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DR. LAVKESH GANDHI

एक तरफ बाढ़ है तो
दूसरी तरफ कोरोना काल है 
आगामी बिहार विधान सभा चुनाव भी 
सिर पर सवार है 
जो होता है वो हो जाने दो
सिर पर चुनावी भूत सवार है 
न है बाढ़ की चिंता न कोरोना का भय 
मुझे तो है सोलह आने चुनाव की चिंता  #चुनाव #
#चुनावी चिंता #
#yqelection#yqpoltics#

चुनाव # चुनावी चिंता # yqelectionyqpoltics#

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dilwal khan

दिल्ली के चुनाव

दिल्ली के चुनाव #शायरी

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Prashant Mishra

ए चाची हम गोड़ लागतानी
फिर से लड़त बानी परधानी
हमरे लहर उड़ता अबकी हउवा में
अबकी बिकास होइ गउआँ में
हमके जितइहा चुनउआँ में...

मोर कलोनियां के पइसा उड़ाई गइला
लैटरीन आईल रहे, हमर खाई गइला
त फिरिये में कवन हमके वोट दिहे रहला
बदले में बोतल के दाम लिहे रहला हो दाम.
त अबकी बिक्या जनि पउवा में
हमके जितइहा चुनउआ में... |

जौन खरंजा बनवउले रहला टूटिये गइल
नाली एकही महीनवा में भठिये गइल
नारी में ओभरलोड कचरा घुसवला
खरंजा के ईंटा तोहनै चोरवला हो तोहनै..
त अबकी पक्का चकरोट बनी गऊआँ में
प्रशान्त पीयूष के गाना बाजी गउआं में
हमके जितइहा चुनउआ में....|

--प्रशान्त मिश्रा परधानी के चुनाव

परधानी के चुनाव

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Shubham Prajapati

पंडित चाचा अपने गावे
यादव जी बार बार गर्म हो जावे
बहिन जी पर ना कौनो बा चर्चा
पता ना कैसे बाटल गइल बा पर्चा
अब गरीबी पर मुद्दा बा गरम
लेकिन बेरोजगारी पर कवनो चर्चा ना चलल
केकर चूल्हा केने बा जलल 
टिकट बटइले के बाद  बा पाता चलल
अब त हर नेता अपने ही गावे
केहू बिजली फ्री त 
केहू पानी स्वच्छ पीलावे
इ सून सून के हमार 
कान बा पाकल
NTPC के Result के तरफ
ना केहू झाखल
हिन्दू , मुस्लिम करके इ देखिए
धर्म के नाम पर वोट बटिए
इ आपन बस रोटी सेकिए
केहू के घर मे ना दाल पाकिए।।

©Shubham Prajapati #चुनाव के दिन

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vinay vishwasi

             राजनीतिक दोहा

लंबे - चौड़े  वायदे , करते  हैं  हर   बार।

सब कुछ हैं भूल जाते,बनते ही सरकार।।१७।। #चुनाव के दोहे
#विश्वासी

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vinay singh

मिज़ाज-ए-चुनाव में हमने अजब  रंग देखे हैं ,
कुछ सत्ता में फेंकें हैं , कुछ सत्ता से फेंके गए हैं। #चुनाव
#सत्ता के रंग

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Ritesh Kumar

चुनाव के दौर में

चुनाव के दौर में

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Uttam Bajpai

सरपंची के चुनाव में।

सरपंची के चुनाव में। #शायरी

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Omprakash Sahare

             *मुर्दे आए ताव मे*

             सरपंच के चुनाव मे !
              मुर्दे आए ताव मे !
             दौरा करते गाँव मे !!

             गिरते पड़ते पाँव मे !
            इज्जत है जी दाँव मे !
            वोट करो अब भाव मे !!

