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divya Sharma
वो कागज़ की कश्ती, वो बचपन की मस्ती, वो गुड़िया वो हाथी, वो बचपन के साथी, वो पल में झगड़ना, वो पल में गले लगाना, याद आ रहा है बचपन का बचपना।। ना जाति ना पैसे, हम हंसतेथे ऐसे, जैसे मिल गया हो हमें, कारू का खजाना.. याद आ रहा है बचपन का बचपना।। वो मम्मी का आंचल, वो पापा का दाढ़ी, वो भैया का , दौड़ा दौड़ा के मारना,😁 याद आ रहा है बचपन का बचपना।। नए कपड़े पहनने पर खुद में इतराना, बालू से गिट्टी, से खाना बनाना, पत्तों की बनती थी हमारी रोटी, बनते थे अम्मा भी ,बनते थे बेटी, अब कहा गा पाते है, रिश्तों का तराना, याद आ रहा वो बचपन वो बचपना।। बुखार होने पर वो साबूदाना खाना, होम्योपैथी की मीठी गोली का दाना, खाना खाने में कितने नखरे दिखाना, मां का आंखे भर भर के जी भर प्यार लुटाना, याद आ रहा है वो बचपन वो बचपना।। नानी घर जाएंगे तो नए कपड़े मिलेंगे वो मौसी,वी मामा वो नाना का गाना वो हमारी पसंद का ही खाना पकाना आते समय दस रुपए का नोट पकड़ाना लगता था पा लिया जन्नत पा लिया ठिकाना उफ्फ..... काश कि लौट आए वो बचपन और बचपना........, ©divya कोई लौटा दे वो बचपन.....
Anamika
कहां होगी अब वो, ख्वाहिशे पूरी बारिश का पानी हो, कागज़ की नाव हो, और वो बचपन प्यारा हो... #@ बचपन#@ #@कोई लौटा दे,वो बचपन के दिन#@
Ansh Rajora
तारों की गिनती किये जमाना हो गया बचपन बीता तो चंदा मामा भी पुराना हो गया महफिलें अब कँहा सजा पाते हैं यारों के संग "अंश" कागज़ के टुकड़ों से बस याराना हो गया💗 कोई लौटा दे वो प्यारे प्यारे दिन💐💐 #yqbaba #yqdidi
₹0Hiत
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
कोई लौटा दे वो दौर बचपन का, चांद भी हमारे पीछे भागा करता था। हम सो जाते थे बेफिक्र हो गोद में मां की, पूरा आसमान तारों संग जागा करता था। Pic_credit:- Google.in कोई लौटा दे वो दौर बचपन का, चांद भी हमारे पीछे भागा करता था। हम सो जाते थे बेफिक्र हो गोद में मां की, पूरा आसमान तारो
The Sarvajeet Krishna
मुझे वो दिन लौटा दे कोई जब मेरे लिए मेरे से ऊपर कोई ना था तब दुखी हूं इस बात का दुख भी ना था खुद से इतना प्रेम था कि खुद से ऊपर वो खुदा भी ना था बस मुझे वो दिन लौटा दे कोई.! लौटा दे कोई वो दिन...
Author kunal
वो एहसास लौटा दे कोई फिर वही विश्वास जगा दे कोई कुछ खुशी कुछ गम के स्वाद चखा दे कोई बहत टूट गया हूं कांच की तरह अब बस अक्श अक्श को जोड़ दे कोई वो दिन लौटा दे कोई #मेरीक़लमसे #yqdidi #kunu
गुमनाम शायर
यारो के साथ बीते उन पलों को कोई लौटा दे,बचपन की उन अटखेलियो को कोई वापस ला दे,वो बेबाकपन और शरारतों के पल वो बेफिक्री वो मासूमियत लौटा दे,वो बचपन का अल्हड़पन बदमाशियां लौटा दे,कोई मुझे सिर्फ मुझे मेरे बचपन का वो एहसास और सुकून लौटा दे।। ©Shurbhi Sahu #यारों का वो साथ लौटा दे