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दि कु पां
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् । वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 5 ॥ गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा । सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 6 ॥ गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् । दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 7 ॥ गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा । दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 8 ॥ अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 1 ॥ वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं
Azaad Pooran Singh Rajawat
अंधेरी रात का आसमान भी अच्छा लगता है चांद ना सही तो क्या सितारों का सौंदर्य भी सुहाना लगता है रात ना होती तो राहत ना होती सुकून भरी नींद ना होती मधुर मधुर स्वप्न ना होते दिन ना होता तो चाहत ना होती बिन चाहत के न कर्म होता, न प्रीत होती ©Azaad Pooran Singh Rajawat #मधुर मधुर स्वप्न ना होते#
shubham jain *parag*
रचयिता :- डॉ. राज कुमार "राज" उदयपुर (राज.) "जलवा रोशनाईयाँ" =============== रूहें जुबां यह मेरी जिंदगी की गज़ल रंगे महफिल में मुस्कानों के फसाने भी है, गहराते घने बादल बिजली के सितम यूँ सैलाबों में जो डूब गया यादों का खजाना है, पीना जीना है कशिश रश्में रिवाज़ सनम खलीश नशेमन की चिलमन में मर जाना है, दामन रूठां है शाकी फिर आगोश में लो हां हमसफर तनहाई तो मौत का हुआ बहाना है, सदमे से लड़खड़ा गई आशियाने की दास्तां ज़ख्म ज़िंदा हरा नासूर ज़िंदगी अब दिखावा है, लम्हें भी दर्द मंद हालातों के हुए शिकार गम से मेरी गुफ़्तगू ज़िक्र अफ़सोस का आमादा है, इंतज़ार की घड़ियों में उलझी कश्ती की मंज़िलें सात समंदर की जद्दोजहद कोशिशें किनारा है, गर्दिशों के तूफ़ान भी नज्म मेरी औ सुख़न देखी कहर की तस्वीरें दरियाँ में आंसू जियादा है, लो अंधेरों के शहर में एक और भटका राहगीर हाथों में चराग रोशन कितना काबिल ज़माना है, फिर भी बड़ी अड़चने मेरी राहों में हमदम इस मासूम नज़र को तो बला से गुजर के जाना है, कुदरत का किस्सा क्या आसां रिश्ता भुलाना ये दिल जिसे सींचता धड़कता नजराना है, उल्फत के फ़रिश्ते एक दिन सितारों में आबाद नज़ारा फलक का 'राज' रूहानी जमीं पर जलवा रोशनाईयाँ है।। #पराग
Ashutosh Wankhade
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो राह पाने के लिए पागल तो है पर मंजिल मिलती नहीं । मंजिल ना मिलने से अक्सर वह भटक ही जाते हैं कुछ पल के लिए पर हारते नहीं हारना मजुर नहीं।
Pradyumn awsthi
जीवन का सबसे मधुर,आनंददायक,यादगार और सबसे ज्यादा खुशी देने वाला समय - बचपन,बचपन की यादें और नानी दादी की वो मजेदार कहानियां जिनको सुनकर मन आनंद की मस्ती में झूम उठता था ©"pradyuman awasthi" #मधुर बाल्यावस्था
Parasram Arora
क्या ये जरूरी है क़ि मखमली गद्दों पर सोने वालों को ही हक मिले मधुर स्वप्न देखने का? और क्या ये जरूरी है क़ि वे जो नंगी ज़मीन पर सोने वाले अभावग्रस्त बेघर लोग मधुर स्वप्न. देखने की गलती कर बैठें तो क्या उनके लिए कोई सख़्त सज़ा का प्रावधान होना चाहिए? ©Parasram Arora # मधुर स्वप्न
Parasram Arora
मीठी थीं ज़ो स्मृतिया अचानक एक दिन कढ़वड़ाहट से भर गईं थी. पर ये तो शोध का विषय था कदाचित सहेजी गयी इन मधुर मीठी स्मृतियों की श्रखला में कुछ कड़वी अनुभूतियों की कोशिकाये उछल कर भावुक ह्रदय की सख्त कुण्डीयों को खोल कर उन सन्दरभों का सन्देश दे रही थी ज़ो कुछ बचपन कुछ यौवन काल. की उपलब्धियों से संबंधित थी जिन्हे वो उन क्षणों को पुनः जीने क़े लीए छटपटा रही थी ©Parasram Arora मधुर स्मृतिया.....