्रकृति चेतना!

प्रकृति चेतना! #विचार

74 Love

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Tushar Mishra

शीर्षक - चेतना #

शीर्षक - चेतना # #कविता #nojotovideo

311 Views

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Bharat Bhushan pathak


शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो।
है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो।
प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो।
अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं।
समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही।

©Bharat Bhushan pathak
  #achievement 

शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो।
है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो।
प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो।
अचेतना में चेत

#achievement शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेत #Poetry

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