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Anand Kumar ' Shaad '.
अब उड़े अबीर गुलाल बोलो सारा रारा, देशवासी हुआ कंगाल बोलो सारा रारा, मोदीजी योगीजी और शाह मनाएं मौज, अंबानी हुआ मालामाल बोलो सारा रारा । poet : anand kumar 'shaad '. बोलो सारा रारा
kartik chadha
विकास इंग्लिश में कहें तो Development जो दिखती है पर कभी समझ में नही आती, जो बिकती है लेकिन ख़रीदारी समझ मे नही आती, जो बढ़ती तो है पर बढ़ती नजर नही आती। हज़ारों फिरते है इसी develoment की आस में, पर development के नाम पे एक गुल्लक मिलती है। जिसकी चाबी तो है, लेकिन खुलती नही है। Development के नाम पर, पेड़ों से ज्यादा आज गाड़ियां दिखती है। हर चौराहे पे हुडनगियों की सेना दिखती है। सोच के बजाए हर गली मोहल्ले के poster में बिकती है। Solution के बजाय question raising में दिखती है। आज घरों के बजाय केवल ईमारतें दिखती है। सफलता सिर्फ BP डिप्रेशन में मिलती है। आज शादियाँ पैसा ख़र्च करके होती है। करप्शन की कमाई में लोगों की खूब आस होती है। माँ बाप से ज्यादा उस पराई लड़की की चलती है। आस्था एक गन के रूप में USE होती है। समाचार में भी रेप गुंडागर्दी की गप चार मिलती है। दिखती है पर समझ में नही आती, बिकती है पर औकात नजर नही आती, ये विकास की धारा बढती तो है, पर बढ़ती नजर नही आती। ©®roasted___life™ विकास की धारा
Sonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा
Sonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा
WildSudhirAarya
यह वक्त की धारा है साथियों, कभी सपना तुम्हारा था मैं साथियों। मुझ में बैठ नजरें नीचे झुका के, अपने प्रिय को तुम हाथ हिला के, मेरी खिड़की पर महसूस किया करते , मेरे साथ जमीन से उड़कर के, यादों का समंदर लहरों को भेज कर, लौट जाता है मुझको यूं ही छूकर के।। ✍️आर्य सुधीर वक्त की धारा
Ravi Ranjan Kumar Kausik
समय लेता परीक्षा है ,समय तो बहती धारा है । सब्र का दामन थामे रह , फिर कल तुम्हारा है । समय के साथ चलने में ही यारों बुद्धिमानी है । न भूलो और के हाथों में अपनी जिंदगानी है ।। [रवि] ©Ravi Ranjan Kumar Kausik # समय की धारा
HARSH369
जल की निर्मल पावन धारा कितनी कोमल और सहज होती है, जिस रूप मे जिस जगह डालो वही रम जाति है, एक उफ्फ तक नही करती, संगती इसकी भी अहम होती है, जिस जगह पड़ती है उसी का रूप ले लेती है, जल कि धारा हमे ये सिखाती है कभी घमण्द,कभी ईस्या नही करना अपने आप को उसी तरह धालना जैसे परिस्थिती मे हो.. तभी आपको लोग जन्मों जन्मों तक पूजेंगे..!! ©Shreehari Adhikari369 #paani की धारा