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Kanhaiya Lal Kushwaha
कविता : अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! समझे कोई विस्तार नहीं , तब सार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! सुंदर वृक्षों से हरी - भरी , थी धरा तुम्हें मालूम नहीं ! पंछी गाते - मुस्काते थे , अब कहीं भी ऐसी धूम नहीं !! कुछ करने से पहले , उसका आधार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! शीतल जल था, नदियां पावन , तब मधुर हवा भी गाती थी ! है बने जहां पर भवन , वहां पर फसल कभी लहराती थी !! रुक जाती है गति नदियों की , तब धार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! जनसंख्या तक तो ठीक,मगर अब जनसंख्या विस्फोट किया ! पहले था मूल्य मगर मुझको , अब जैसे जाली नोट किया !! तम को कम करके तेजोमय , संसार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! हो गई अति अब रुक जाओ , वरना इतिहास नहीं होगा ! पढ़ जिसे गर्व महसूस करें , कुछ ऐसा खास नहीं होगा !! खुद को न खुदा समझ पाओ , अवतार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनिया , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! #Earth_Day_2020 #prathvi #earthday धार को प्रमाण यही तुलसी, जो फरा सो झरा सो बरा सो बताना,, वसुधैव कुटुंबम्,
Badal
मैं तो ना कर सका...तू ही करा दे ना रे जिन्दगी...ऐसा कमाल की वो हमेशा-हमेशा के लिए मेरी हो जाए...!! ☢ तू ही करा दे ना रे जिन्दगी...!!!
nitsmit penshanwar
आयुष्य आनंदीत जगाय साठी कोणत्याही एका विषयात पदवी घेण्याची गरज नसते... कारण आयुष्य एका विषयावर चालत नसत तर नात्यांच्या प्रत्येक विषयाचा त्यात गोड सहभाग असतो स्मितनित ©nitukolhe smitnit विषयाचा तालमेल #bachpan
somnath gawade
विजयाची ही भव्य पताका आसमंतासही देईल आव्हाने... येथील सह्याद्रीच्या कडे-कपारी शौर्याचीही स्फुर्तील कवने.. विजयाची ही पताका
विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
इश्क़ झूठा, एक दर्द है ये सच, हमें धोखा देकर चला जाता है अक्सर। पर फिर भी हम खो जाते हैं उसमें, इसे छोड़कर जीना हमें नहीं आता कहीं। जो था इश्क़, अब बस एक कल्पना है, हमारे दिल में ये दर्द हमेशा ज़िंदा है। कोई क्या जाने इस इश्क़ के अंदर, जो दिल का हाल बदल देता है अदा से नज़र। इश्क़ के झूठ में मत खो जाना, सच्चे प्यार को हमेशा साथ रखना। दिल से उठे हर एहसास को देखो, इस इश्क़ के झूठ में फिर कभी मत फसो। जिंदगी के साथ इसे सीख जाओ, इश्क़ के झूठे सपनों को तुम भूल जाओ। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) जागो रे रे........
Mujaheed Jamadar
अगर धारा को सागर सा विशाल होना है तो अपने अस्तित्व को सागर को समर्पित करना होगा अगर सागर को निर्मल होना है तो अपने अस्तित्व को समर्पित कर भांप बना होगा अगर भांप को फिर धरा से मिलना है तो अपने अस्तिव को समर्पित कर धारा बना होगा ये पूरा खेल समर्पण का है अगर मनुष्य को प्रेम का अर्थ समझना है तो पहले खुद को प्रेम में समर्पित करना होगा #Morning #सागर #समंदर #प्रेम #मनुष्य #समर्पित #धारा #धरा