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पवन कुमार बैरवा

दज्ञ

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🍎किसी को अपना बनाओं तो 🍎

🍏दिल❤से बनाओं  गुबान से 🍏🍐नहीं🍐

🍋किसी पर गुस्सा करो तो 🍋 
🥕जुबान से करो🥕

🍓 दिल से नहीं क्योकि  🍓
🍍सुई से वही 🍍

🍅धागा प्रवेश करता है जिसमें  🍅
🍆कोई गांठ नहीं होती🍆 दज्ञ

Rohitas Sharrma

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Rohitas Sharrma

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#यज्ञ

 #यज्ञ #shayari #nojoto #nojotohindi

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

नाभिं॑ य॒ज्ञानां॒ सद॑नं रयी॒णां म॒हामा॑हा॒वम॒भि सं न॑वन्त। 
वै॒श्वा॒न॒रं र॒थ्य॑मध्व॒राणां॑ य॒ज्ञस्य॑ के॒तुं ज॑नयन्त दे॒वाः ॥

पद पाठ
नाभि॑म्। य॒ज्ञाना॑म्। सद॑नम्। र॒यी॒णाम्। म॒हाम्। आ॒ऽहा॒वम्। अ॒भि। सम्। न॒व॒न्त॒। वै॒श्वा॒न॒रम्। र॒थ्य॑म्। अ॒ध्व॒राणा॑म्। य॒ज्ञस्य॑। के॒तुम्। ज॒न॒य॒न्त॒। दे॒वाः ॥

हे मनुष्यो ! (देवाः) विद्वान् जन जिस (यज्ञानाम्) सत्यक्रियामय यज्ञों के (नाभिम्) बीच के भाग को और (महाम्) महान् (रयीणाम्) धनों के (सदनम्) स्थान और (आहावम्) चारों ओर से स्पर्द्धा करने योग्य (वैश्वानरम्) सर्वत्र प्रकाशमान (रथ्यम्) रथको बहाने के योग्य (अध्वराणाम्) नहीं नष्ट करने योग्यों के (यज्ञस्य) प्राप्त होने योग्य व्यवहार के (केतुम्) जनानेवाले को (सम्, जनयन्त) अच्छे प्रकार प्रकट करते हैं और (नवन्त) स्तुति करते हैं उसकी आप लोग (अभि) सम्मुख प्रशंसा करिये ॥

Hey man  (Deva:) scholarly jana jis (yagyanam) Satyakramayya Yajna's (naamvam) the middle part and (maham) great (ryamna) of wealth (saddhanam) place and (ahavam) from all around (vivanaram) sarvatra prakashmana (rathayam)  ) Do not destroy the chariot worthy of (excruciating) (Yajnasya) worthy of (Yajnasya) attainable behavior (Ketum) to the person who is good (Sama, Janyant), and praises (Navant) his people (Abhi) before him.  Praise

( ऋग्वेद ६.७.२ ) #ऋग्वेद #मंत्र #वेद #यज्ञ

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

विश्वायुर्धेधि यजथाय देव ।। 

 हे देव ! हमें सम्पूर्ण आयु यज्ञ के लिए दो ।

Hey, God !  Give us the entire age for the yajna.

( ऋग्वेद १०.७.१ ) #ऋग्वेद #वेद #यज्ञ #दीर्घायु

manoj kumar jha"Manu"

पितृ यज्ञ अवश्य करें।

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देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम।

देवता और पितरों के कार्यों में मनुष्य को आलस्य नहीं करना चाहिए।
(तैत्तिरीय उपनिषद, १/११/१) पितृ यज्ञ अवश्य करें।

Ninaad mani त्रिपाठी

कुमार जी का तज्म #शायरी #nojotovideo

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

मंहिष्ठा वाजसातमेषयन्ता शुभस्पती । 
गन्तारा दाशुषो गृहम् ॥

पद पाठ
मंहि॑ष्ठा । वा॒ज॒ऽसात॑मा । इ॒षय॑न्ता । शु॒भः । पती॒ इति॑ । गन्ता॑रा । दा॒शुषः॑ । गृ॒हम् ॥ 


(मंहिष्ठा) पूजनीयतम (वाजसातमा) अत्यन्त बल तथा अन्न के देनेवाले (इषयन्ता) अपने में प्रीति उत्पन्न करनेवाले (शुभस्पती) शोभन ऐश्वर्य्य के स्वामी (दाशुषः) यज्ञकर्ता के (गृहम्) गृह को (गन्तारा) जानेवाले उन दोनों की हम स्तुति करते हैं ॥

(Mahanishtha) worshiper (Vajasatama) we give praise to those who go to (gantara) to the (home) house of the master (dashausha) sacrificing (good luck) Shobhan Aishwarya (the goddess) who gives (Ishanta) the power and food.

( ऋग्वेद ८.५.५ ) #ऋग्वेद #वेद #यज्ञ #यज्ञकर्ता

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

इ॒मं नो॑ अग्ने अध्व॒रं जु॑षस्व म॒रुत्स्विन्द्रे॑ य॒शसं॑ कृधी नः। 
आ नक्ता॑ ब॒र्हिः स॑दतामु॒षासो॒शन्ता॑ मि॒त्रावरु॑णा यजे॒ह ॥

पद पाठ
इ॒मम्। नः॒। अ॒ग्ने॒। अ॒ध्व॒रम्। जु॒ष॒स्व॒। म॒रुत्ऽसु॑। इन्द्रे॑। य॒शस॑म्। कृ॒धि॒। नः॒। आ। नक्ता॑। ब॒र्हिः। स॒द॒ता॒म्। उ॒षसा॑। उ॒शन्ता॑। मि॒त्रावरु॑णा। य॒ज॒। इ॒ह ॥

हे (अग्ने) अग्नि के समान विद्या से प्रकाशित अतिथि ! आप (मरुत्सु) मनुष्यों के (इन्द्रे) और राजा के निमित्त (नः) हम लोगों के (इमम्) इस (अध्वरम्) उपदेशरूपी यज्ञ को निरन्तर (जुषस्व) सेवो (नः) हमारी (यशसम्) कीर्ति की वृद्धि (कृधि) करो (नक्तोषासा) रात्रि को दिन के साथ (बर्हिः) तथा उत्तम आसन को (आ, सदताम्) स्वीकार करो स्थिर होओ और (इह) इस जगत् में (उशन्ता) कामना करते हुए (मित्रावरुणा) प्राण और उदान के समान स्त्री-पुरुषों को आप (यज) मिलो ॥

Hey (Agne) guest published with the same knowledge as fire!  You (Marutsu) (Indra) of men and (Nah) for the sake of the king (Nama) We (Imam) this (Adhvaram) sermon-like yagna is continuously (Jushvasa) Sevo (Nah) Our (Yasamsa) growth in glory (Kridhi) Do (Naktoshasa)  ) At night with the day (Barhih) and accept the best posture (Aa, Sadatam), be stable and (Ih) in this world (Ushanta) wishing (Friendly compassion) Pran and udan like women and men you (Yaj  ) Meet.

( ऋग्वेद ७.४२.५ ) #वेद #ऋग्वेद #अग्नि #यज्ञ
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