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siddharth vaidya
कमल कोश में विश्राम मिथ्या मृत्यु का अपमान है इस तुक्ष आकर्षण के लिए किस त्याग का अभिमान है सिद्धार्थ वैद्य #छायावाद की ओर
V.k.Viraz
【दुःख】 हमे हमेशा दुःखों का इंतज़ार करना चाहिए नफ़रत के बदले इनसे प्यार करना चाहिए। जीवन का रस इनसे मिल-जुल कर चलने में है हमे मन-भाव से इनका सम्मान करना चाहिए। गुणों को हमारे अक्सर यही उजागर करते है, बेरंग से जीवन में यही तो सुंदर से रंग भरते हैं। दुःखों से अपने हमको न कभी मु चुराना चाहिए ये हमारे अपने है इनसे व्यवहार बढ़ाना चाहिए। कविता-(दुःख) कवि-वि के विराज़
HintsOfHeart.
"मैं ढूँढता तुझे था, जब कुंज और वन में तू खोजता मुझे था,तब दीन के सदन में तू 'आह' बन किसी की,मुझको पुकारता था मैं था तुझे बुलाता,संगीत में भजन में"¹ ©HintsOfHeart. #राम_नरेश_त्रिपाठी- #जन्म_जयंती (4 मार्च) 1. रामनरेश_त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 -16 जनवरी, 1962) हिन्दी के 'पूर्व छायावाद युग' के प्रसिद्ध कवि
Vivek Rajak
खिलता हुआ फूल तुम्हें मुस्कान दे उगता हुआ सूरज तुमको दुआ दे सब मंजिल हो जाए आसान ऐसा तुम्हें ऊपर वाले ऐसा आशीर्वाद दें छायावान बनो#Jo_tum_sochteho
sweta kumari
'साँवरी हूँ मैं' ............... कृष्ण-सा रंग,कृष्ण के संग बावरी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। घनानंद के प्रेम के पीर पर बलिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। र्दुबुद्धि से उत्पन्न उसके बीज का संहारकारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। कदंब की अनोखी डाली-सी चमत्कारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। प्रकृति की नैसर्गिक छटा-सी मनोहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। संपूर्ण जगत में प्रेम की संचारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। मानव की मानवीयता का प्रतिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। श्वेता कुमारी विशुनपूर(गायत्री नगर),धनबाद झारखंड। ©sweta kumari छायावाद को स्पर्श करती कविता #one session
Gajendra Prasad Saini
एक कवि के भाव को तुम कभी शोर मत समझना... उजाला दोपहर का लिखता है उसे बोर मत समझना... बस ये कुछ अल्फ़ाज़ अपने मन के लिखता है किसी दूसरे के शब्दों का उसे चोर मत समझना... कवि के भाव...
SG
इश़क के कवि जीते जी, धीमे नशे से मर रहे है, ये सोचकर ही रोंगटे खड जाते है मेरे वो मरते मरते ऐसे कैसे जी रहे, ©❤SG❤ इशक के कवि
Naresh sirohi
करे जग को रोशन, वो रवि, डाले शब्दों में जान, वो कवि, कोई अंत नही जिसकी रौशनी का, वो रवि, कोई अंत नही जिसकी कल्पनाओं का, वो कवि, ©Naresh sirohi रवि और कवि।
ANMOL BHASKAR