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Farhan Raza Khan
तेरे लिवास की खुशबू हमे हमारे शहर के इत्र के कारखानों से ज़्यादा महक दार लगती है।। TERE LIWAS KI KHUSHBU HUME HUMARE SHEHAR KE ITR KE KARKHANO SE ZADA MAHEK DAAR LAGTI HAI... तेरे लिवास की खुशबू हमे हमारे शहर के इत्र के कारखानों से ज़्यादा महक दार लगती है।। TERE LIWAS KI KHUSHBU HUME HUMARE SHEHAR KE ITR KE KARKH
MANJEET SINGH THAKRAL
असल क्रांतिकारी सेनाएं गाँव और कारखानों में हैं, यानी किसान और मजदूर। लेकिन हमारे पूंजीपति नेता उन्हें कभी संगठित नहीं करेंगे। एक बार ये सोये हुए शेर जाग गए फिर तो ये पूंजीवादी नेताओं के लक्ष्य से भी बहुत आगे निकल जायेंगे...। - भगत सिंह ©MANJEET SINGH THAKRAL असल क्रांतिकारी सेनाएं गाँव और कारखानों में हैं, यानी किसान और मजदूर। लेकिन हमारे पूंजीपति नेता उन्हें कभी संगठित नहीं करेंगे। एक बार ये सोय
Bhupendra Rawat
शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ ''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और लिख दिया गया ''हिंसा परमो धर्म'' छोड़ दिये गए मानव जाति के अवशेष अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए संग्राहालय हथियारों की उपज के लिए बनाए गए कारख़ाने कारखानों में एक ओर भरा गया लाल स्याह मज़दूर दूसरी ओर से निकाला गया आमजन का रक्त भुपेंद्र रावत 27।02।2022 ©Bhupendra Rawat शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ ''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और लिख द
ck bable
"बच्चों का हक " 👨👩👧..................................👨👩👧 शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ खाना- पीना कपड़ा लत्ता , सब सरकार उपलब्ध कराएगी ! बाल श्रम कानून कहता है, चौदह वर्ष तक के बच्चें कल कारखानों आदि कहीं भी ,काम नहीं कर सकते । इसी तर्ज पर 14 वर्ष तक के बच्चों को सरकारी बस- ट्रेन... आदि सभी जगहों पर टिकट नहीं लगना चाहिए था। क्या हमारा देश अपने बच्चों के लिए इतना भी नहीं कर सकता है। क्यूँकि चौदह वर्ष तक के बच्चों का टिकट लेना यह व्यवहार हमें अंग्रेजों सा लगता है! ©ck bable "बच्चों का हक " 👨👩👧..................................👨👩👧 शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ खान
Akib Javed
टेढ़े मेढ़े रास्तो पर सोंधी मिट्टी, नदी तालाब,कुंओ पर खेत,खलिहान में लहलहाते पेड़ उसके पत्ते करते है बाते आपस में आते है काम हम मानव के, निर्लिप्त है मनुष्य दोहन में सुख़ भौतिक भोग में नही परवाह प्रकृति की न ही उसे भविष्य की एकत्र कर रहा कार्बन छा रहा धुंध कार्बन का हम ही फैला रहे कार्बन धरा पर फैक्ट्री,कारखानों भौतिकता में लिप्त हरी-भरी धरा को काला करने में तुले नही बचेगी ऑक्सीजन कार्बन ही कार्बन का भविष्य और बचेगी ये धरा मोल में मिलेंगी ऑक्सीजन,फिर सब रह जायेगा धरा पे धरा का धरा!! -आकिब जावेद #NojotoQuote टेढ़े मेढ़े रास्तो पर सोंधी मिट्टी, नदी तालाब,कुंओ पर खेत,खलिहान में लहलहाते पेड़ उसके पत्ते करते है बाते आपस में
अविनाश कुमार
“ इंसान बनाम सरकार ” ( रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ) “ इंसान बनाम सरकार ” . इंसान हौसलों और जज़्बातों से चलता है, नासमझ जानवर चलते हैं शोर व भीड़ के हिसाब से
Anupama Jha
कभी धुआँ हमें कभी हम खुद धुएं से खुद को मार रहे, न कोई शक्ल इसकी न मजहब कोई सब इसके प्रभाव में आ रहे है। कभी कश लगाते सिगरेट की, धुएं को अपने फेफड़ो में पाल रहे है, हाथों में सिगरेट नही ,मौत का धुआँ हम फैला रहे हैं। कारखानों से उठता धुआँ गाड़ियों से निकलता धुआँ आकाश में फैलता धुआँ हम निगल रहे उसे या हमारे को निगलता धुआँ? न शक्ल कोई,न आवाज़ कोई अदृश्य ,निशब्द सा हमारे से लिपटता धुआँ। कर रही तबाह ज़िन्दगी धुआँ बस अखबारों की सुर्खी धुआँ, हम ही शिकार ,हम ही शिकारी हम ही जिम्मेदार इसके साफ करना भी हमारी जिम्मेदारी धुएँ में मिलने से पहले कुछ तो साफ कर लें धुआँ... अनुपमा झा #धुआँ #YoPoWriMo #YQdidi #YQbaba कभी धुआँ हमें कभी हम खुद धुएं से खुद को मार रहे, न कोई शक्ल इसकी न मजहब कोई सब इसके प्रभाव में आ रहे है।