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RJ Ankesh
Deepak Prajapati
Deepak Prajapati
Deepak Prajapati
Deepak Prajapati
Manjeet Singh Thakral
आगामी वर्ष 2020 में तारीख लिखते समय रखें यह सावधानी आगामी वर्ष 2020 में कोई भी तारीख लिखते समय, हमें इसके पूर्ण प्रारूप में ही लिखना चाहिए,
Sunita D Prasad
मुझ तक पहुँचने के लिए तुम्हें मेरे भीतर बहुत गहरे उतरना होगा! पर देखो तुम तो शब्द, 'गहरे' में ही खोकर रह गए। तुमने कितने ही शब्दों के अर्थ अपनी सुविधानुसार हास्यास्पद बना दिए। आरंभ से ही अनेक शब्दों के अर्थ तुम्हारे और मेरे शब्दकोश में भिन्न रहे। तभी हमारी एक-दूसरे से अपेक्षाएँ भी सदैव भिन्न ही रहीं। तुम्हारे शब्दकोश में स्त्री के कई पर्यायवाची तो रहे पर अर्थ केवल एक ही रहा। हम अपने-अपने शब्दकोश हाथों में थामे साथ-साथ चलते तो रहे पर फिर भी कभी एक-दूसरे के पूरक नहीं बन पाए। इतनी भिन्नता होने के उपरांत भी चलो मैं तुम्हारी महिला दिवस की शुभकामनाएँ स्वीकार करती हूँ !! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #शब्दकोश.. मुझ तक पहुँचने के लिए तुम्हें मेरे भीतर बहुत गहरे उतरना होगा!
Yuva Shakti Sewa Sangathan
ये कार्यक्रम बहुत बड़े स्तर पर तो नहीं पर दिल से जरूर हो रहा है.. ज्यादातर संस्थाएं अपनी सुविधानुसार सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने कार्यक्रम स
Satya Prakash Upadhyay
जैसे पेड़ की शाखाएं अलग-अलग होतीं हैं, और वो अपने सुविधानुसार जिधर प्रकाश मिलता है उधर बढ़ जातीं हैं परंतु पोषण तो सभी को एक जगह से हीं मिलना है। ठीक उसी प्रकार जिसकी जैसी मानसिक स्थिति और सोच होती है वो उस मजहब की ओर आकर्षित हो आगे बढ़ता है, घर और सामाजिक परिवेश का इसमे विशेष योगदान होता है। इसमे कोई बुराई भी नही। परिस्थिति तब विकट हो जाती है जब ये शाखाएं अपने मूल को भूल आपस मे ही संघर्ष करने पर उतारू हो जातीं हैं,और एक दूसरे को नष्ट करने के चक्कर मे कहीं न कहीं अपने पोषण के आधार को हीं घायल कर रही होतीं हैं।जो शाखा जितनी विशाल और समृद्ध होती है उस पर जिम्मेवारियां भी उतनी ही होतीं हैं। सभी अपने-अपने मार्गों पर चल कर, अपने कर्तव्यों का जब तक पालन करेंगे तब तक चाहे कोई किसी मजहब को माने कोई समस्या नही आ सकती। बस मेरी बात हीं सही, बाकी गलत,यही समस्या का मूल कारण है। satyprabha💕 जैसे पेड़ की शाखाएं अलग-अलग होतीं हैं, और वो अपने सुविधानुसार जिधर प्रकाश मिलता है उधर बढ़ जातीं हैं परंतु पोषण तो सभी को एक जगह से हीं मिलना