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NJ
गहरी सांस ले कर मैंने ,महसूस किया था वो पल।। प्रकृति तेरी खूबसूरती दिल में आज भी सहेज रखा है । प्रकृति#मनोरम#हसरतें
Maa Brahmani Devi
देख रहा हूं दृश्य मैं डरे सहमे अंधेरे का भाग रहा जो तेजी से देख किरण सवेरे का तारे भी अब टीम- टीम करते हो रहे नभ से गायब चांद कि चांदनी फीकी पड़ीं.. खग -विहग कर रहे हैं गायन मधुकर भी बागों को चलें सुघं सुगंध सब पुष्पों का देख रहा हूं सुबह का मनोरम दृश्य
ASHOK KUMAR POET
नींद कितनी प्यारी है जो सबको देती हैआराम । दिन के हारे थके मजदूरों को सुख चैन देती है नींद। चिंता और व्यथा सबका इनका निवारण करती है नींद। रात हो या दिन जब थके इंसान काम आती है यही नींद। नींद ना होती तो क्या होता लगा रहता हल चलाने सारा दिन। चिंता थकान और व्यथा इंसान का है नींद इलाज। सांस जरूरी है जीने को नींद भी जरूरी है जीने को। कितनी अच्छी है नींद सबको देती है आराम। आगे और अशोक कुमार कवि नींद कितनी मनोरम है।
Anekanth Bahubali
नगर कितना नकली - नकली है यह नगर बिल्कुल असली -असली - सा लगता है । लोग यहाँ के बिल्कुल लोग जैसे लगते हैं और मकाने - दुकानें सब कुछ उन जैसे ही लगते हैं पर न जाने क्यों सब कुछ अजीब -अजीब -सा लगता है । यहाँ कोई कभी अपना - अपना -सा लगता है । फिर सब कुछ सपना-सपना -सा लगता है । भीड़ में घुस जाओ अगर तुम तो सब कुछ कितना अजीब - अजीब -सा लगता है । सब कुछ सपना - सपना- सा लगता है । - बाहुबली भोसगे नगर #City
Anekanth B
नगर कितना नकली - नकली है यह नगर बिल्कुल असली -असली - सा लगता है । लोग यहाँ के बिल्कुल लोग जैसे लगते हैं और मकाने - दुकानें सब कुछ उन जैसे ही लगते हैं पर न जाने क्यों सब कुछ अजीब -अजीब -सा लगता है । यहाँ कोई कभी अपना - अपना -सा लगता है । फिर सब कुछ सपना-सपना -सा लगता है । भीड़ में घुस जाओ अगर तुम तो सब कुछ कितना अजीब - अजीब -सा लगता है । सब कुछ सपना - सपना- सा लगता है । - बाहुबली भोसगे नगर #City
vks Siyag
"चंहुओर छाये इन फलकों -सा कहीं ओर नजारा नहीं था, सुरराज ने ऐसा मनोरम दृश्य धरा पर कभी उतारा नहीं था।।" ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• --Vimla Choudhary 24/8/20 🌺प्रकृति का मनोरम दृश्य 🌺
Adarshkumar
चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं फूल खिलता एक बार अंधेरी में भी रोशनी एक हो जाती है ©Adarshkumar #City कानपुर नगर
Parasram Arora
मंजिल तो मुझे मिल गई किसी तरह ओर मेरा हमसफर मुझे अभी भीम मिला नहीं हैँ मंजिल पाबे का जश्न अब हम अकेले मनाये कैसे?. दोस्त की छोड़ो क्कोई दुश्मन भी तो आस पास नहीं दिख रहा अब तुम ही बताओ इस जश्न को मनाने की. दीवानगी का हम क्या करें सुख का नगर मैं केसे बसाऊ ? ©Parasram Arora सुख क़ा नगर