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सुसि ग़ाफ़िल
सैनिक रहे हैं प्रेम के पुजारी बंदूक उठाने से पहले बंदूक छोड़ने के बाद ठीक इसके बीच के समय में टूटने होते हैं कई फूल जिनकी सुगंध के बारे में बंदूकें कुछ नहीं जानती | सैनिक रहे हैं प्रेम के पुजारी बंदूक के उठाने से पहले बंदूक के छोड़ने के बाद ठीक इसके बीच के समय में
Satish Chandra
.... कुछ नहीं करना कुछ है करना आपस में नहीं भिड़ना पर आपस में है लड़ना हम यूँ ही जीते या मरते रह जाएँगे पर हाँ, कुछ कहते हैं न बनने देंगे मंदिर व
Ravi Kumar Panchwal
चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों, दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा। ग़रीब को लाचार समझते हो, समझो। आस्था को व्यापार समझते हो, समझो। जन्नत की आड़ में बंदूकें उगानेवालों, उसकी लाठियां जब पड़ेगी तुम्हारा हिसाब नहीं होगा। चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। रविकुमार चादर चढ़ाने से या गंगा नहाने से, मन साफ नहीं होगा। धर्मों कि आड़ में दानपेटियाँ बनानेवालों, दरबार जब भरेगा तुम्हारा इंसाफ नहीं होगा। ग़रीब को ल
पण्डित राहुल पाण्डेय
🍃🌾😊 *एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई नहीं आएगा। न कभी कोई आया है, न आएगा।। बंद कीजिये यह झूठी आशा। आप ही हैं, आप ही आए, आप ही गए।। और कोई नहीं आया। अच्छा और बुरा दोनों आपने ही किया। लेकिन जिम्मेवारी आत्यंतिक है।। कोई इसमें भागीदार नहीं हो सकता। परमात्मा के कंधों पर रखकर बंदूकें मत चलाओ।।* *!! हरि ॐ !!* 🙏 ©पण्डित राहुल पाण्डेय 🍃🌾😊 *एक बात सदा याद रखें कि आपके अच्छे और बुरे कर्मों का फल।। आपको ही भुगतना पड़ेगा। कोई आपको बचाने नहीं आयेगा।। किस की राह देख रहे हैं, कोई
सोमेश त्रिवेदी
दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर ज़हनी आंख के अंधे लोग, जिनके सहारे दगती बंदूकें बने हैं वैसे कंधे लोग। हाथों में लिये मशाल खड़े हैं कुछ हाथों में खंजर हैं, दीन को अपने उपजा खतरा झूठे डर के मंजर हैं। तन गोरा मन काला जिनका, बनते खुदा के बंदे लोग। सन्नाटे का शोर सुनो तुम चाहो तो कुछ और सुनो तुम, तुमने भी पूजा होगा बुत कोई था ऐसा कोई दौर सुनो तुम। ईमान की कसमें खाते जी भर करते हैं गोरख धंधे लोग, दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर जहनी आंख के अंधे लोग। #सोमेशत्रिवेदी *ज़हनी आंख के अंधे लोग* दौड़ पड़े हैं पत्थर लेकर ज़हनी आंख के अंधे लोग, जिनके सहारे दगती बंदूकें बने हैं वैसे कंधे लोग।
PrAshant Kumar
राष्ट्रों की सीमाएं टूट गईं । युद्ध के नगाड़े थम गये , आतंकी बंदूकें खामोश हैं ; अमीर - गरीब का भेद मिट गया । आलिंगन , चुम्बन का स्थान ; मर्यादित आचरण ने ले लिया । क्लब , स्टेडियम , पब , मॉल , होटल , बाज़ार के ऊपर अस्पताल की महत्ता स्थापित हो गई । अर्थशास्त्र के ऊपर चिकित्साशास्त्र स्थापित हो गया । एक सुई , एक थर्मामीटर ; गन , मिसाइल टैंक से अधिक महत्वपूर्ण हो गया । मंदिर बंद , चर्च बंद , दरगाह , मस्जिद बंद ! हृदय में विराजमान प्रभु को पूजा जा रहा है । धर्म पर अध्यात्म स्थापित हो गया । भीड़ में खोया आदमी , परिवार में लौट आया । सिर्फ एक वायरस हाँ , * प्रकृति * ने मनुष्य की प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त कर ली है । राष्ट्रों की सीमाएं टूट गईं । युद्ध के नगाड़े थम गये , आतंकी बंदूकें खामोश हैं ; अमीर - गरीब का भेद मिट गया । आलिंगन , चुम्बन का स्थान ; म
सुसि ग़ाफ़िल
अभी कहां है इश्क का मौसम मौसम ने तो बंदूकें तानी है, चलता नहीं गरीबों का जोर बंदूकधारियों की मनमानी है| अभी कहां है इश्क का मौसम मौसम ने तो बंदूकें तानी है| चलता नहीं गरीबों का जोर बंदूकधारियों की मनमानी है| ठीक पहचाने हो तुम दुनिया
अशेष_शून्य
//खिलौना// बचपन में लड़कों को दिए जाते हैं बैट बॉल , गाड़ियां ,पटाखे , खिलौनों वाली बंदूक या बहुधा ऐसे खिलौने जिन्हें वो पटक सकें , तोड़ सकें मरोड़
Divyanshu Pathak
सुनो....💕👴 प्रिय ! तुम्हें एक और इतिहास के "जौहर" की घटना बताऊँ........ : श्रीमती रामदुलारी ने कहा कि आप राजस्थान से आए हैं जहां रानी पदि्मनी का जौहर इतिहास में दर्ज है। हमने भी उसी जौहर का अनुकरण करके दिखाया जिस पर हम गर्व करते हैं। हमें खेद नहीं कि हमारी गाथा किसी ने सुनी या नहीं। केन्द्र सरकार ने घटना का उपयोग अपनी राजनीति करने में लिया। : आज सुबह ये पढ़ बहुत रोया हूँ ! 😢😢😢😢😢😢😢😢 : #komal sharma #shweta mishra #priyanka saraswat #deepali shyam #deepti agrawal : सन् 1947 के युद्ध या बंटवारे की जंग में पाकिस्तानी कबायलि
यशवंत कुमार
हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी की भीख मांगता बेटे से पिटता बाप! मंदिर - मंदिर माथा टेका मिल गया अभिशाप !! Continue.... Read Full poem in Caption. हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी