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    PopularLatestVideo
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Ajay Shrivastava

तेरी मुस्कान का कायल तो सारा जमाना है,
मुझे इस दुनिया में न कुछ और अपनाना है।
जिस शिद्दत से तुम मुझे चाहती हो,
उसी से मुझे अपना आशियाना सजाना है।
तेरे चेहरे को पढ़ करके, उसमें डूब जाना है,
तेरी कशिश से खिचते हुए, तुझमे समाना है।
और कुछ नही बस, मुझे तुझे अपनाना है,
तेरे हाथों में हाथ देकर, जीवनसाथी बनाना है।
तेरी बातो को अपने काव्य में पिरोना है,
तेरी हँसी को अपने काव्य की काव्या बनाना है। #काव्या
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SONU SUTHAR

घर में उछलकूद करती।
दादा-दादी का मन बहलाती।
पापा की लाडो,मम्मी की प्यारी।
सबकी राज दुलारी।
बातों में काव्या की गजब की समझदारी।
माम्मी जी की लाडली कालू।
जीवन में खुशियाँ की फुलहारी छाए।
कावया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ।

©SONU SUTHAR #dilkibaat काव्या

#dilkibaat काव्या #कविता

11 Love

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krishna diwani

#कान्हा @कान्हा

#कान्हा @कान्हा #nojotovideo

45 Views

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sachin mishra

एक कली खिल गयी है मेरे आँगन में 
जिसकी खुशबु छाई है मनभावन में 
अभी छोटी सी आंखे उसकी
 मेरे अनगिनत सपने है 
मेरे सपनो में भरने सब रंगों को 
 उसकी हथेली हिल गयी है 
एक कली मेरे आँगन में खिल गयी है 
उसके छोटे पग छोटे छोटे हाथ थिरकते रहते है 
मेरे वाजूद को आशीष देते रहते है 
 अब मेरी इच्छाओ के सागर अब बदल गए है 
कही बारिश बनकर बिखर गए है 
 अब सब नया सा लगता है जिंदगी तेरा दिल 
आज दिल से सुक्रिया करता है. 

            ✒️सचिन मिश्रा मेरी बेटी.. काव्या

मेरी बेटी.. काव्या

8 Love

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Azaad Pooran Singh Rajawat

"कान्हा रे कान्हा, तूने मुरली कैसी बजाई
 दिन का चैन गया ,मोहे रात को नींद ना आई
 कान्हा रे कान्हा तूने मुरली कैसी बजाई
धुन मुरली की सुना दे, बाहों के झूले में झुला दे
अंग अंग में प्रीत जगा दे
 जीवन कर दे मोरा सुख दाई
कान्हा रे कान्हा, तूने मुरली कैसी बजाई।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  #janmashtami#कान्हा रे कान्हा#

445 Views

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lekh

"कान्हा कान्हा सब कहे "
"कान्हा मिले न कोए "
 "राधे-राधे जो कहे" 
"कान्हा मिलिहय ओह" कान्हा कान्हा सब कहे,
 कान्हा मिले ना कोई...

कान्हा कान्हा सब कहे, कान्हा मिले ना कोई...

6 Love

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💞Priya Kaushik💞

#कान्हा #कान्हा #तुम #संग #प्रीत.....
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Anurag ,(Arry)

मैं कोई भटका हुआ सा मुसाफिर
मंज़िल की चाह नहीं बस
मेरा अस्तित्व मिटा दे
इस ज़माने से नहीं कोई आस उम्मीद
हे कान्हा मुझे तु बस खुद मे मिला ले..... कान्हा

कान्हा #कविता

13 Love

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disha

फुर्सत जो मिले तो मुझे पढ़ना जरूर चाहा ही क्या था 
....कान्हा.. 
बोलो.. कान्हा.. 
नहीं आता मुझे... 
अपने दर्द को चीख चीख  कर  बताने  की... 
अपनी बातो को समझाने की...
नहीं समझती मैं कुछ भी... कान्हा

कान्हा #शायरी

13 Love

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Ap

रे कान्हा फिर से आओ न ।
रे कान्हा फिर से आओ न।
नयन तरस गए हैं दर्शन को।
अब नयनों में बस जाओ न।

यहाँ राधा अब भी ढूंढ रही।
यहां मीरा अब भी पूछ रही।
तुम राधा मीरा के नयनो को।
अब और अधिक तरसाओ न।
रे कान्हा फिर से आओ न।

यहां द्रौपदी अब भी चीख रही।
माँग लोक लज्जा की भीख रही।
तुम सुन लो पुकार द्रौपदी की।
आकर उसका चीर बढ़ाओ न।
रे कान्हा फिर से आओ न।