     
           ✍️ ॐ प्रकाश सहारे

©Omprakash Sahare
  # सरपंच के चुनाव मे #

# सरपंच के चुनाव मे #

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Ek villain

तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव निपट चुके हैं उत्तर प्रदेश में मणिपुर के लिए चुनाव प्रक्रिया जारी है पांच राज्यों में चुनाव को लेकर बड़ी सवाल यह है कि इनमें जनादेश राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक प्रतिष्ठा को कैसे प्रभावित करेगी पिछले कुछ वर्षों के दौरान खासकर उन 2019 में आम चुनाव के बाद भाजपा को भी विधानसभा चुनाव जीतने में मुश्किल आ रही है दूसरी और मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस के बावजूद लगाकर सैकड़ों विधानसभा चुनाव के दौर में प्रतिस्पर्धा से खड़ी हुई गई है क्योंकि आम आदमी पार्टी यानी आप और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल अपने विस्तार में लगे हैं आप पंजाब में खुद को सत्ता की प्रबल दावेदारी के रूप में पेश कर रही है तो उत्तराखंड में गोवा में उसे अपना दायरा बढ़ाने की उम्मीद है इस बीच पूर्व राज्य मणिपुर त्रिपुरा और मेघालय को अपना राजनीतिक आधार बढ़ाने में जुटे हैं इतना ही नहीं गोवा में कांग्रेस नेताओं को अपने पल्ले में राज्य में मुख्यमंत्री रूप में वर्णन मूलाराम परवान चढ़ने एक विचित्र योग्य की है अपने राज्यों को छोड़ो और अपने आप की मुख्य अतिथि भाजपा से तुरंत तुरंत चुनावी राज्य में उनका लक्ष्य कांग्रेस के आधार पर से लगाना है इस बार बार विपक्षी एकता के देने के बावजूद यही है कि कानून पार्टी राष्ट्रीय विपक्ष के केंद्र में होगी

©Ek villain #चुनाव के राष्ट्रीय निहितार्थ

#selflove

#चुनाव के राष्ट्रीय निहितार्थ #selflove #Society

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Ehssas Speaker

गर्मी का पारा,
जानवरों को नहीं मिल रहा आज भी चारा
राजनैतिक दल दिखा रहे भाई चारा हैं।

हो रही हैं उमस,
आशा हैं होगी बारिश
होने लगी 2022 विधान सभा चुनाव की बात हैं।

लग रहें हैं सूचना पट,
पता नहीं ओर कितने हो ग‌एं छल कपट
मजबूत अर्थ व्यवस्था का बजट हैं,
हो रहें पास,नये-नये गज़ट ।

दिख रहे हैं काले बादल,
बारिश से होगी दल-दल
रूठ कर छोड़ रहें हैं पुराने दल
होगा अब थोड़ा दल-बदल।

आ गया हैं अब पांच राज्यों में चुनावी मौसम,
प्रचार-प्रसार में दल,अब दिखायेगें अपना दम ।

निकल जाये बरसात,
सही होगी सड़क,न हो कोई गठ्ठे
फ्री बिजली मिले,
लगेगें बिजली के लठ्ठे।

होने लगी चुनावी मौसम की बात,
गठजोड़ की बात होगी दिन-रात।

बेरोजगार मांगे रोज़गार,
फ्री के मुद्दे होगें मददगार।
जब आयेगा बसंत,
चुनावी मौसम का दिखने लगेगा अन्त।

©Ehssas Speaker होने लगी चुनावी मौसम की बात....

