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Durga Deshmukh
स्वराज्य* आई भवानी आशिर्वाद पुत्र होऊ दे महान सह्याद्रीचे नाव गाजविल महाराष्ट्राचा हो अभिमान ।। शिवनेरीवर सूर्य चमकला बांधा सोन्याची तोरण जिजाऊंचे स्वप्न साकार निश्चित केली धोरण ।। आई भवानी प्रसन्न झाली शिवनेरीची शिवाणी ओठी या मातीला मुक्त कराण्या शूरवीर पुत्र जन्म दे पोटी ।। वेड लागले स्वराज्याचे गुलामीतून मुक्तीचा नारा मावळे सारे सज्ज झाले आसमंत उसळला सारा ।। आला तो सोन्याचा दिन जिजाऊंची स्वप्न फळा आली रयतेचा राजा शिवछत्रपती जगात स्वराज्याची घोषणा झाली कु दुर्गा प्रल्हादराव देशमुख, परभणी ©Durga Deshmukh स्वराज्य
Anisha Dodke
कविता: धर्मवीर संभाजी राजे किल्ले पुरंदर ला जन्मा आले वीर धर्मवीर ते झाले छत्रपतींचे गोजीरे राजपुत्र संभाजी ते ठरले.......!! महाराणी आई विना पोरके झाले धाराऊ गाडे ही दूध आई बनली आजी राजमाता जिजाईचे संस्कार घेतले......!! दुर्दैवी धर्मवीर ते झाले सावत्र पण त्यांनी पाहिले एकीने मायेने जवळ घेतले सावत्र पुत्र म्हणून सोयराबाईंनी पोरके केले.....!! देखणे, शूर ,सुशील विद्या विशारद पुरंदर राजकारणी धर्मवीर ते झाले वीर संभाजी ठरले.....!! जनतेला मायेने हात फिरवणारे महार न होणारे छत्रपती पुत्र शिव संभाजी महाराज इतिहासात गुणवणी ठरले...!! कवयित्री कु :अनिषा दिलीप दोडके ©Anisha Dodke धर्मवीर संभाजी #leaf
मुकेश कुमार व्यास
*( मेरी नई रचना "*रक्षक*" *सभी सच्चे सेवको को सादर समर्पित है, जो कि कोरोना की जंग में दिल जान से लगे हुए है।* जिंदगी की जद्दोजहद में, सेवाभाव से लगे, मैं हर उस रक्षक व सेवक को सलाम करता हूँ। आज की मेरी कविता, सभी सच्चे रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ। जो रक्षक है, वो राष्ट्र की रक्षा ही करेगा। कर्तव्य पथ पर निश्चल,अटल, संग्राम वह लड़ेगा। जान की बाजी लिए हाथ, मेडिकल स्टाप हँसकर लड़ता है। चाहे पुलिस प्रशासन, चिकित्सकीय स्टाफ, या सेना का जवान हो, मौत से नही डरता है। नर्स हो, डाक्टर हो ,पुलिस,और पत्रकार, जान हथेली पर धरता है। स्वयं सेवक हो व सफाईकर्मी, डटकर मुसीबतों से लड़ता है। मैदान ए जंग कोरोना में लगे, हर सच्चे सेवक का, मैं दिल से सम्मान करता हु। आज की मेरी कविता, मेरे सभी रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ। घर से निकलकर, छोड़कर, समाज व परिवार को, राष्ट्रभक्ति का जज्बा हो, और जीत का हो हौंसला, हरकदम, वो अविराम, निरंतर दौड़ता, ऐसे कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ, देशभक्त, सेवक का ऋणी होकर, मैं दिल से सलाम करता हु। आज की मेरी कविता, मेरे सभी सच्चे रक्षक व सिपहलार के नाम करता हूँ। *कवि एवम लेखक* *मुकेश कुमार व्यास* *"स्नेहिल"* अहमदाबाद, गाँधीनगर गुजरात 91+ 9374569132 9429451232 *कॉपीराइट* #रक्षक
Narendra Gupta
"रक्षक देश के" क्यों स्टूडेंट काट रहे है पत्ता ना जाने क्यों नही जाते स्कूल खाते है गुटका, पीते है दारू पर कहलाते रक्षक देश के|| थिएटर है जिनका स्कूल सिनेमा हॉल हो उनका क्लास दुश्मन हो जिनका क़िताब फिर भी कहलाते रक्षक देश के|| रहते हमेशा दूसरे मिज़ाज उनके पिता को पुरा हिसाब पर न करते उनसे सवाल फिर भी कहते बने तु नवाब|| रक्षक देश के #रक्षक#देश