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Gurudeen Verma

शीर्षक - माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
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माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो।
बहुत हसीन हो तुम, एक माहताब हो।।
माशा अल्लाह तुम-------------------।।

गुलाब जैसे लब तेरे, आँखें तेरी मधुशाला है।
हंसी तेरी फूलों सी है, फूलों सा तुम शबाब हो।।
माशा अल्लाह तुम-------------------------।।

लहराती तेरी ये जुल्फें, लाती है दिल में बहार।
कशिश है तेरे चेहरे में, तुम मीठी एक शराब हो।।
माशा अल्लाह तुम--------------------------।।

कमाल है तेरी अदायें, मस्ती है इनमें मौजों सी।
मकबूल हो तुम जमीं पर, दीवानों का तुम ख्वाब हो।।
माशा अल्लाह तुम--------------------------।।

बनाया होगा खुदा ने, तुमको फुरसत में ही।
मूरत हो तुम प्रेम की, मोहब्बत की तुम किताब हो।।
माशा अल्लाह तुम----------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद 
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - आजा रे अपने देश को
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आजा रे अपने देश को।
तू छोड़कर परदेश को।।
नहीं तोड़ हमसे तू रिश्ता।
नहीं भूल अपने देश को।।
आजा रे अपने----------------।।

सूना है घर का ऑंगन, तेरे बिना।
खिलती नहीं कलियां, तेरे बिना।।
नहीं गाते गीत पंछी, तेरे बिना।
आजा रे अपने----------------।।

करती है याद तुमको, तेरी माँ।
रोज देखती है, वह तेरी राह।।
पूछती है तेरी खबर, तेरी माँ।
आजा रे अपने----------------।।

बीमार बापू है तेरा, तेरी याद में।
खबर उसकी नहीं ली, तूने बाद में।।
अब तो तू आकर जी, उनके साथ में।।
आजा रे अपने--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
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तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार।
कब तक करेंगे ऐसे, हम तेरा इंतजार।।
कैसे कहे कि मिलने, आयेगा तू हमसे।
कैसे माने तुमको है, हमसे  सच्चा प्यार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।

क्या निभायेगा हमसे, अपनी तू वफायें।
नहीं करेगा फिर से, ऐसी तू खतायें।।
हो जाये टुकड़ें, इस दिल के कभी अगर।
कैसे माने, नहीं तोड़ेगा तब तू इकरार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।

सीने से तुमको लगा ले, लेकिन हम।
बाँहों में तुमको भर ले, लेकिन हम।।
डरते हैं  छोड़ देगा तू , हमको अकेला।
ऐसे में करें कैसे, तुमसे हम इजहार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।

कौन हमको देगा, पनाह बदनामी में।
कौन हमको देगा, दुहायें बदनामी में।।
हो जायेगी बर्बाद जब, जिंदगी हमारी।
देने में हमको सहारा, कर दे तू इन्कार।।
तेरा हम परदेशी-----------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक- खत पढ़कर तू अपने वतन का
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खत पढ़कर तू अपने वतन का।
जल्दी आना अपने वतन को।।
करती है याद मातृभूमि तेरी।
मिलने आना अपने वतन को।।
खत पढ़कर तू -------------------।।

खेला करता था कभी, तू इसकी गोद में।
सँग कभी हँसता था इसके, तू इसकी मौज में।।
इसके फूलों की खुशबू , तुमको बुलाती है।
इसलिए चले आना, तू अपने चमन को।।
खत पढ़कर तू -----------------------।।

इसके जैसा नहीं मिलेगा, तुमको प्यार कहीं।
इसके जैसा नहीं मिलेगा, तुमको सम्मान कहीं।।
इसके अहसान सच में, तुम पर बहुत है।
तू चले आना चुकाने, इसके अहसान को।
खत पढ़कर तू --------------------------।।

देख कैसे लुट रहा है, यह तेरा वतन यहाँ।
देख कितना रो रहा है, यह तेरा चमन यहाँ।।
बर्बाद नहीं होने दे तू , अपने चमन- देश को।
तू चले आना बचाने, देश के सम्मान को।।
खत पढ़कर तू -------------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद 
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफरत
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चाहे हमको करो नहीं प्यार, चाहे करो हमसे नफ़रत।
 लेकिन तुम करना नहीं, हमको कभी भी बेइज्जत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार --------------------।।

मानेंगें हम बात तुम्हारी, लेकिन वह पसंद हो हमको।
और नहीं हो इसमें भी, तुम्हारी कभी भी कोई शर्त।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।

तोड़ दे उनसे कैसे वास्ता, जिनसे हमारा है लहू का रिश्ता।
हम तो रहेंगे उनके साथ भी, उनकी है हमको जरूरत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।

चेहरा हमारा यही है असली, इसपे पर्दा क्यों करना।
शौकीन नहीं हम नकाब के, चाहे कहो तुम बदसूरत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार --------------------।।

यह बस्ती ,यह हस्ती हमको, जान से भी प्यारी है।
यही हमारी पहचान है, चाहे हमको समझो बदकिस्मत।।
चाहे हमको करो नहीं प्यार ---------------------।।



शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - आज बाजार बंद है
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रौनक नहीं आज बाजार में।
फैली है अफवाह बाजार में।।
खुली है सिर्फ कुछ ही दुकानें।
बाकी है बन्द किसी बहाने।।
आज सभी का काम बंद है।
आज बाजार बंद है।।-(4)
रौनक नहीं आज-------------------।।

बाजार है बन्द जिनके कहने से।
आते नहीं बाज वो लड़ने से।।
मरता है इसमें जो भी इंसान।
कौन है उसका आखिर भगवान।।
दिमाग़ों पे छाई जो धुंध है।
आज बाजार बन्द है।।-(4)
रौनक नहीं आज-------------------।।

फौज बुलाई है अमन के लिए।
आखिर कौनसे दुश्मन के लिए।।
मरते हैं इसमें हर मजहब के।
रिश्तें हैं फिर किस मतलब के।।
गोदाम नहीं खाली अमीरों के।
जलते नहीं चूल्हे गरीबों के।।
इसमें खुश दिल सिर्फ चन्द है।
आज बाजार बन्द है।।- (4)
रौनक नहीं आज-------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गीतकार
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