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पंडित सुधाकर शर्मा
जिस देश भारत में पितामह भीष्म से रणधीर थें, जिनकी प्रतिज्ञा के वचन अति घोर थे गंभीर थे। कुरु वंश संरक्षक बने जो मीचु को झुठला गए, पर स्नेहवश निज मृत्यु के भी भेद को बतला गए। वह सोम वंशी शूर क्षत्रिय धर्म प्राण महान थें, सद्धर्म हेतु अधीर वह मानव चरित्र प्रमाण थे। "भीष्म पितामह "
M R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी निर्जला एकादशी जिसे भीष्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है इस दिन जल रहित उपवास रखने का बताया गया है जल रहित नहीं कर पाये तो सामान्य उपवास करे वो भी करने की क्षमता नहीं हो तो चावल का त्याग अवश्य करे ©M R Mehata भीष्म एकादशी
Yishu Tiwari
आज " भीष्म प्रतिज्ञा " पर एक कविता लिखना शुरू की है । पर तब अब पता चला कि जब कृष्ण की कृपा होगी तब ही आप उनपर कुछ लिख सकते हैं । प्रेम पर तो हर कोई लिख देता है, पर प्रसंग पर लिखने के लिए प्रभु की कृपा की आवश्यकता होती है । मां सरस्वती मेरी लेखनी में ज्ञान की गंगा प्रवाहित करें कि मैं भीष्म और केशव पर ये काव्य पूर्ण कर सकूं भीष्म प्रतिज्ञा
Anjali Jain
आज अर्जुन के बाणों द्वारा पितामह भीष्म का वध, फ़िर भी भीष्म द्वारा निहाल होकर आशीर्वाद दिया जाना - "आयुष्मान भव अर्जुन ", आचार्य द्रोण को बधाई देना - आपके शिष्य ने मेरी छाती छलनी कर दी, आचार्य द्रोण, बधाई हो! अविस्मरणीय दृश्य, मर्मांतक पीड़ा, आज का दृश्य उतना ही पीड़ा दायी था जितना द्रोपदी का चीर हरण! भीष्म की आत्म शांति भी दर्शनीय थी क्योंकि दुर्योधन के पक्ष में युद्ध करने की विवशता से वे भी मुक्ति चाहते थे शायद! शिखण्डी के चेहरे से छलकती तृप्ति, अन्य सभी परिजन के चेहरों से टपकती पीड़ा, आज कई भावों को सब ने एकसाथ भोगा! महाभारत की युद्धभूमि का सबसे महान, विशाल शक्तिशाली और पुरातन वट वृक्ष आज धराशायी हो गया! विविध भाव - सरिताएँ, दुख के असीम पारावार में जा मिली!! मुकेश खन्ना द्वारा भीष्म पितामह के चरित्र को इस जीवंतता से निभाना कि इससे अलग भीष्म का रूप और क्या होगा? शानदार! शानदार! #पितामह भीष्म #
Vivek Singh rajawat
"भीष्म पितामह" अपनी शक्ति की ध्वजा हाथों में लहराता हुआ, वो बढ़ा अपनो में शस्त्रों को बरसाता हुआ। कोई नही हैं आज जो रोक पाए वीर को, दुश्मनों के मध्य भी जो न माने हार को। जिनको खिलाया था कभी पालने में, उनको लगा अभी मृत्युलोक पहुचाने में। नेत्रों को अश्रुओं से भर प्रत्यंचा को चढ़ाया, हृदय सम्भाल, युद्ध को सत्य धर्म बतलाया। एक ओर अर्जुन लगे प्राणों से भी प्यारा, दूसरी ओर कदाचित वचन न टूटे तुम्हारा। तुमने कसम खाई श्रीकृष्ण को सुदर्शन सम्भालवाने की, शिखंडी ने भी ठानी तुम्हें अर्जुन के द्वारा मरवाने की। हैं आज देखो माँ बाण गंगा का प्यार बेटा, बेबस मृत्यु को व्याकुल बाण शैया पर प्यासा लेटा। जब प्यासे अधर बुलाते है, तब अर्जुन प्यास बुझाते हैं, ये कैसे नाते-रिश्ते हैं, पहिये में काल के पिसते हैं। विवेक सिंह राजावत। भीष्म पितामह
Sarita Singh
ओ पितामह भीष्म, पी गए क्यूं क्रोध को , जब द्रोपदी का चीर खींचा, दुष्ट दुशासन ने, ओ पितामह भीष्म, दांव पर लगने दिया क्यूं, कुलवधु को, तुमने जुए के खेल में, ओ पितामह भीष्म , हां ये भावना , बहुत मानव, बना देती है देवों को, ओ पितामह भीष्म, तुमने देवत्व क्यूं ना छोड़ दिया, मानवता के लिए, ओ पितामह भीष्म , कृष्ण के क्रोध ने , उन्हें ऊंचा उठा दिया, देव या मानव नहीं, ईश्वर बना दिया, #क्रोध #भीष्म #कृष्ण