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ViRaj
एक ज़िन्दगी तुझे आवाज दे तो दूँ..मगर आएगी नही । दिल में आ भी गयी तो क्या..घर आयेगी नही । मेरी माँ आज भी गाँव को स्वर्ग मानती है... मर जाना ही बेहतर है..पर शहर जायेगी नही... राज 'रामकुमार' बरवड़ गाँव बचाओ...गाँव बसाओ
ज़िंदादिल संदीप
#OpenPoetry बागी सा परिंदा हूं मैं..अक्सर खुद से ही शर्मिंदा हूं मैं.. खुदा ने जो बनाई बेमिसाल सी कुदरत.. हां वहां का बाशिंदा हूं मैं .. कब जाना ..कब समझ सका दर्द तेरे .... ए मेरे दोस्त बेजुबान.. हरगिज़ नहीं इंसान रहा..लालच भरा दरिंदा हूं मैं .. जंगल बचाओ ...मंगल बनाओ..
prachianshu dixit
बचा लो इतना पानी कि खत्म न हो इसकी कभी कहानी.. उतना ही उपयोग करो जितना जरूरी हो.. न ये तेरा न ये मेरा हम सबका इसमें बस सहयोग जरूरी हो.. #World_Water_Day पानी बचाओ, जिंदगी बनाओ
Shubham Tripathi
हर ऋतु सुहानी छोड़ दी हर एक कहानी छोड़ दी ऑंखें रूहानी छोड़कर मैंने जिंदगानी छोड़ दी यादों की लत को छोड़ दी मिलने की हट भी छोड़ दी हंसती जवानी छोड़कर मैंने जिंदगानी छोड़ दी आँखों में पानी छोड़ दी बाते पुरानी छोड़ दी बादल आसमानी छोड़कर मैंने जिंदगानी छोड़ दी त्याग
Namrta vishwakarma
मैं, वह हूँ जो सबके हृदय में वास नहीं करता , मैं, वह हूँ जो सबके लिए नहीं बनता, मेरी इच्छा सभी नहीं करते,मुझे सभी को नहीं देते, मैं तो ईश्वर का गुण हूँ जो सभी नहीं पा सकते मेरी क्या भूमिका जब तक सहृदय न हो मैं तो दया का मिश्रण हूँ मुझे पाने वाला सौभाग्य प्राप्त करेगा मुझे देने वाला स्वगॆ प्राप्त करेगा। ©Namrta vishwakarma #त्याग
priya sharma
Girl quotes in Hindi त्याग त्याग उस स्त्री से पूछो जिसने अपनों की खातिर सपनो को छोड़ दिया.. ख्वाहिशों को मार कर जिंदगी को कुछ यूं मोड़ दिया.. अपने अस्तित्व को ना उसने कोई पहचान दी.. कुछ इस तरह त्याग कर सब कुछ उसने अपनों की जिंदगी सवार दी.. अपनी पहचान को अपने हाथो से मिटा देती है.. असल त्याग क्या होता हैं वो स्त्री बता देती हैं.. --प्रिया शर्मा ©priya sharma #त्याग
priya sharma
त्याग कुछ सपनों की खातिर अपनों को छोड़ आए.. गाँव से दूर शहर चले आए.. यंहा आकर जाना जिंदगी का फलसफा... के साहब आसमान की खातिर आशियाना छोड़ आए... किससे कहे, कैसे कहे, क्या-क्या त्याग आए.. हम उम्र के छोटे, घर के बड़े है साहब, चंद ख्वाहिशों की खातिर... सीने पर रख पत्थर, माँ का आँचल तक छोड़ आए. --प्रिया शर्मा ©priya sharma #त्याग