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Prajapati Sanjay

कः पण्डितः?

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Roushan R

धातु का Experiment #Diwali

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Mohan raj

Life lessons motivational यदा भवन्तः कष्टानां सामनां कुर्वन्ति तदा भवन्तः विश्वासं स्थापयितुं प्रवृत्ताः भवेयुः #Motivational

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जब आप कठिनाइयों का सामना करते हैं तो आपको विश्वास बनाए रखने की ज़रूरत होती है
यदा भवन्तः कष्टानां सामनां कुर्वन्ति तदा भवन्तः विश्वासं स्थापयितुं प्रवृत्ताः भवेयुः
When you face difficulties you need to keep faith
Dhnyvaad Har Har Mahadev

©Mohan raj #Life lessons motivational यदा भवन्तः कष्टानां सामनां कुर्वन्ति तदा भवन्तः विश्वासं स्थापयितुं प्रवृत्ताः भवेयुः

Sneh Lata Pandey 'sneh'

#मातु शारदे #कविता

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Tarakeshwar Dubey

मातु भवानी #WinterFog #कविता

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मातु भवानी
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निर्झर झरती रहे लेखनी, वाणी निर्भीक रहे अटल,
चिंतन में मानवता ऊपर, राष्ट्र की हो प्रथम पहल।
परमार्थ मन में भरा हो, मर्यादित सृजित हो हर शब्द,
विचारों में हो सादगी, सत्यमेव सदा बने प्रारब्ध।
जो रिपु हो अन्यायी, शीश उसका नतमस्तक कर दो,
भय का नाश हो जावे, हे मातु ऐसा अभय वर दो।

मन कभी ना बोझिल हो, छाये न गम की काली साया,
लगे सबसे एक लगन, जानूं ना भेद अपना पराया।
बन जाउं अंबर का पंछी, उड़ जाउं उन्मुक्त गगन में,
बस अनंत तक गाता जाऊं, सत्य के गीत चमन में।
जनगण की आवाज बनूं, मां ऐसी अमर शक्ति दो,
अन्याय की कालिख मिट जाए, हे मातु भवानी वर दो।

बहे प्रेम की अविरल गंगा, घाटी घाटी हो स्वछंद,
जन जन पुष्पित हो जावे, भरे सभी मन में मकरंद।
बसे नहीं क्लेश किसी में, हर लो सब पीड़ा संताप,
निरोगी होवे हर काया, हर लो जो होवे अभिषाप।
जीर्णता ना उभरे कभी, ऐसा अमरत्व तन भर दो,
व्यापकता का अभ्युदय हो, हे मातु भवानी वर दो।

© मृत्युंजय तारकेश्वर दुबे।

©Tarakeshwar Dubey मातु भवानी

#WinterFog

Tarakeshwar Dubey

मातु भारती #coldnights #कविता

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मातु भारती
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सूरज की पहली किरण जिसका करती है नित अभिनंदन,
पौ से पहले ब्रम्ह बेला में जिसे जपते महर्षि ले तुलसी चंदन,
सात सूरों को छेड़ मातु वागेश्वरी करती है जिसका संकीर्तन,
हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन।

हिमालयराज बन बज्र प्रहरी खड़ा सेवा में निष्छल प्रतिपल,
गंगा की पावन शीतल जल पखारती चरण जिसके पल पल,
यमुना की लहरों पर जिसके नटराज करते हैं अथक नर्तन,
हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन।

काश्मीर की घाटियों में जिसकी स्वर्ग की दूनिया वास करे,
धन्य वृंदावन की माटी जहाँ राधाकृष्ण प्रेम लिप्त रास करे,
कृष्ण राम ने अवतार लिया करने निमित्त जिसका दर्शन,
हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन।

जहाँ तप के बल पर धरती सोने की चिड़िया कहलाई,
जहाँ योग के बल पर राघव ने सागर में पत्थर तैराई,
विविधता में एकता हैं जिसकी संस्कृति के मूल दर्पण,
हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन।

खेतों में जिसकी फसलें, हर मास अन्नकूट बन लहराती है,
सूर्य, चंद्र, जल का होता अर्चन, कन्यायें पूजी जाती हैं,
हर दिन हर मास जहाँ करते हैं त्योहारों का नव सृजन,
हे मातु भारती चरणों में स्वीकार करो अब मेरा वंदन।

© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।

©Tarakeshwar Dubey मातु भारती

#coldnights
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