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#Rahul
एक तरफ है कि आसमान का सूरज इतनी ठंड में निकल नहीं रहा , or दूसरी तरफ मेरे चांद ने छत पर आने से मना कर दिया , अब आप ही बताओ Bobby bhai इस आशिक की आश्की मुकमल हो भी तो कैसे हो ।😅 ©#Rahul #imagination#पागल दिल एक तरफ है कि #आसमान का सूरज इतनी ठंड में निकल नहीं रहा, or दूसरी तरफ मेरे #चांद ने छत पर आने से मना कर दि
Rakesh Kumar
सुसि ग़ाफ़िल
इतनी ठंड में मैं रो रहा हूं अकेला , तेरे बिन तेरी यादों में खो रहा हूं अकेला ! तेरे मेरे बीच में दूरियां हो गई है इतनी चाह कर भी मैं तेरे पास नहीं आ सकता ! आंखें तो है खुली पर आंखों से सांस नहीं आ सकता ! टूटे हुए फूलों पर कभी भी मिठास नहीं आ सकता! देखना कभी ऊपर आसमान में नजर उठा कर , कोहरे से भरे आसमान में चांद नजर नहीं आ सकता ! खुल गई है अब दर्द की मंडियां , अब कभी वापिस तेरा मेरा साथ नहीं आ सकता ! इतनी ठंड में मैं रो रहा हूं अकेला , तेरे बिन तेरी यादों में खो रहा हूं अकेला ! तेरे मेरे बीच में दूरियां हो गई है इतनी चाह कर भी मैं तेरे
Darshan Blon
फिर दिदी और बाबा सोने चले गए और माँ मुझे कम्बलसे ढक कर, मेरे माथेको चूमते हुए कहने लगी: "बेटा भूत-वूत कुछ नहीं होता,सब तेरे मन में हैं,डरना ही है तो इंसानोसे डरके रहो " पूरी कहानी Caption में पढ़ें.... वो रात काफी ज़्यादा ठंडा थाl वैसे भी १२ मास ही दर्जीलिंग में तो लगभग ठंड ही रहता है और वो तो साल का आखरी महिना "दिसम्बर" था, तो शरीर जकड़ती
आपका अरविंद
इस गुलाबी ठंड में, सुनों तुम जलाना जज्बात के अलाव मुझे अपनी नज्मों मे तपिश देकर कोहरे से मुंदी नज्म को गुनगुना करना है_____!!! गुलाबी ठंड में
जगदीश निराला
इस गुलाबी ठंड में, बड़ा मजा आता है. जब गुनगुने पानी से नहाते है. धूप का रूप चुराने की करते हें कोशीश। बड़ा मजा आता है. बदन को ऊनी कपड़ों से ढ़ककर निकलने में. ट्रिपल सूट पहन टाई बांध कर घूमने जाने में। बड़ा मजा आता है. गर्मागर्म पकोड़े गर्म चाय के साथ खाते खाते गपशप लड़ाने में. बड़ा मजा आता है। जगदीश निरालाःमांगरोल गुलाबी ठंड में
Mamta kumari
बहुत ठंड है मेरी जान सुरक्षित रहना दूर हैं तो क्या हुआ बात करती रहना खुद का ख्याल रखा करो,देखो कॅरोना फिर आ गया मास्क लगाये रहना। ©Mamta kumari #ठंड में कॅरोना।।
Ashish Mishra
दिसंबर तो आ गया, अब तुम कब आओगे ठंड के मौसम में रोड पर खड़ा। तेरी राह देख रहा हूँ। तुम कब अयोगी। बक्त गुजर राह है,बस तुम्हारे इंतजार में, ठंड में इंतजार
Jatin
मेरी कलम से... सुर्ख ठंड में अलाव सा है वो, कमबख़्त! बड़ा सुकूं देता है जी को। -जतिन सुर्ख़ ठंड में.......