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J P Lodhi.
नदियों की महिमा नदी गौरवशाली संस्कृति का बड़ा हिस्सा, वेद ग्रंथों में वर्णित मिलता इनका किस्सा। सभ्य सभ्यता में नदियों को पूजा जाता है, मानवता का नदियों से जीवन का नाता है। भूलें गए हम नदियों की महान संस्कृति को, प्रदूषण कर बदला पावन सी प्रकृति को। मां सी पावन निश्छल ममता मयी नदियां, जीवों की सेवा करते बीत गई कई सदियां। अमृत सा पावन जल बहता रहता प्रतिपल, प्यास बुझाकर के मन को कर देता शीतल। धारा पे नदियों से फैला सौंदर्य हरियाली है, नदियों के बिना धरती बंजर बन जानी है। भाग्यवान है वे मानव जो बसे नदी किनारे, बीत जाता जीवन सुखमय इन्हीं के सहारे। फिरसे नदियों की महिमा का गुणगान करे, वक्त आ गया अब ना इनका अपमान करे। हम संकल्प लेकर नदियों का उत्थान करें, प्रदूषण से मुक्त कर खुद पर उपकार करे। #नदियों की महिमा
G. s. Kushwah
नदियों की आश में, दिल समुंदर बनाये बैठे हैं आएगा कोई मिलने, हम ये आश लगाए बैठे हैं ©G. s. Kushwah नदियों की आश में, दिल समुंदर बनाये बैठे हैं आएगा कोई मिलने, हम ये आश लगाए बैठे हैं #Shayari #shayariworld #Love #waiting #boy #girl #yqlove
HINDI SAHITYA SAGAR
अँधेरे भी जरूरी हैं उजालों की अहमियत को, किनारे भी जरूरी हैं नदियों की सहूलियत को, किनारा तोड़कर भागा जो जल अपनी ही नदियों से, निरा सैलाब नदियों का डुबा देगा आदमियत को। ©HINDI SAHITYA SAGAR अँधेरे भी जरूरी हैं उजालों की अहमियत को, किनारे भी जरूरी हैं नदियों की सहूलियत को, किनारा तोड़कर भागा जो जल अपनी ही नदियों से, निरा सैलाब नदि
Shivank Shyamal
India quotes मीठा मीठा मिल के सारा खारा हो गया। समुन्दर भी ‘नदियों की धारा’ हो गया ।। हिन्दू मुस्लिम दोनों हैं इसी मिट्टी के लाल। दोनों मिले, तो हिंदुस्तान प्यारा हो गया ।। Shivank Srivastava 'Shyamal' मीठा मीठा मिल के सारा खारा हो गया। समुन्दर भी ‘नदियों की धारा’ हो गया ।। हिन्दू मुस्लिम दोनों हैं इसी मिट्टी के लाल। दोनों मिले, तो हिंदुस्
khushboo subraj tiwari
ना जाने वो शाम कहाँ गुम हो गई, ना जाने वो नदियों की धारा कहाँ खो गई, मिलते थे जहाँ रिश्ते रिश्तों से, ना जाने वो दिल और विश्वास कहाँ दिल से दिल में ही दफ़न हो गए। #NojotoQuote ना जाने वो ............. ना जाने वो शाम कहाँ गुम हो गई, ना जाने वो नदियों की धारा कहाँ खो गई, मिलते थे जहाँ रिश्ते रिश्तों से, ना जाने वो द
शिवानन्द
थोड़ा सा चंचल हूं। सागर सा हलचल हूं। नदियों की कलकल हूं। मत बांधो मुझे दामन में 👇 मै समय का पल पल हूं। मां का आंचल हूं। ममता का बादल हूं। दुआओं का काजल हूं। अपनों के लिए तों 👇 उम्मीदों का अंचल हूं। ~~शिवानन्द थोड़ा सा चंचल हूं। सागर सा हलचल हूं। नदियों की कलकल हूं। मत बांधो मुझे दामन में 👇 मै समय क
Anjali Singhal