यहाँ मानव मानव का दुश्मन है।
करता सब स्वार्थी जतन है।
कालिया कलयुग के विषफन पर।
अब मर्दन नृत्य दिखाओ न।
रे कान्हा फिर से आओ न।

अमित पांडेय, डूंगरपुर कान्हा

कान्हा

8 Love

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Manoj Chauhan

पत्ते पत्ते और कण कण में, कान्हा बस तुम ही तुम हो..
घने रेत में और उपवन में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
कहीं फूटते मधुर गीत में, कान्हा बस तुम ही तुम हो....
हर नफरत में और प्रीत में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
रंग उड़ाती पिचकारी में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
शोकगीत में, किलकारी में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
सावन की मदमस्त हवा में , कान्हा बस तुम ही तुम हो...
किसी दर्द में और दवा में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
खुशी लुटाते इन झूलों में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
सब काँटो में, सब फूलों में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
जगमग कूचे के हर घर में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
हर जीवन मे, हर पत्थर में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
मीरा और राधा के तप में, कान्हा बस तुम ही तुम हो....
अँधियारे में और दीपक में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
दूर बसे कहीं किसी गाँव में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
घनी धूप में, मधुर छाँव में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
कहीं मिलन की किसी आस में,कान्हा बस तुम ही तुम हो..
चिरनिद्रा में और स्वास में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
मेरे बोले हर अक्षर में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
हर दानव में और हर नर में, कान्हा बस तुम ही तुम हो...
कान्हा बस तुम ही तुम हो....कान्हा बस तुम ही तुम हो....

:-Manoj Chauhan #कान्हा
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krunal.shwas@gmail.com

थोडासा खट्याळ.. अन् थोडा साधा..
झाली प्रत्येक मनाला याच्या प्रेमाची बाधा
प्रेम तर करतो दोघींवर मनापासून....
मग ती रुक्मिणी असो वा राधा....!!!!

श्री कृष्ण जन्माष्टमीच्या श्रीशामय शुभेच्छा..!!
अगदी माझ्या मनापासून.. तुमच्या मनापर्यंत..!! #कान्हा
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Hit Chohla

खामियां बहुत है मुझमें
इसलिए कोई अपना नहीं पाया,
लोग आते गए 
और
 आजमाते हुए चले गए। #कामिया
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Poonam Aggarwal'मीता'

ए कान्हा
इश्क़ तेरा-
पल में दर्द -ए-खामोशी
पल में जुस्तजू जीने की
अर्ज है तुझसे
राब्ता मुझसे बनाये रखना। #कान्हा
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Ajay Tiwari

स्वरचित (कृष्ण के मथुरा जाने के बाद गोपियों का हाल)

©Ajay tiwari writer कान्हा

कान्हा

12 Love

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Anuradha Priyadarshini

इसी जीवन में आस यही है 

कान्हा आजा  पास तू मेरे 

ना मैं राधा  ना मैं मीरा हूँ

मैं तो  हूँ   तेरी   अनुराधा

©Anuradha Priyadarshini
  कान्हा

कान्हा #कविता

1,055 Views

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Mohan Somalkar

*कळुन चुकलंय सारं*

कळुन चुकलंय सारं 
पण वळलं कुणाला नाही
निघालेत कान्हा जी मथुरेहुन यायला 
कुणालाच सांगितले नाही.!

 *कान्हा..बासुरीनंदन येत आहे* 

मोहन सोमलकर

©Mohan Somalkar #कान्हा
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Himshree verma

मैं तो तुम्हारे चरणों मे भी खुश हूं
कान्हा
क्योकि मैंने सुना है तेरी रज धूल मिलते ही 
जिंदगी संवर  जाती है और सच्आन्नद प्राप्त होता है तो 
यू ही बैठे रहने दे कान्हा मुझे

©Himshree verma #कान्हा
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Monika jayesh Shah

कान्हा

कान्हा #समाज

57 Views

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अज्ञात

अपने अल्फाजों से तो तुम्हें आंका ही नहीं.. 
अल्फाजों से तो सदा ही अपूर्ण होते हो तुम.. 
जब जब देखा अंतर्मन में तुमसा कोई ना मिला 
क्यूंकि भावों से ही परिपूर्ण होते हो तुम..