#चुनावों_का_दौर
#चुनाव 
#आम‌_आदमी_का_हाल
#मौसमी_चुनाव

होने लगी चुनावी मौसम की बात.... #चुनावों_का_दौर #चुनाव आम‌_आदमी_का_हाल #मौसमी_चुनाव #Poetry

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Manish Gupta

लोकतंत्र के रखवाले को मोदी जी से भय है , कम्बख्त evm evm कर रहे , क्या हार तुम्हारी तय है लोकसभा चुनाव नतीजों के व्यंग #poetrybyManishGupta

लोकसभा चुनाव नतीजों के व्यंग #poetrybyManishGupta

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Ek villain

महाभारत में सबसे बड़ा सवाल यही है कि योग्य कौन है और यदि कोई योग्य है तो उस समाज द्वारा कैसा प्रदर्शन दिया जाएगा समूचे विश्व में सामाजिक संघर्ष की एक बड़ी लड़ाई इस सवाल में ईद की ईद ही घूमती है वर्ष 1998 ब्रिटिश समाजशास्त्र और राजनीतिक माइकल यंग ने एक पुस्तक लिख दिए द राइज ऑफ़ मेरीटोक्रेसी इस पुस्तक में उन्होंने एक ऐसे समाज की बात की है जहां व्यक्ति के पद सकता और आर्थिक संपन्न उनकी योग्यताओं के आधार पर प्राप्त होंगे पश्चिमी देश में आज भी इस तरह के आंकड़ों के आधार पर योगिता को मौका दिया जाता है लेकिन इस तरह के सबसे बड़े प्रश्न यह है कि योगिता का पैमाना किसे ते किया जाए और कैसे योग्य है कौन नहीं है योग्यता का निर्धारण करते समय प्रत्येक व्यक्ति को मिल रहे अवसरों की समानता सामाजिक आर्थिक और लैंगिक असमानता के स्तर को भी ध्यान रखने में होंगे सवाल उठता है कि जिस व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास का अवसर ही नहीं मिला क्या वह आयोग माना जाएगा हमारे जटिल समाज में विवेक जाती प्रजाति धर्म बोली भाषा लिंग पर आधारित तिथियों और अनेक देशों से जुड़ी आसमा से भी किसी व्यक्ति की योग्यता का निर्धारण होता है इसी बिंदु को नकार नहीं जा सकता भारतीय संविधान के निर्माता इस बात से बहुत अच्छे से अवगत थे इसलिए उन्होंने संविधान का निर्माण करते समय अवसरों की समानता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक व आर्थिक न्याय की संकल्पना को भी

©Ek villain #योग्यता के चुनाव की पहल

#Moon

#योग्यता के चुनाव की पहल #Moon #Society

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Manju Bahuguna

# अपनी निगाहों के

# अपनी निगाहों के #शायरी

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Shiv Narayan Saxena

हाला है और पैमाना है, पीने का नहीं बहाना है.
तू निगाहों के मस्त पिला तो मुझे मयख़ाने में खो जाना है.

©Shiv Narayan BHARATEEYA निगाहों के मस्त.....

निगाहों के मस्त..... #Poetry

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Ekans Pandey

ना जाने हैं अब मुलाक़ात हो ना हो,
 जिंदगी में फिर बहार होना हो,
जाते जाते मुस्कुरा दो कम से कम,
 दोबारा इस मुस्कुराहट का दीदार हो ना हो ।।

©Ekans Pandey
  निगाहों के आगे

निगाहों के आगे #शायरी

27 Views

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Tarun Vij भारतीय

देश मे हर जगह चुनावों का शोर है, 
देश भक्ति, देश द्रोह, देश बाटने का जोर है। 
थूकते ही थे नेता जी, हम बोले संभलना जरा, 
आज कल थूक कर चाटने का दौर है।। चुनावी चुहल
#चुनाव #sosorry
#politics #election
#humour #व्यंग्य #yqdidi #हास्य_व्यंग्य
YourQuote Didi
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Pravesh Kumar singh

