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Shivam Tiwari

बहर 222-222-222-22

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ग़ज़ल 
मिलना जुलना शोर शराबा सबकुछ है
क्या बस उसको हाय बुलाना सबकुछ है
हमको तो हर हिस्सा अच्छा लगता है
पिक्चर में तो नहरें बगिया सबकुछ है
बाकी तो सब यूँही कुछ भी कहते हैं
तेरा चुप रहना ही माना सबकुछ है
तुझसे हाथ मिलाकर किसने क्या पाया
क्या तुझको छूना ही केवल सबकुछ है
पल पल उसमे खोना खुदको सिखा है
पाने को तो पल भर लम्हा सबकुछ है
एक शराबी प्याला छूकर क्या करता
मदहोशी को तेरी खुश्बू सबकुछ है बहर 222-222-222-22

Ansh Rajora

एक ग़ज़ल पेश है🙏 बह्र - 22 22 1 22 22 122 #yqbaba #yqdidi #ghazalgo_fakeera

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बचपन की लत पुरानी फिर से लगी है
बस्ते में अब किताबे रहने लगी है

बिन तुम्हारे गुज़ारा मुमकिन नहीं है
अब मुझसे वो दिवानी कहने लगी है

बूढ़ी आँखें करीबी कोई नही है
वो तन्हा ही बिमारी सहने लगी है

बदले दिल के न दिल तुमने भी दिया है
तुम्हे भी ये उधारी किस से लगी है

पागलपन का सबब मुझसे पूछते हो
देखो तस्वीर इक सिरहाने लगी है

अब खामोशी फकीरा तुमसे कहेगा
ये बस दिल की लगी है दिल से लगी है एक ग़ज़ल पेश है🙏
बह्र - 22 22 1 22 22 122
#yqbaba #yqdidi #ghazalgo_fakeera

...

122 122 122 122

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मेरे दिल में क्या है अगर तुम समझते
तो रिश्ता हमारा भी कुछ और होता 122 122 122 122

Zohaib Baig (Ambar Amrohvi)

बहरे-मुतकारिब मुइज़ाफ़ी मुसम्मन सालिम 122 122 122 122 122 122 122 122

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परेशान एहले मुहब्बत को देखा, नज़र आये दिल भी बहुत ग़म के मारे,
मुहब्बत की राहों से नज़रें बचा कर, मैं गुज़रा हमेशा किनारे किनारे..

रसीली निगाहें रंगीली अदाएं, दिल-ए-मुब्तिला को कहाँ तक बचायें,
नसीम-ए-सहर ने इधर साज़ छेड़ा, उधर माह-ए-पैकर ने गेसू सँवारे..

ख़ुदा के लियें ज़िक़्र उसका ना छेड़ो, मुझे आज फिर याद आने लगा है,
मुहब्बत से लबरेज़ रंगीन रातें, गुज़री हैं किस महजबीं के सहारे..

गुज़िश्ता ज़माने कि याद आ रही है, मिरे ग़म-ज़दा दिल को तड़पा रही है,
छलक आये आंखों में अब अश्क़ बन कर, तुम्हारी मुहब्बत के रंगीं नज़ारे..

ये क्या बात है राज़दार-ए-मुहब्बत, किसे ये नसीम-ए-सहर छेड़ती है,
ख़ुदा जाने “अम्बर” किसे झांकते है, ज़मी पर तेरी ओर से चाँद तारे..!!

©️ज़ोहेब। (अम्बर अमरोहवी) बहरे-मुतकारिब मुइज़ाफ़ी मुसम्मन सालिम
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