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Neeraj Kumar

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

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FAUJII SHIVA GANESH

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥Faujii Shiva Ganesh।।९६२५६८५८५६🙏🙏🙏

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Ashutosh Bharti

Life is most precious gift from the warrior We know as mum As famous saying is जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी। अर्थात, जननी और जन्मभूमि

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Life is most precious gift from the warrior 
We know as mum
As famous saying is 
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।

 Life is most precious gift from the warrior 
We know as mum
As famous saying is 
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।
अर्थात, जननी और जन्मभूमि

Dr Jayanti Pandey

सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।आइए संकल्प लें कि हम अपने देश का, अपनी इस मातृभूमि का हर विधि उत्थान करने का प्रयत्न करते रहें #yqbaba #yqdidi #yqhindi #jayakikalamse

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लाखों  की  कुर्बानियों के बाद मिली है स्वतंत्रता
सदियों की तपस्या से उपजा प्रसाद है स्वतंत्रता।

पहले देश फिर अन्य भाव; जब तक रहेगा कायम 
तभी तक अक्षुण्ण , चिर युवा, निर्बाध है स्वतंत्रता।

मातृभूमि को प्रथम पूज्य मानकर यदि हम चलेंगे ,
देश के सपूत वन देश हित के लिए हर कर्म करेंगे।

कोई बैरी , कोई धूर्त,  कुछ भी बिगाड़ नहीं पाएगा 
जब सभी देशवासियों के हृदय का राग है स्वतंत्रता।

याद रखना है हमेशा,जश्न ए आजादी हम मना रहे
देश उतना ही समर्थ है , जितना हम उसे बना रहे। सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।आइए संकल्प लें कि हम अपने देश का, अपनी इस मातृभूमि का हर विधि उत्थान करने का प्रयत्न करते रहें

Ankur tiwari

जबसे आंखों को खोला है तबसे तुझको ही पाया है दादी की कहानी में, मां की लोरी में तुझको पाया है जब कंधे पर बाबा के बैठ मैं पूरा मेला घुमा करता #कविता #Hindidiwas

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जबसे आंखों को खोला है तबसे तुझको ही पाया है
दादी ने कहानी में, मां ने हर लोरी में तुझको गाया है
जब कंधे पर बाबा के बैठ मैं पूरा मेला घुमा करता था
तब भी तुझे अपने चारो ओर सुनता और समझता था
पापा की बातो में तुम थी, दोस्तों के मस्ती में तुम थी
हर एक गली हर कूचे हर घर हर बस्ती में ही तुम थी
तुमको बोला है बचपन से तुमने जवानी तक साथ दिया
जब जब कुछ ना मैं समझा था तूने ही मेरा साथ दिया
फिर बोलो कैसे आज के दौर में साथ तुम्हारा छोड़ दू मैं
इस अंग्रेजी के चक्कर में कैसे हाथ तुम्हारा छोड़ दू मैं
रग रग में मेरे बसी हुई हो तुमको छोड़ नही सकता हूं
हिंदी को नजरंदाज कर मै अंग्रेजी बोल नही सकता हूं
अंकुर तिवारी 'अंजान'

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©Ankur tiwari जबसे आंखों को खोला है तबसे तुझको ही पाया है
दादी की कहानी में, मां की लोरी में तुझको पाया है
जब कंधे पर बाबा के बैठ मैं पूरा मेला घुमा करता
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