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Samsul Khan
वक्त की नजाकत ने हमें तिकोना कर दिया वरना हम भी कभी चौकोर रहा करते थे
AB
// caption // बोलो.,. प्रेम का कौन सा आकाशविषयक नवीन सूत्र प्रतिपादित
Abhay Bhadouriya
दुनिया गोल नहीं है ( कविता अनुशीर्षक मे पढ़े ) दुनिया गोल नहीं है गोल होती तो हम लौट कर वहीं आ जाते जहां से चलना शुरू किया सिर्फ उतना देख पाने में सक्षम है जो सामने घटित हो रहा है जो साम
AK__Alfaaz..
एक रात, नैनों मे चुभते मोती, जब..पलकों के बंध, तोड़कर बह उठे, और.., शोकमग्न नदियाँ, उसकी आंखों की, अपने शोकगीत गाती, अधरों के मुहाने पर, शोकाकुल शब्दों संग, होंठों के संगम स्थल पर जा मिलीं, व.., बहा ले गयीं, पीड़ाओं की वर्णमाला से, उसके भावनाओं के सेतु को, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #बहता_मन एक रात, नैनों मे चुभते मोती, जब..पलकों के बंध, तोड़कर बह उठे,
Prakash writer05
ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की जब हम झोला टांगते है तुम्हरे सामने तो लगती हो रोने, फिर टिरेन में यात्रा और मुश्किल लगने लगती है! आलू के सब्ज़ी और 7 रोटी बना के बाँध लिए हैं, थोड़ा चना और गुड भी रखे हैं! बाहर नलके से पानी भर लेंगे! डाक्टर से दवाई ला दिए हैं, रसोई वाले ताखा पर है, उठा लेना नहीं तो सिता जायेगी! और समय समय से खाना भी है! गोली सफ़ेद वाली, खाली पेट सुबह! बाकी की संतरी रंग और चौकोर वाली सुभे साम! तुम्हारा कपड़ा धो के पसार दिए हैं! शाम को जागना तो उठा लेना! बाबूजी सुबह किराया भाड़ा दे दिए थे, तो उसका टेंसन न लेना! उनको कह दिए थे की निकल जाएंगे दुपहर में! बाकी खाता में पइसा पड़ा है, काम चल जाएगा इस महीने! मोटकी रजाई घाम दिखा के बड़के बक्सा में, और तुम्हारे सारे सुइटर बाबूजी के सुइटर भी उसमें ही रखे हैं! शाल दुशाला सब साफ़ है! निकाल के ओढ़ पहिन लेना! तुम्हारी जूती मोची से सिलवाय लाये थे! वहीँ आँगन में पन्नी में लपेट के रखे हैं! खाना बनाना हो तभी उतारना! नहीं तो पहनी रखना! गैस भरा दिये 3 महिना तक चली, 10 किलो शीशम की लकड़ी चीर ऊपर कमरे में रख दिए हैं! भगेलू को 5 10 रूपया दे के उतरवा लेना! तुम्हारे फोन में 239 रुपया का रिचार्ज करवा दिए हैं, जब मन करे फोन घुमा लेना! और रोना मत, खाना पीना समय से खाना! जल्दी नौकरी से लौटेंगे! तुम्हारे जागने तक हम टिरेन में बइठ गए रहेंगे! तो ख़त पढ़ के एक आँसू मत रोना! पैर छुए हैं, आसिरबाद भेज देना! ~ तुम्हारे बेटे//लल्ला/करेजा का टुकड़ा! ©Prakash writer05 #ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की
AK__Alfaaz..
उसके, मन के, मकान का, एक चौकोर कमरा, जहाँ दीवारें चार, ना कोई दहलीज, ना कोई दरवाजा, बस, एक उम्मीद की बंद खिड़की, जो खुलती साल के, सावन मे एकबार, और.., बटोरकर सीलन गम की, दर्द की कुंडी लगा, बंद कर दी जाती, हर रात, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #मन_का_मकान उसके, मन के, मकान का, एक चौकोर कमरा,
AK__Alfaaz..
आत्मअनुभूति, लेकर आती है, मन के प्रश्न पत्र मे, कई अनसुलझे सवाल, अफसोस, करूणा, व, अश्रुओं की अनगिनत, बीजगणितीय उलझने, मौन अंतस निःशब्द हो, उजला सा दर्पण, बन जाता है उसका, जो प्रतिबिंबित करता है, उसकी काया पर, रूढियों की नुकीली छैनियों से बने, शिलालेखों को, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #विधवा_का_वध आत्मअनुभूति, लेकर आती है, मन के प्रश्न पत्र मे, कई अनसुलझे सवाल,
Anil Siwach