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देसी Swag
बाप मरई अन्हियारे और बेटवा का नाम Power House ©देसी Swag ताऊ जी कहिन 😭😭 #Pubgbanned
BIPIN TIWARI 'Masoom'
आज फिर बड़े सादगी और सलीके से मिला है वो, लगता है कल रात अपने केंचुल को उतारा था। नेता जी कहिन... #yqbaba #yqdidi #yqbipin #yqquotes #yqthoughts #yqhindi #yqsahitya #yqrajneeti
Divyanshu Pathak
बाहर बिल्कुल नहीं निकलना है ! बस घर में रह कर ही बच सकते हो, यह सूत्र श्रीमान “उल्लू” तक को समझ आ गया है ! बस इनके “पट्ठों” को और समझ आ जाए तो देश बच जाएगा ! 🇮🇳🙏 डॉ कुमार विश्वास कहिन....😂 #StayHomeStaySafe : 😂 भारतीयों के रगों में जिंदादिली और ख़ुश मिज़ाजी ही बहती है। युद्ध का मैदान हो या इश्क़ का तूफ़ान । : ये पाठक जी कहिन...😝 :
(विद्रोही जी).!!
बेनोक भाई
Harsh Yaduvanshi
मुझे झूठे से सच्चा होना सीखा दे रे, मुझको भी तुझ जैसा रोना सीखा दे रे... तू लोगों से कहता है कि ना तू है बेवफ़ा, मैं हूं बस ख़ुदग़र्ज़ और मैं ही हूं बेवफ़ा, मैं हूं पहले से बदनाम तू और करा दे रे, मुझको भी तुझ जैसा रोना सीखा दे रे... -यादवजी कहिन 🙃🙃🙃😅🙃🙃🙃 मुझे झूठे से सच्चा होना सीखा दे रे, मुझको भी तुझ जैसा रोना सीखा दे रे... तू लोगों से कहता है कि ना तू है बेवफ़ा, मैं हूं बस ख़ुदग़र्ज़ और मै
राजेश कुशवाहा 'राज'
!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1 आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल। कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल। हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल। कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।। एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल। का कही फेर आपन हालत, जाने हर माई के लाल।। फेर हमहूं चलि दिहन बंजारे, फटफटिया लै तत्काल। सगल बजारे खुब ढूंढन पै, आलू मिली न लाल।। फेर त हमहूं फोन लगायन, कहन बजारे के हाल। तब बताइन कि आलू लई लेई, उज्जरि होई या लाल।। एतने तक त ठीक रहा पै, आगे बढ़ी बवाल। जब कहिन की बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।। आगे कहिन बनाउब पापड़, जीरा सौंफ सब डाल। दाना साबुन वाला लेआउब, नही घर में गली न दाल।। एतना कहिके काटि दिहिन, फेर फोनबा उ तत्काल। तब हमहूं सामान लिहन, औ घर पहुंचन तत्काल।। नाश्ता पानी दिहिन नही, पहिलेन करिन सवाल। लइ आयन की नही बताई, साबुन आलू औ रंग लाल।। हमहूं रहन मनइ मन गुस्सा, चेहरा पड़ा रहा सब लाल। दिहन सामान पटकि मूड़े म, फेर भगन दूर तत्काल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।। ----कुशवाहाजी ©राजेश कुशवाहा !!मलकिनिया के पापड़!! आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
राजेश कुशवाहा 'राज'
--------- मलकिनिया के पापड़------- -------------भाग-2--------------- ---------बघेली रचना क्रमांक-3------ आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। आगे का सुनि लेई हाल, भगन दूर वहां से तत्काल। सोचन पहिले जान बचाई, नही त मचि जई तुरत बवाल।। पै जब उ सामान दिखिन, तब आबा हमरउ खयाल। नाश्ता पानी सब लइ आईं, फेर मत पूछी हाल।। बड़े प्रेम से उ बोलिन, पूछिन एक ठे सवाल । पहिले पापड़ कि चिप्स बनाई, चलिन उ फेर से चाल।। हमहूं त कम नही रहन, समझि गयन तत्काल। सोचन पुनि कुछ बाति बनाई, नही त मची बवाल।। कहन दुनउ क साथे बनाबा, काहे रखबा झंझट पाल। सुखई न त होई बेकार, मौसम बदलत है तत्काल।। हम काटीथे चिप्स लिआबा,पापड़ बनाबा जीरा डाल। दुनहू जने करीथे काम, काहे रखबा झंझट पाल।। फेर दुनहू जन चिप्स बनायन, पापड़ जीरा डाल। रंग डारि रंग-रोगन किन्हन, पीला हरा औ लाल।। "राज" कहिन की राज न राखा, न राखा कउनौ मलाल। इ पावन रिश्ता है आपन, एका रखा संभाल।। नोक-झोक औ राग विराग, सदा हबै इह काल। हमरन क इ जोड़ी राखा, ऐसई गौरा औ महाकाल।। इ कविता है हसै के खातिर, समझी न कउनौ जाल। बस मलकिन के प्यार छुपा है, समझी न कउनौ चाल।। अपनऊ पंचे रखी बनाइके, आपन प्रेम सम्भाल। जउने एक दूसरे के दिल म, रहइ न कउनौ सवाल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। -------कुशवाहाजी ©राजेश कुशवाहा --------- मलकिनिया के पापड़------- -------------भाग-2--------------- ---------बघेली रचना क्रमांक-3------ आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के
Ghumnam Gautam
मेरा नाम कैसे अमीरों में आया शरारत नहीं, ये सियासत हुई है घपोचन जी कहिन― ६ """""'''''''''"'""""""" बगदादी चचा सिधार गए। 'अंकल सैम' ने मार डाला। कह रहे हैं 'कायला' ऑपरेशन हुआ। अब काहे ला (किस लिए) ऑप
Ghumnam Gautam
तुम्हारे पाँव के नीचे बिछाता ही रहा ताउम्र मोहब्बत में बिचारे दिल को मैंने दिल नहीं समझा @Ghumnam Gautam घपोचन जी कहिन–८ """"""""""" घपोचन जी फ़ोन पर― "ऐ तिवारी जी!ई ठाकुर जी कहाँ हैं? आजकल बहुतै याद आ आ रहे हैं उ। जे है से कि उनकी "जोगार-छमता (ज