फासले भी बड़ गऐ दुरिया भी बड़ गई मौत भी ना आई और झुरिया भी पड़ गई!
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Vimal Pathak
सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का
मेहनताना भी क्या खूब है
चेहरे पे झुरियाँ,
और अपनों से दूरियां। #विचार
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*Gopal Ojha*
*सारी ज़िन्दगी की भागदौड़ का मेहनताना भी क्या खूब है, चेहरे पे झुरियाँ, और अपनों से दूरियां,*
*जिन्दगी समझ आ गयी तो अकेले में मेला, और ना समझ #OpenPoetry
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सुसि ग़ाफ़िल
मैं किसी खास समंदर में था
वहां दिन रात का पता नहीं था
मैं डूबते डूबते चला गया
परंतु कहीं किनारा नहीं था
भुजाओं ने ठाना था नदियों की कमर प