©S. Kumar R. "कान्हा"

"कान्हा" #विचार

34 Love

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Vrishali G


        कान्हा तेरी बासुरी...
                              मन करता है 
                           चुरा लू तेरे होठोसे






                              
                        जीवन भर के लिये 
                                मैं लग जाऊ
                                 तेरे सीनेसे

©Vrishali G
  कान्हा

कान्हा #कविता

166 Views

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Dee . . . . .चातक

जिन नैनन में  श्याम बसत हैं
वो नैना काजल बिन कारे
कारे नैना वाली  के
नैनन पर, मोहन दिल हारे
काली चितवन काले अलकन
काली  कम्बली कान्हा की
काली यमुना तीरे 
कदम्ब पर
झूला झूले दोउन प्यारे
काले काले घन गरजत हैं
बरसत हैं नभ से मोती
जुगल जोड़ी संग
आज बिरज में
हुए सभी ज्यूँ मतवारे
काले अपने कृष्ण कन्हाई
काली अलकन घुंघराली
जिन नैनन में श्याम बसत हैं
वो नैना काजल बिन कारे
वो नैना काजल बिन कारे... #कान्हा
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Dee . . . . .चातक

अब तो बाँसुरी बना के अपने अधरों से लगा ले मेरे "कान्हा "
कि तेरी दुनिया ने बहुत खोखला कर दिया है मुझे। 
              #कान्हा
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Dee . . . . .चातक

बहुत हो गया कान्हा . .
अब और ना तरसा, 
समेट ले बाँहों में 
या फिर बिखर जाने दे ।
तेरे चरणों/दिल में 
जगह जो ना पाऊँ 
फिर तू ही बता कान्हा . . .
मैं किधर जाऊ।
दिल में बसाया है तुझे 
आँखों में सजाया है तुझे
कही धड़कन की तरह 
कही सपनों की तरह ।
अब तू ही बता मेरे प्यारे 
धड़कन बन्द करूँ कि आँखें 
कि बेरूखी तेरी अब सही जाती नहीं !
   
        दीपा(चातक)

                    #कान्हा
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KUMAR MANI(#KM_Poetry)

पहली मर्तबा जब मेरे बारे लिखोगी
सिर्फ काफिया मिलेंगे या तुम हमें भी मिलोगी 
उस ग़ज़ल में तो चेहरा मेरा है नाम किसका का दोगी? 

या कि 'ये तो ऐसे ही' , 'ऐसा कुछ नहीं है' सबसे कहोगी 

जब सारी तुकबंदियां हमारी हालात से मिलेंगी 
जब कुछ स्याहियां पन्नों पर फैली रहेंगी 
'ये पानी कहाँ से गिरा' आंख मलते कहोगी 

या कि 'ये तो ऐसे ही' , 'ऐसा कुछ नहीं है' सबसे कहोगी
 
'वियोगी होगा पहला कवि' जब सखियाँ कहेंगी
बड़े जोर ही जब तुम झूठे हंसोगी
'कवि की कल्पना है' धौंस से कहोगी 

या कि 'ये तो ऐसे ही', 'ऐसा कुछ नहीं है' सबसे कहोगी

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  #काफिया
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Deepa Didi Prajapati

यदि प्रेम नहीं करता कान्हा,
तो आकर्षण में
फंसाता क्यों है?
खुद कुछ कहता नहीं,
वशीभूत कर हमारे मुख से,
कहलवाता क्यों है?

©Deepa Didi Prajapati 
  #कान्हा
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अज्ञात

करुणा ही शान तुम्हारी
हे गोवर्धन गिरधारी..!

हमसे क्या आशा रखते हो
रुठे रुठे क्यूँ लगते हो
मनहर मुस्कान तुम्हारी..!
हे गोवर्धन गिरधारी..!

माना हमसे ये भूल हुई
तुम बिन जिंदगी मशगूल हुई
अब छोड़ो बात हमारी..!
हे गोवर्धन गिरधारी..!

जब हमको संकट घेरेगा
तब दिल ये तुमको टेरेगा
तब हरना विपत हमारी..!
हे गोवर्धन गिरधारी..!

क्या दोष हमारा बतला दो
भक्ति कैसे हो सिखला दो
ये माया जटिल तुम्हारी..!
हे गोवर्धन गिरधारी..!

देखो हम तुमको भजते नहीं
फिर भी तुम हमको तजते नहीं
इतनी पहचान तुम्हारी..!
हे गोवर्धन गिरधारी..!

कर क्षमा दया दो दान हमें
भगति का दो वरदान हमें 
हे श्याम भगत हितकारी..!
हे गोवर्धन गिरधारी..!

©अज्ञात
  #कान्हा
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अज्ञात

कृष्ण भजन
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चुराय लियो,
    चित गोकुल को चोर..

माखन चोरी मटकी फोरी
छैल छबीली ब्रज की गोरी 
हाय री पड़ गई प्रीत के पाले
अब का होइगो मोर..!
                      चुराय लियो....!
जमुना तट पे बंशीवट पे
कुंज गलिन में वृन्दावन में 
जित को जाऊँ सब मोहे ताकें 
घर घर मच गयो शोर..!
                     चुराय लियो....! 
साँवली सूरत मनहर मूरत
श्यामल अलकें कंवल सी पलकें 
आन बसो है इन नैनन में,
बाँको नंदकिशोर..!
                     चुराय लियो....!

©अज्ञात
  #कान्हा
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