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Rahul pareek(RP)
मै कैसे तुझसे मेरे सवाल पुछु,, यु बहकती फिज़ाओ में कैसे मै तेरा हाल पुछु,, बस कोशिश रहती हैं रहु दरमियान तेरे,, ताकि कुछ तो तुमसे मै भी सवाल पुछु,, तुम भी तो जानो मेरे बीते कल का हिसाब,, यु बदलकर मिजाज तुमने अच्छा ना किया,, मेरे यु कवि बन जाने का सवाल तो पुछु,,, मेरी बदली जिंदगी का इल्जाम क्या था,, तुमने मुँह ही फेर लिया मुझसे, तो बताओ मुझ पर आशिक़ होने का इल्जाम क्यों था ,,, अगर हैं आसिकी गुनाह तो अब मै तुमसे सवाल तो पुछु,,, अब तुम ही बताओ कैसे मै तुमसे मेरे सवाल पुछु...... मै मेरी कोकी से अब सवाल ही पुछु,, क्यों छोड़ दिया अकेला मुझे तुमने,, मै बस तुम पर लगा ये इल्जाम ही पुछु,,, बताओ मुझे क्यों छोड़ा अकेला,, बस तुम पर लगा ये इल्जाम ही पुछु RP सवाल पुछु by RP
Nagvendra Sharma( Raghu)
तु कहे तो इक बात पुछु, कुछ मधुर-मय जज्बात पुछु, क्या मेरी माँ को "माँ" कहेगी तु..?, साथ निभाने के ख्यालात पुछु ।। #तु कहे तो इक #बात पुछु, कुछ #मधुर-मय #जज्बात पुछु, क्या मेरी #माँ को "माँ" कहेगी तु..?, साथ निभाने के #ख्यालात पुछु ।। #nagvendrasharma #py
Asif Raza
पयास क्या होती है कोई रेगिस्तान से पुछु हरयाली क्या होती है कोई रेगिस्तान से पुछु गर्मी क्या होती है कोई रेगिस्तान में पीरों से पुछु
Anand Mohan Jha
एक बात पुछू, अगर मैं ना रहू तो। तुझे कोई कमी तो नही होगी ना। मेरे जाने के बाद। तेरी आँखों में नमी तो नही होगी ना।। एक बात पुछु , अगर मैं ना रहू, तो तुझे कोई कमी तो नही होगी ना। मेरे जाने के बाद तेरे आंखो में नमी तो नही होगी ना #Poetry #Amj #Nojoto
words_of_heart_pa
एक चेहरे से उतरती है नकाबे कितनी लोग कितने हमें एक शक्श में मिल जाते है वक़्त बदलेगा तो इस बार मैं पुछुंगा उस से तुम बदलते हो तो क्यूँ लोग बदल जाते हैं 🙏 ©words_of_heart_pa एक चेहरे से उतरती है नकाबे कितनी लोग कितने हमें एक शक्श में मिल जाते है वक़्त बदलेगा तो इस बार मैं पुछुंगा उस से तुम बदलते हो तो क्यूँ लोग
ittu Sa
ना जाने क्यों... ये वक्त मुझे अब भी गिरने में लगा रहता हैं, गिरा कर .. हँसता हैं मुझपर। ये वक़्त... चाहता क्या हैं? कभी बताता नहीं। मुझे ही क्यों गिरता हैं?, पुछु कैसे ? कभी मिलता नहीं। क्या करूँ... इस वक्त का मैं क्या करूँ? ~इत्तु सा... इत्तु सा पैग़ाम वक्त के नाम। ना जाने क्यों... ये वक्त मुझे अब भी गिरने में लगा रहता हैं, गिरा कर .. हँसता हैं मुझपर। ये वक़्त... चाहता क्या
ittu Sa
बरसों अँधेरे में पड़ा रहा, बसेरा भी मुझसे खफ़ा था, उजाले का पता कहाँ से लाऊँ , किनारे ने भी साथ छोड़ा था। खफ़ा मैं किसी ओर से नहीं, खफ़ा तो मैं खुद से था। सजा कुछ ऐसी मिली कि बरसों भटक रहा , उस रास्ता जहाँ उम्मीद ने दम तोड़ा था । आज उसकी क़ब्र का रास्ता मिल गया, जहाँ दफ़न हैं वो उम्मीद, जिसने कभी हकीकत का ख़्वाब सजाया था। उजड़ा गया सब कुछ ,देखने को अब बचा क्या हैं। किस गुन्हा की सजा मिली , अरे ख़्वाबों में भी कोई गुन्हा ना किया था। किस से पुछु , आखिर किस से पुछु मैं, यहाँ घुरती हुई आँखों में भी सनाटा बसा हैं। ©ittu Sa इत्तु सा पैग़ाम बिखरी उम्मीद के नाम। बरसों अँधेरे में पड़ा रहा, बसेरा भी मुझसे खफ़ा था, उजाले का पता कहाँ से लाऊँ , किनारे ने भी साथ छोड़ा था।
piyu pandey
----------(नारी जीवन)-------- कितनी गिरहें खोली है मैंने कितनी अब भी बाकी है पांव पे पायल, बाँह में कंगन गले में हँसली,
राजदीप मौर्य
एक लड़की हैं जिसको मैं जानता हूँ, उसे अपनी जान मानता हूँ, मिला था उससे जब पहली दफ़ा, वो बिल्कुल ऐसी न थी, प्यार मोहब्बत में आ कर वो बदल सी गयी है, दो शब्दो मे दुनिया उसकी सिमट सी गयी है, अब कुछ भी पूछो उससे बस वो ‘अच्छा जी’ ही कहती हैं, इन दो शब्दों में ही अब वो जीती मरती है। हर पल सोचा करती है, कुछ डरी सहमी सी भी रहती है , कुछ राज छिपाय मन में है, कुछ बात दबाये दिल मे है, हर वक़्त उदासी छाती है, खुश फिर भी सबको दिखलाती है, जान मुझे बतलाती है, पर गर पुछु उससे कुछ भी मैं, ‘अच्छा जी’ में ही सर को हिलती हैं……. घर की ज़िम्मेदारियों को उठाती हैं, पत्नी होने का हर फ़र्ज़ भी निभाती हैं, उसे अपनी परवाह बिल्कुल भी न है, दौड़ा भागी में खुद का ख्याल बिल्कुल भी न रख पाती है, रोती है रातो को,गर बात कुछ मेरी उसको बुरी लग जाती है, मैं खुद को कुछ बोलू तो उल्टा मुझसे लड़ने लग जाती है, अंदर से कमजोर है जानता हूं मैं, पर दुनिया को मजबूत दिखती है, गर पुछु उससे कुछ भी मैं, ‘अच्छा जी’ में ही सर को हिलती हैं…….राजदीप एक लड़की...। एक लड़की हैं जिसको मैं जानता हूँ, उसे अपनी जान मानता हूँ, मिला था उससे जब पहली दफ़ा, वो बिल्कुल ऐसी न थी, प्यार मोहब्बत में आ कर