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Asha Giri

प्रिय अंजान मित्र तुम्हारे घुमावदार पत्र मिलते रहते है अक्सर। उसी तौर पर तो हम बात करते है। ना मै चाहती हूँ तुम्हारी ओर दोस्ती का हाथ बढाना #paidstory

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प्रिय, 
अंजान मित्र। प्रिय 
अंजान मित्र
तुम्हारे घुमावदार पत्र मिलते रहते है अक्सर। उसी तौर पर तो हम बात करते है। ना मै चाहती हूँ तुम्हारी ओर दोस्ती का हाथ बढाना

Sudipta Mazumdar

#यत्र नारी पूज्यंते तत्र रमंते देवा: यत्र तू एता: न पूज्यंते तत्र भवन्ति विनाशा: #standAlone

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जहां नारी का होता है वास
वहां सुखों का होता है आकाश

जहां नारी का होता नहीं सम्मान
वहां सबका  होता है बिनाश

नारी जहां वहां लक्ष्मी का निवास
जहां नारी नहीं वहां दुखों का है संसार

©Sudipta Mazumdar #यत्र नारी पूज्यंते तत्र रमंते देवा:
यत्र तू एता: न पूज्यंते तत्र भवन्ति विनाशा:
#standAlone

Ranjit Kumar

#यत्र नार्यस्तु पूज्यंते #रमंते तत्र देवता। #विचार

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Shipra Pandey ''Jagriti'

आगे बढ़कर देखो ये घुमावदार मोड़ कैसा है..? #Messageoftheday

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#MessageOfTheDay यूँ दूर तलक क्यूँ देखते हो,
इतने इत्मिनान से..? 
जीवन हो या कि सफ़र
जितना सुलझा हुआ दिखे
उतना ही उलझा होता है भीतर तक
उलझे जनों और पथरीली राहों को 
कौन सोचता है आगे सीधा सफ़र है 
या फिर ऐसे कई घुमावदार मोड़ और हैं...??

©Aishani आगे बढ़कर देखो ये घुमावदार मोड़ कैसा है..? 

#Messageoftheday

vippy

यत्र नारियास्ते पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता

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ज़िंदगी जोहद में है सब्र के क़ाबू में नहीं
नब्ज़-ए-हस्ती का लहू कांपते आंसू में नहीं
उड़ने खुलने में है निकहत ख़म-ए-गेसू में नहीं
जन्नत इक और है जो मर्द के पहलू में नहीं यत्र नारियास्ते पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता

Srk writes

#पत्र,, प्रेम पत्र

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Sunil Singh

#सनातन संस्कृति। यत्र पूज्यंते नार्यस्तु रमन्ते तत्र देवता। #समाज

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निशब्द देव

#पत्र

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Shubhada

पत्र

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पुन्हा एकदा भग्न तळ्याशी 
पाऊल हे अवघडते 
एकांतीचा सूर गवसण्या 
शब्द विणावे म्हणते 

मर्मसुखाचे लेवून अत्तर 
उत्तर का गहिवरते 
अभिलाषेच्या ओंजळीतली 
शब्द प्रभा थरथरते 

चांदणंवाटा शोधत जेव्हा 
प्रतिमेत कला बावरते 
ती प्रतिमा घेऊन ऊराशी 
निनावी पत्र लिहावे म्हणते 

शुभदा© पत्र

पूर्वार्थ

पत्र प्रेम भरा जब मैने उसे लिखा,
उस कागज में उनका ही चेहरा दिखा,
फिर याद आया उनका फंसाना,
वो भूल गए हमें याद है वो मौसम सुहाना,
लिखा की तुम बिन अधूरे है हम,
तुम्हारी ही याद हमें हर रोज है आती,
कभी तो जागते रहते है रातों को करवटें बदलकर,
कभी आंखों में ही कट जाती है रातें,
कभी दिल बहुत उदास होता है,
जब तुम्हारा ही अहसास होता है,
लाख रहें मेरे पास हरदम खोए रहते है,
ये दिल तो सिर्फ़ तुम्हारे ही पास होता है,
फूल खिलते है रोज बिन तेरे क्या सुगंध,
तुम्हारे लिए ही शायद है उनमें सुगंध,
ऋतु बदली मौसम बदला हम खुद न बदलपाएं,
ये प्रेम की रीत है चलो हम ही इसे निभाएं,
खुश तो हो तुम भी हमारा है क्या,
रहना नित हंसते हुए इससे अच्छा क्या,
हंसी तुम्हारी रोते को हंसा देती है,
दुखियों के सब दर्द मिटा देती है,
आंखे तो सच में बहुत ही प्यारी है,
ये सिर्फ़ प्रेम बरसाने बाली है,
चेहरा दिल को बहुत शुकून देता है,
शून्य को भी शिखर कर देता है,
पत्र नही ये दिल के जज्बात है,
इस दिल के सबसे ख़ास ही आप है,,

©पूर्वार्थ #पत्र
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