 आज कैन्ट उप चुनाव के नामांकन मे

आज कैन्ट उप चुनाव के नामांकन मे #nojotophoto

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Ek villain

जाति मजहब की राजनीति दोस्त गोचर शीर्षक से लिखी आलेख में संजय गुप्ता ने चुनावों में जीत और धर्म के सहारे जीतने की परी पट्टी खत्म करने की बात कही गई है विडंबना देखिए कि आजादी के 70 साल से अधिक बीत चुके हैं परंतु आज भी हमारी जातिवाद से ऊपर नहीं उठ सके हमारे यहां विकास की बातें तो बहुत कम होती है किंतु प्रदेश में विकास भी काफी हुआ है परंतु चुनाव के समय विकास का मुद्दा किनारे होकर अतिथि चुनाव जातिगत और धार्मिक समीकरणों पर ही जा जाकर टिक जाते हैं मतदाताओं को सोचना होगा कि आखिर कब तक पुराने रूढ़िवादी सोच और जातियों में उलझन रहेगी हम एक तरफ तो खूब कहते हैं कि जात पात खत्म हो परंतु 5 साल बाद जब चुनाव आते हैं और उस भेद को खत्म करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है तो फिर हम जातिगत मोह में पड़कर उसी की ओर चल पड़ते हैं कई बार ऐसा लगता है कि इस देश में सिर्फ विकसित की बदौलत चुनाव नहीं जीता जा सकता हमें राजनीति का यह जो चलन है उसे समाप्त करना होगा इसे खत्म करने का हथियार मतदाताओं के पास ही है हम इन पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में इस बार जाति धर्म से ऊपर उठकर ऐसे प्रत्याशी को जिताने जो सिर्फ देश प्रदेश और हमारे शहर के लिए विकास करने के लिए तत्पर हो जब भी यह जातिगत और धार्मिक मुद्दे चुनाव में सिर्फ उठते हैं तो अन्य जरूरी मुद्दे ही पूछने लगते हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है ताकि चुनाव विमर्श को सही दिशा में दी जा सके

©Ek villain # विकास के मुद्दों पर हो चुनाव

#fog

# विकास के मुद्दों पर हो चुनाव #fog #Society

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Ek villain

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही टिकटों की बंदरबांट और उन्हें हासिल करने के लिए दलबदल की लहर शुरू हो गई है लगभग हर बड़े लोकतंत्र में पार्टियों का अपने उम्मीदवारों के चयन निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी सदस्य और उसका इन लोगों की रहा और उम्मीदवारों की योग्यता के आधार पर करती है लेकिन भारत में ऐसा नहीं है यह पार्टी नेताओं की बात उसी की तरह चलती है इसलिए उम्मीदवारों का चयन नेता और उनके वफादारी की पसंद जाति में है स्वर्ग हैसियत बाहुबली लोकप्रियता के आधार पर किया जाता है यहां भारत का मतदान की सबसे बड़ी जाति धर्म और वर्ग क्षेत्रफल होता है और अक्सर उसी हिसाब से वोट देता है हालांकि उसकी उम्मीद होती है कि उसके चुने हुए प्रतिनिधि उसकी जाति और वर्ग के लिए काम करने के लिए साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाए वास्तव में होता है इसके विपरीत मतदाता अपने मत का प्रयोग योगिता और व्यापक जनहित के मुद्दे पर नहीं करते इसलिए उसकी जाति और ना ही उसके जीवन में कोई सुधार आता है लोकतंत्र में प्रतिनिधियों के कार्यकाल के लिए चुना जाता है ताकि काम ना करें और अपने अगले चुनाव में दिखाया जा सके अपने काम के प्रति उत्तरदाई बनाने का जो एकमात्र मतदाता के पास हो चुका है उम्मीदवार के नाम पर जाते हैं दूसरों के नाम पर आगामी विधानसभा चुनाव में भी कहानी

©Ek villain # बुनियादी मुद्दों के इंतजार में चुनाव

#makarsakranti

# बुनियादी मुद्दों के इंतजार में चुनाव #makarsakranti #Society

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Harish pal

चुनाव के समय *जनता और सरकार*
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चुनाव के समय *जनता और सरकार* hpB)..

