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Guddu Kumar Das

छातिया मुकाबला रानी लागे करेजवा #न्यूज़

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- देख लो लाडले अब कमाने चले । छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१ देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े । #शायरी

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ग़ज़ल :-

देख लो लाडले अब कमाने चले ।
छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१

देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े ।
आज किस्मत वही आजमाने चले ।।२

क्या गुजारा न होता घरों में कभी ।
जो बेटे बदलने अब ठिकाने चले ।।३

बेटियाँ माँ पिता के लिए गैर थी ।
आज बेटे पराया बनाने चले ।।४

भेजकर आज बेटे को परदेश में ।
आज फिर आप आँसूँ बहाने चले ।।५

दुख तुम्हारा यहाँ कौन समझे बता ।
जो कलेजे के टुकड़े दिखाने चले ६

फट गई छातियाँ आज माँ की प्रखर ।
बेटे रोके जो किस्सा सुनाने चले ।। ७

१२/०२/२०२४।   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

देख लो लाडले अब कमाने चले ।

छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१


देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- देख लो लाडले अब कमाने चले । छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१ देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े । #शायरी

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ग़ज़ल :-

देख लो लाडले अब कमाने चले ।
छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१

देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े ।
आज किस्मत वही आजमाने चले ।।२

क्या गुजारा न होता घरों में कभी ।
जो बेटे बदलने अब ठिकाने चले ।।३

बेटियाँ माँ पिता के लिए गैर थी ।
आज बेटे पराया बनाने चले ।।४

भेजकर आज बेटे को परदेश में ।
आज फिर आप आँसूँ बहाने चले ।।५

दुख तुम्हारा यहाँ कौन समझे बता ।
जो कलेजे के टुकड़े दिखाने चले ६

फट गई छातियाँ आज माँ की प्रखर ।
बेटे रोके जो किस्सा सुनाने चले ।। ७

१२/०२/२०२४।   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

देख लो लाडले अब कमाने चले ।

छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१


देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े ।

Dakshina Devi Gajurel

एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। #कविता

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एउटा मौका उ संग माग्थे
================
आज धेरै दिन भयो  आमा, देब्रे पाटो दुखेको
काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन
पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! 
यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले
किनकि तिमि थिएउँनित आमा
वीरको वारेमा छरेको तोरि
पहिलात मैले टिपेर ल्याएको अनि
किटको कराइमा तिमिले गदगद पकाएको स्वाद
अझै आलोनै छ आमा वीरेलेेे पिसाएर  ल्याएको त्यही तोरीको तेलले चपचिल्लेइ मालिस गरि दिएकी थिएँउ 
जिउभरि अंगेनाको छेउमा बसेर तिम्रा न्यानो हातले। 
कतै केहि लागेको पो हो कि ?
 आतिदै कति धाएउ धामि र जोखाना
अचम्म लाग्द थियो तिम्रो माया देखि 
घर धन्दा सवेइ सकि
इष्ट मित्र सवेइलाइ राखि
कसरि गरदथिए्उ आमा एकछिन पनि न थाकि
शुकवारे गइ रकति र भूडि 
हपतेइ खुवाउथैउ परपरि भूटि
पईसा त आमा निकै नि पाउथेउ 
जागिर आखिर तिमि पनि गरथेउ 
सुन लाउने रहर कहिलेइ पोखिन्उ 
जै गर्ने  मन छ गरदेइ जाउ छौरि 
संस्कार  अर्ति कतिधेरै गरि
सुटुक्क आफू किन गएउँ एसरि
कर्तव्य मेरो गर्नुपर्ने थियो
छाति तिम्रो दुखत सुमसुम्याउने अधिकार खौत दिएउ? 
एक्लै कतेइ नजाने तिमी 
त्यो घरलाई छोडी कसरि गएउ.!!! 
देब्रे पाटो दुख्यो, आसुँने झरो
सम्झना तिम्रो कति धेरै आयो
निदाउन खोज्दा छटपट भयो
तस्विर आमा तिम्रोने आयो
एकान्तमा सिरानी भिज्यो 
तोरीको तेलत आजपनि आयो
काखको तातो हातको। न्यानो कता विलायो
याद जब आउछ तस्वीर तिम्रो छाउँछ
मुगुको रोग भित्र पालेर
कसरि हासेर आमा, कसरि बसेउ?
कहिल्यै केहिनभएझै निरोगी वनेर
बिहानीपख दाहिने छाति दुःखत बाडुली मलाइ लागेन
खोइ किन आमा? 
आमा कि आमा मपनि हुन्थे
दुखको छाति मायाले चुम्थे
के भन्ने थिए एकैपल्ट सुन्थे
तोरि होइन तिलतेल लगाई मालिस म गर्थे 
मुखले तिमी लाई म स्वास दिनथै
काललाई सायद विन्तनै गरथै
एउटा मौका उसंग माग्थे 
आमा लाई अहिले नलौइजा भन्थे
आखिर इच्छा जाहिर गर्दै, सायद 
तिमिलाई मईले फर्काएर ल्याउँथे 
दुखको पाटोमा तिम्रो स्पर्श पाउँथे 
सूपचौसुर हालि पकाएको पुबा
तिम्रो हातले म आज खान्थे 
टाउको तिम्रो काखमा राखि
ढुक्कले म कति निधाँउथे
चोरि अम्लो समाति जाँ गएपनि
संगेइ जान्थे, अरूले आरिस गर्ने गरि
मैले माया कतिधेरै पाउथे 
एउटा मौका उ संग माग्थे । 2

