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Deepak verma
वीरो की भूमि शेखावाटी की पावन धरा को कोटि-कोटि नमन🙏🙏🙏🙏🙏 शेखावाटी की सभ्यता संस्कृति की झलक, देश भक्ति भावना, अनुभूतियां और स्मृतियों तथा आदर्श सद् व्यवहार आदि देखने को मिलता हैं जिसको कविता के माध्यम से जीवंतता प्रदान किया है शीर्षक "शेखावाटी झलकियां" शेखावाटी पावन धरती का, स्वभाव मैं चखके आया हूं। घर-घर फौजी हर घर मौजी, वो मौज संग-संग लाया हूं। देश प्रेम की भावना, जुनून साथ में लाया हूं। शेखावाटी पावन धरती का, स्वभाव मैं शक के आया हूं। शेखावाटी वीरों की, जननी के प्यार को लाया हूं। और संस्कृति सभ्यता की, कुछ झलकियां लाया हूं। खाटू की पावन भक्ति, शाकंभरी गेट से आया हूं। उदयपुरवाटी तहसील की मैं, पुनित झलकियां लाया हूं। क्या शिक्षा का दौर वहां पर, वो शिष्टाचारी लाया हूं। शिक्षक का सम्मानआदर्श, सद व्यवहार साथ में लाया हूं। शेखावाटी की गरिमा को, हृदयंगम कर मैं आया हूं। मैं दीपक इन वीरों की भूमि से, कुछ अंश दीप संग लाया हूं। शेखावाटी पावन............। स्वभाव में चखके ............।- २ स्वरचित मौलिक रचना : दीपक चंद रैगर ©Deepak verma शेखावाटी की झलकियां
Sandeep Lucky Guru
तुम्हारे नाम को होंठों पर सजाया है मैंने, तुम्हारी रूह को अपने दिल में बसाया है मैंने, दुनिया आपको ढूंढते ढूंढते हो जायेगी पागल, दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने! Tumhare naam ko epaper
Amit Singhal "Aseemit"
जब आसमान में सुबह को उगता है भास्कर, कहे हमसे कि अब बहुत विश्राम कर लिया। तुम अब ख़ूब मेहनत करो नींद से जाग कर, मैंने तुम्हें यही सुनहरा अवसर लाकर दिया। ©Amit Singhal "Aseemit" #भास्कर
arvind bhanwra
ॐभास्कराये नमो नमो, आभा कण-कण रमो रमो जग क सन्चारक कल्याण कर्ता कीर्ति भव मे जमो जमो। arvind bhanwra भास्कर नमन
Digant K. Dusara
ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज़ ना होना क्योंकि ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है बल्कि वो देता है जो आपके लिए अच्छा होता है दिव्य भास्कर
arvind bhanwra
Prayer कोटि नमन भास्कर । सुन्दर सुबह की आभा से नवाजा, रैन के सुनहरे सपनो को हकीकत करने का हक दिया । arvind bhanwra भास्कर नमन
Bhaskar Kavi
मौत मौत !आखिरी सच है जो हमको पता होना चाहिये मरने से पहले! जिस वक़्त हम जी रहे होते है जिंदा होने के गुमान में। खुशियों का सुख शायद सभी को ना मिले पर ईश्वर मौत का सुख सबको देता है।। ये वो सुख है जो असल में सुख है उस शरीर के लिए जो थक गया अपना ख्याल रखते रखते और भूल चुका है की रूह की सुनने का काम भी मेरा ही था -भास्कर कवि भास्कर कवि