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Dhananjay(dhanuj) Sankpal
#कवी'धनूज_ तू नकोस बोलू , मीही बोलत नाही, मिळूदे उजाळा आठवणींना.. तुझा आभास कागदावर, बनवूनी तुला कविता.. लेखनी आसू ढाळते शाई, शांत निस्तब्ध भेटिची राई.. तू नकोस बोलू , मीही बोलत नाही. _लेखक'कवी- (धनंजय संकपाळ) #धनूज | रंग मनाचे. तू नकोस बोलू , मी ही बोलत नाही..
Dileep Kumar
हैलो कौन..! रॉग नंम्बर से मेरे पास आया मिसकॉल... कॉल नंम्बर से लगाकर... मैंने बोला---हैलो कौन...! वो बोली--- हम बोल रहे है..! मैंने बोला---कौन..! वो बोल
abhishek Mekale
आपली मुले शिकुन मोठे व्हावे येवढेच आईवडिलांचे स्वप्न असते.. ©abhishek Mekale # विचार करा तुम्ही,काही खोटं बोलतो आहे का मी...
yogesh atmaram ambawale
आठवणी आहेत म्हणून, प्रेम आहे आपुलकी आहे तर कुठे मनी दया आहे. आठवणी आहेत म्हणून, राग आहे द्वेष आहे तर कुठे मत्सरी काया आहे. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे आठवणी... #आठवणी१ चला तर मग लिहूया. #collab #yqtaai #YourQuoteAndMine
Sidhu Sidhu
एक बार की बात हैं, एक किसान ने अपने पड़ोसी को भला बुरा कह दिया। लेकिन कुछ दिन बाद उसे अपनी इस गलती का एहसास हो गया। लेकिन वापस सुलह कैसे करें, इसकी सलाह लेने के लिए एक संत के पास गया। किसान ने संत से कहा, “मैं अपने पड़ोसी को कहे हुए बुरे शब्द वापस लेना चाहता हूँ। आप कोई रास्ता बताइये।” तो संत ने किसान को बहुत सारे पंख देते हुए कहां, “जाओ, इन सब पंख को शहर के बीचो बीच चौराहे पर जाकर रख के आ जाओ।” किसान ने संत के कहे अनुसार पंख रख कर आया और वापस संत के पास पहुंच गया। अब संत ने कहा, “अब वापस वहां जाओ औऱ सारे पंख समेट कर मेरे पास ले आओ।” किसान वापस वहां चौराहे गया, जहां उसने वो पंख रखे थे। लेकिन उसने जाकर देखा तो पाया कि वहां एक भी पंख नहीं बचा। सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ गए। अब किसान वापिस खाली हाथ लौट कर संत के पास आया और सारी घटना उनको बता दी। तब संत ने समझाया, “यही घटना तुम्हारे शब्दों के साथ भी होती हैं। तुम अपने मुंह से उन्हें आसानी से निकाल तो देते हो। लेकिन उन्हें वापस नहीं ले सकते। तुम वापस उस आदमी से जाकर माफी तो मांग सकते हो लेकिन उसके दिल के अंदर कहीं ना कहीं चोट जरूर लगी रहती हैं। जो वह कभी नहीं भूल पाएगा।” ©Sidhu Sidhu बोले सब्द वापिस नही आते
Anuj Ray
, जो मेरे चक्कर में पड़ता, उसको नानी याद करा देती हूं,,।। हां, बोलो तुम कुछ बोल रहे थे... ©Anuj Ray बोलो तुम कुछ बोल रहे थे