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Ek villain
जाति मजहब की राजनीति दोस्त गोचर शीर्षक से लिखी आलेख में संजय गुप्ता ने चुनावों में जीत और धर्म के सहारे जीतने की परी पट्टी खत्म करने की बात कही गई है विडंबना देखिए कि आजादी के 70 साल से अधिक बीत चुके हैं परंतु आज भी हमारी जातिवाद से ऊपर नहीं उठ सके हमारे यहां विकास की बातें तो बहुत कम होती है किंतु प्रदेश में विकास भी काफी हुआ है परंतु चुनाव के समय विकास का मुद्दा किनारे होकर अतिथि चुनाव जातिगत और धार्मिक समीकरणों पर ही जा जाकर टिक जाते हैं मतदाताओं को सोचना होगा कि आखिर कब तक पुराने रूढ़िवादी सोच और जातियों में उलझन रहेगी हम एक तरफ तो खूब कहते हैं कि जात पात खत्म हो परंतु 5 साल बाद जब चुनाव आते हैं और उस भेद को खत्म करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है तो फिर हम जातिगत मोह में पड़कर उसी की ओर चल पड़ते हैं कई बार ऐसा लगता है कि इस देश में सिर्फ विकसित की बदौलत चुनाव नहीं जीता जा सकता हमें राजनीति का यह जो चलन है उसे समाप्त करना होगा इसे खत्म करने का हथियार मतदाताओं के पास ही है हम इन पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में इस बार जाति धर्म से ऊपर उठकर ऐसे प्रत्याशी को जिताने जो सिर्फ देश प्रदेश और हमारे शहर के लिए विकास करने के लिए तत्पर हो जब भी यह जातिगत और धार्मिक मुद्दे चुनाव में सिर्फ उठते हैं तो अन्य जरूरी मुद्दे ही पूछने लगते हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है ताकि चुनाव विमर्श को सही दिशा में दी जा सके ©Ek villain # विकास के मुद्दों पर हो चुनाव #fog
Writer Vikas Aznabi
टूटना हैं, बिखरना हैं बिखर के फिर से सवरना हैं........ "विकास" इतनी जल्दी तु क्यूँ हार मानता हैं...... अभी तो तुझे अपने सपनो को हकीकत करना हैं........ ------------/!/----------- - विकास ✍️ #विकास के सपने
Saddam
मानविय विकाश और देश के विकास के लिए हम मांग करते है देश मे अच्छे स्कूल अच्छे अस्पताल हो जिससे की हमारा देश तरक्की करे ##एकइंसान मानविय विकाश और देश के विकास के लिए हम माग करते है देश के विकास के लिए अच्छे स्कूल अच्छे अस्पताल हो मंदिर-मस्जिद नही ##एकइंसान
Ajay Kumar
मोदी सरकार के विकास के एक रूपरेखा।
Vikas Sahni
हम दोनों न मिलकर भी एक हो चुके हैं क्योंकि मेरा दिल दर्द तेरा, क्योंकि कवि मैं, कविता तू। ...✍विकास साहनी ©Vikas Sahni #एक#हो#चुके#हैं#विकास#साहनी #Love
vikas Mourey
कुछ तो है ऐसा खास जिसे खो रहा हूं मैं। आज एक बार फिर अपनों से ही तनहा हो रहा हूं मैं। ओर ये आईने की मजाल तो देखो, सब जानते हुए भी मुझसे कहता है कि क्यों अपनी पलकों को आंसुओं से भिगो रहा हूं। कुछ तो है ऐसा खास जिसे खो रहा हूं मैं। ©vikas Mourey विकास के अल्फाज कलम के रंग✍✍ #lost
Karb e Ehsaas
कुछ दिनों में ही इतने करीब हो गए । के खरीद उनकी मुहब्बत हम गरीब हो गए । -विकास पाल कुछ दिनों में ही इतने करीब हो गए । के खरीद उनकी मुहब्बत हम गरीब हो गए । -विकास पाल
Vikas sharma
|| कहीं देर ना हो जाए || शिकवा गिला जो भी है वहीं छोड़ आगे बढ़ते चले हर रिश्ते की क्यों ना शुरुआत, शुरू से करते चले मिल जाता है जब भी वो कहीं यूं ही दिल के जो भी है जज़्बात ,क्यों ना उनसे कहते चले चैन मिलता है उस दिन जब दिख जाता है वो बेचैनियां कितनी है उनके बिन क्यों ना उन्हें ये दिखाते चलें कदर नहीं है उनको इन एहसासों की मेरे हर क़िस्से को हँस के हँसी में वो उड़ाते चले बात उनकी है वह अपना जाने हम तो अपने हिस्से का प्यार उन पर लुटाते चले अनजान बन दूर बैठे हैं महफिल में की नजर से नजर ना मिले हम भी सामने आ बैठे हैं ज़िद में की देखते हैं कैसे अब नजर से नजर ना मिले इश्क हो रहा है अब उन्हें भी हमसे कि खुद के दिल से वो नाक़ाम होते चले जा रहा हूं दूर कि,अब ये सफर खत्म होने को है आख़िरी बार उनसे हम अब दुआ-सलाम करते चले @विकास #LastDay @कहीं देर ना हो जाये #विकास शर्मा
Vikas Sahni
ऐसा कैसे हो सकता है कि कविता कभी न मिलो मुझे तुम। वो जो सुबह-सुबह दिल दुखता है, क्या काफ़ी नहीं है वह, क्या नहीं है वह सच्चे स्नेह का संकेत? दिल का खेत बंजर हो चुका है! मिलन के पौधे ठूँठ में बदल गये हैं। गुलाब के कुसुम को हाथ लगाया तो चुभ चुका काँटा, नफ़रत करने लगा है गुलाब का कुसुम। ऐसा कैसे हो सकता है कि कविता कभी न मिलो मुझे तुम।। ...✍विकास साहनी ©Vikas Sahni #ऐसा#कैसे#हो#सकता#है#विकास#साहनी #womensday2021