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Ek villain

हिमाचल गठन के बाद वहां के मतदाता बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस को सत्ता में बैठा कर रहे हैं लेकिन इस बार लग रहा है हिमाचल का इतिहास बदलने वाला है प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा उनका तूफानी चुनाव प्रचार एवं डबल इंजन के नारे के साथ हिमाचल के विकास के ऐसे बिंदु है जो हिमाचल के मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं बहुत से मतदाता ऐसे भी हैं जो पीएम मोदी की साफ-सुथरी छवि को ही वोट दिया है गुजरात में भी जनता का जोड़ा भाजपा के मुकाबले मोदी की छवि से अधिक है

©Ek villain #Marriage #तार्किक विश्लेषण हिमाचल चुनाव के ऊपर

#Marriage #तार्किक विश्लेषण हिमाचल चुनाव के ऊपर #Society

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SAURABH RANA

निगाहें  निगाहों ही निगाहों में हज़ारों वार करती हो,
नज़र के तीर को हर बार दिल के पार करती हो,
मुझे तुम चाहती हो फिर ना जाने क्या मुसीबत है,
ना तुम स्वीकार करती हो,ना ही इनकार करती हो।

©SAURABH RANA # निगाहों के वार

#WForWriters

# निगाहों के वार #WForWriters

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DR. LAVKESH GANDHI

चुनाव

 चुनाव स्थगित होते ही अदावत भी भूल गए नेताजी
 जो मिलने पर दिन में तीन बार करते थे प्रणाम
 वही मुंँह फेर कर खड़े हो गए बनकर अनजान
 क्या यही है आज की राजनीति की तस्वीर
चुनाव आने पर ही पहचानते वरना तो पहचानते भी नहीं
अदावत तो दूर हाल चाल भी नहीं पूछते
चुनाव की नजाकत को अच्छी तरह से जानते
दारू और पैसे के बल पर वोट को खरीदते
चुनाव जीत जाने पर किसी को भी नहीं पहचानते

©DR. LAVKESH GANDHI चुनाव
# चुनाव का माहौल#


#hands

चुनाव # चुनाव का माहौल# #hands #कविता

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Sandeep Kumar Vyas

अब तो चुनाव होंगे,
कुछ के दबाव होंगे,
कुछ पर दबाव होंगे,
वोटों के भाव होंगे,
अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे,

अब तो चुनाव होंगे,
दलों के जुडाव होंगे,
दोगले स्वभाव होंगे,
मोल और भाव होंगे,
अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे,

अब तो चुनाव होंगे,
निकम्मों पर लगे दाव होंगे,
दिलों पर जख्म़ और घाव होंगे,
आपस में तनाव होंगे,
अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे,

अब तो चुनाव होंगे,
राक्षसों के जमाव होंगे,
कभी धूप कभी छांव होंगे,
लोकतंत्र के पडाव होंगे,
अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे,

होंगे होंगे,
अब तो चुनाव होंगे......... अब तो चुनाव होंगे,
कुछ के दबाव होंगे,
कुछ पर दबाव होंगे,
वोटों के भाव होंगे,
अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे,

अब तो चुनाव होंगे,
दलों

अब तो चुनाव होंगे, कुछ के दबाव होंगे, कुछ पर दबाव होंगे, वोटों के भाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे, अब तो चुनाव होंगे, दलों

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Future Novelist

चटकती धूप है अभी, छांव तो आने दो ।
महँगे जूते वालो को, नंगे पांव तो आने दो ।
आ जाएंगे वो फिर से तुम्हारे सगे बनकर
पहले अपने इलाके में चुनाव तो आने दो ।। चुनाव

चुनाव

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चौधरीHaRiShपूनियां

चुनाव में सिर्फ हिंदू-मुस्लिम मंदिर-मस्जिद जात-पात 
जैसे चंद शब्दों पर बैन लगा दें तो नेताओं को मिर्गी आ जाएगी प्रचार करने में..! चुनाव

चुनाव

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