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Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अपने दिल की गहराई में झांको और विश्वास करो कि आपने बस कुछ ख़ास कुछ विशेष कार्य करने हेतु जन्म लिया है...और इसके लिए एक छोटा सा सकारात्मक विचार आपके पूरे दिन को बदल सकता है..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की नकारात्मकता में सकारात्मकता खोजो -अंधेरे में प्रकाश बनो-तूफान में शांत रहो और युद्ध के समय शांति से रहो ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हम जिन चीजों को पीछे छोड़ते हैं, आगे उनसे भी कहीं बेहतर चीजें हमारा इंतजार कर रहीं होती हैं, अगर मन में ठान लिया तो समझो, आधी जीत हो गई..., आखिर में एक ही बात समझ आई की हो सकता है की एक सकारात्मक दृष्टिकोण आपकी सभी समस्याओं को हल नहीं कर पाए , लेकिन यह लोगों को निरंतर प्रयास के लायक बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' अंधेरे में प्रकाश
Meenakshi Sharma
शायरी अंधेरे में कम रोशनी सूरज को प्रकाश की जरूरत नहीं होती, क्यों कि रोशनी खुद उसके पास आती हैं, उसी प्रकार रात के अंधेरे में, उजाले की जरूरत नहीं होती, क्यूं कि चांदनी खुद रोशनी, रोशनी ले कर आती हैं। Meenakshi Sharma अंधेरे में रोशनी
Gyan Prakash Yadav
दुनिया को देखता हूं मैं किसी की नजरों से अपनी नजरें तो यहीं धंसी पड़ी है जागी थी दुनिया अंगड़ाई लेते हुए सी रही थी एक फटी कमीज को एक पजामा का नाड़ा कस रही थी पर अब थक गई है,काफी थक गई है देखो तो करवट नही बदल रही लगता है सो गई है या प्यार से थपक थपक कर सुलाया है किसी ने अभी नहीं उठेगी, आवाज़ दे रहे हो क्या चीख रहे हो क्या पर क्यूं मुरौवत करो और जाने दो झपकी नही है की झकझोर दो देखो अंधेरा काफी है अंधेरे में रहने दो देखो तो जुगनू भी सो गए है दुनिया की गोद में अब उठेगी दुनिया बिना अंगड़ाई लिए जुगनू भी अब तुम्हे नजर आएंगे अंधेरे में फिर मैं कहूंगा दुनिया को देखता हूं मैं पर अब खुद की नजरों से जागी चुकी है दुनिया , अब तक जाग रही है लगता है काफी सोई थी।। ©Gyan Prakash Yadav अंधेरे में जुगनू
Gyan Prakash Yadav
जिंदगी के सफर में कुछ खो सा गया है, वो सुकून जो बीत सा गया है। तलाश करे क्या अब इसकी? चलो एक शाम कहीं ठहर के देखे, किस्तों में जिंदगी के दो पल काट के देखे। कवायत न रह जाए कभी इस दिल में; है जो जहां कहीं भी जो कुछ भी, उसे जहन में उतार के देखे।। सुना है जिसे मैंने कभी, आज उस शहर में ठहर के देखे एक परिवार चार जिंदगी , न तुम कुछ कहो ,ना हम कुछ कह सके कट रही है बस जिंदगी मानो सर कटी लाश; चलो दूर चले जुदा हो चले इस शहर से मुसलसल जाता रहेगा वो बचा पल जो बीत सा गया है।। चलो एक पल गांव ठहर के देखे, जो सुना है उसे आजमा के देखे। वो जो था कभी गांव वो छोटा शहर हो गया नगर के आगोश ने इसे गांव न रहने दिया; हाल बना है इसका बीते लम्हों जैसा।। चलो अब उस कांतार में ठहर के देखे जहां काटा है कइयों ने सुकून के पल चलते रहो, चलते रहो, अब आगे कितना देखो तो वो जंगल अब जंगल न रहा इमारतों ने यहां अपनी जगह बना ली जान गए वो बात जो जानना था जिंदगी में अब सुकून नहीं जिंदगी अब सिर्फ जिंदगी है जो केवल कट रही।। ©Gyan Prakash Yadav अंधेरे में सुकून
ARSHAD AHMAD
हीरे की काबिलियत रखते हो तो, अँधेरे में चमका करो…! रौशनी में तो कांच भी चमका करते है अंधेरे में चमकना सीखो।
( W.T) ग्रुप अनवर अनवर हु यार
अंधेरो मे डुडों चाहे चिराग से या डुडों फिर सुरज के आफताफ से या डुंडो फिर मुझको तुम फजर कि अजान से हम गुजरे कल थे आपके जो ना समझे तुम हमको हर एक मुलाकात से क्या फायदा अब सासें हि ना रहि अब बेचारे ईस दिले नादान मे ©ye kanpur hai meri jan अंधेरे में डुंडो #Happy