                          दक्षिणा देवी गजुरेल, ठेलामारा ।
                             तेजपुर (असम) 
                      ====================== एउटा मौका उ संग माग्थे
================
आज धेरै दिन भयो  आमा, देब्रे पाटो दुखेको
काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन
पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे।

arun dhuwadiya

अन्याय हुआ कह के पिटे छातियाँ अपनी। ये लोग वहीं लाये है अब लाठियाँ अपनी। कुछ लोग मेरा देश जलाने में लगे है। कुछ लोगों ने सेकी है यहां रोटिय

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अन्याय हुआ कह के पिटे छातियाँ अपनी।
ये लोग वहीं लाये है अब लाठियाँ अपनी।

कुछ लोग मेरा देश जलाने में लगे है।
कुछ लोगों ने सेकी है यहां रोटियाँ अपनी।

आओ न कोई काम अभी ऐसा करे हम।
बेख़ौफ़ वतन में रहे फिर बेटियाँ अपनी।

मेरी शिखा से जल गए कुछ लोग विरोधी।
प्यारी थी जिन्हें जान से भी टोपियाँ अपनी।

वो धर्म पे इल्जाम लगाने लगे साहिब।
जिनसे न छुटी खून सनी कुर्सियां अपनी।

अब तंग समझ बन गई है बेड़ियां जिनकी।
कसते ही चले जा रहे वो बेड़ियाँ अपनी।

मिल बांट के कोई भी नहीं खाता है घर में।
हर कोई ले के आ गया है थालियां अपनी।

है फिक्र उसे सारे वतन वालों की *आशू*।
कुछ लोग तो पीटेगें फ़क़त ढपलियाँ अपनी।

आशू रतलाम अन्याय हुआ कह के पिटे छातियाँ अपनी।
ये लोग वहीं लाये है अब लाठियाँ अपनी।

कुछ लोग मेरा देश जलाने में लगे है।
कुछ लोगों ने सेकी है यहां रोटिय

VATSA

#bharat 2020 #newyear #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #Hindi #India ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो  पुरखे सुनाते थे हमें कहानिया

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ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो

पुरखे सुनाते थे हमें कहानिया जो इस देश की
प्रेम के इस देश में बस प्रेम ही बुनियाद हो
ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो 

फिर कोई ‘पंडित’, ‘बिस्मिल’ बुलाए ख़ुद को 
फिर कोई, ‘चंद्रशेखर’ यहाँ, ‘आज़ाद’ हो 
ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो 

जहाँ कोई बेटी ना भीख माँगे, अपने अबरू की 
जहाँ इंसान बसते हो, ना कोई भी जल्लाद हो 
ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो 

फिर कोई ‘भगत’ अपने मुल्क को महबूब कहे 
दिल धड़के, भले ना चौड़ी छातियाँ फ़ौलाद हो 
ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो 

ना हिंदू जन्मे यहाँ, ना कोई मुसलमान जन्मे 
अबकी साल जो जन्मे, वो इंसान की औलाद हो 
ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो #bharat #2020 #newyear #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindi #india 

ख़ुश रहे वतन मेरा ,हर दिल यहाँ आबाद हो 

पुरखे सुनाते थे हमें कहानिया

Divyanshu Pathak

:💕🙅 हमारी गिनती औरतों में करें..... देह का व्यापार हो गलियों की मद्धिम बत्ती में हो रही हो खरीद फरोख्त घर का बिस्तर हो रसोई के धुवें में ज #shweta #seema #deepali #komal #शैलजा #Mridula

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स्त्री की पीड़ा...........
:
#शैलजा पाठक
आपको जब भी पढ़ता हूँ !
स्तब्ध रह जाता हूँ !
संघर्ष कर रही मेरी मातृ शक्ति को प्रणाम !
:
यह पोस्ट डालने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि ये भी एक चिंतनीय विषय है ।
 :💕🙅
हमारी गिनती औरतों में करें.....

देह का व्यापार हो
गलियों की मद्धिम बत्ती में हो रही हो खरीद फरोख्त
घर का बिस्तर हो 
रसोई के धुवें में ज
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