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Deepali Singh

राज के राज़

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राज के राज़
ऊँचे पहुँच की कद जो पा ले
क्या शर्म लाज हया उसे भाये
अश्लीलता को तख़्त पे बिठाये
ऊँचे हस्ती के नाम में अकड़े
गर राज गहरे कोई जो खोले
ये रूपये का कद उसको औंधे
सच झूठ के मिलाये मसले में
ज़मीर अपने वो रौंद के चलते
पर वक़्त कहा बख्शे किसको
सामने लाये दबाये किस्से को
नग्न हुआ इस सख्श को देखो
हारकर खुद से जिस्म ज़ुए में
बयान खोखले वो किसको देंगे
आया सामने जो कैसे छिपेगा 
है जो नहीं वो कैसे दिखेगा
दिखाया है जो वो है ही नही
छिपाया गया सब कहीं न कहीं
दिल में दबाये धंधे के काज़ को
संगिनी है उसकी हमराज़ जो
पर्दे पर दिखता था जो राज वो
क्यूँ छिपाये है पीछे अब खुद को
दूर कहाँ तक वो दौड पायेगा
मुह खुद से क्या चुरा पायेगा
गंदे धंधे अपने कहाँ दफ़नायेगा
क्या नग्नता अपनी ढँक पायेगा?

©Deepali Singh राज के राज़

K.L. SONKAR

बारिश के लोकगीत----- 'सौमित्र' #SantaNojoto #शायरी

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Alka Jain

बारह भावना, राजा राणा छत्रपति हथियन के असवार

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Kusum Tiwari

लोकगीत

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रौशन कुमार प्रिय

मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वनआयो बरसाने की गुंजरिया दाधी बेचन जाए,
वात मिले बनवारी
कर लियो बोआय कर लियो बोलय
बैठ कदम के छाइयां
रे दोना बनवाए ,दोना दोना दाढ़ी बांटे
दाढ़ी दियो लुटाए दाढ़ी दियो लुटाए 
ताहि समय हरी आयो
मोहन नंदलाल...

होली न खेले श्यामरो आपन सासुराय 
भर पिचकारी मारे
हो रंग उरे गुलाला रंग उडे गुलल
बेला फुले चमेला
जूही कांचनर
फुलवा लोरहे मलिनिया
गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया
हो जसोदा जी के लाल
जसोदा जी के लाल

ताहि समय हरी आयो 
मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो

हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो उपद पहाड़ गरमो हवा
हो नीचे बराय दुकान बाराय नाय कट्रे पनवा
रस बीड़ा लगाए रस वीडा लगाय
बीड़ा न खा है कन्हैया
जसोदा जी के लाल , जसैदा जी के लाल
ताहि समय हरी आयो
मोहन बंद लाल

तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा
धोलाक धुधू आय बाजे  सरियांगिया रों य रों य
हो रस बजे सितार रस बाजे सितार
ताहि समय हरी आयो
मोहन नंदलाल #लोकगीत

रौशन कुमार प्रिय

मोहन नंदलाल "बरसाने"वन आयो 
मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो 

अहो बरसाने की गुंजरिया दधिया बेचे जाए,
वाट मिले बनवारी
हो,"कर" लियो बोलाय , "कर" लियो बोलय
बैठ कदम के छइयां
रे "दोना" बनवाय,दोना - दोना दधी बांटे
हो दधी दियो लुटाय ,दधी दियो लुटाय
ताहि समय हरि आयो
मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो....२

होली न खेले श्यामरो, आपन ससुरार 
भर पिचकारी मारे
हो, रंग उरे गुलाल, रंग उरे गुलाल
बेला फुले चमेला ,
जूही कंचनार ,
फुलवा लोरहे मलिनिया 
हो, गूथे नंदलाल, गूथे नंदलाल
माला पिन्हे कन्हैया
हो जसोदा जी के लाल
जसोदा जी के लाल
ताहि समय हरि आयो
मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो-२

हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , 
हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा,
हो नीचे बरय दुकान, बरय नय कतरय पनमा
रस बीड़ा लगाय, रस बीड़ा  लगाय
बीड़ा न  खा हय कन्हैया
जसोदा जी के लाल , जसोदा जी के लाल
ताहि समय हरि आयो
मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो

तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा
ढोलक धुधूआय ,बाजे सरंगिया  रोंय रोंय
हो रस बजे सितार, रस बाजे सितार
ताहि समय हरी आयो
मोहन ननंद लाल बरसाने वन आयो
मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो #लोकगीत
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