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Dipak kolaskar
|| प्रश्न पडतो || पुन्हा प्रेम करू की नको हल्ली हाच प्रश्न पडतो कुणाला जीव लावू की नको हाच प्रश्न पडतो प्रेम केलं तर व्यक्त होण्याची भीती वाटते मग प्रेम करून फायदा काय हाच प्रश्न पडतो. हो! प्रेम केलं ना मी पण,तेच व्यक्त नाही झालो मग आठवणीतच झुरायचं का हाच प्रश्न पडतो होत्या अनेक वाटा शाबुत गावातही माझ्या मग तिचीच गल्ली का छान वाटते हाच प्रश्न पाडतो. कुणीतरी भेटतं,आवडतं,आवडायला लागतं मग दुसऱ्यांचा विसर पडतो का ? हाच प्रश्न पडतो ती नशिबात नव्हती म्हणून आजही दुःख वाटते मग पुन्हा प्रेम करून पुन्हा रडायचं का हाच प्रश्न पडतो. बरं बोलताना ती नवी व्यक्ती छान बोलत असते पण व्यक्त झाल्यावर नकार दिला तर हाच प्रश्न पडतो ती स्वीकार करेल की नकार देईल हे कोडं सुटत नाही तुला माझ्यापेक्षाही छान मिळेल असं बोलली तर हाच प्रश्न पडतो. तीनं स्वीकार केला तर आनंद नकार दिला तर दुःख आधीच तक्रारी आयुष्याच्या त्यात भर कशाला हाच प्रश्न पडतो आणि हल्ली प्रेम करणं जमतं तरी कुणाला खेळ चाललायं मग कशाला आपल्या खऱ्या भावना अनाथ करायच्या हाच प्रश्न पडतो. दिपक कोळसकर ©Dipak kolaskar #पूर्व
Purv Pathak John
वादे वफ़ा के और चाहत जिस्म की रखते है लोग, अगर ये मोह्हबत है । तो हवस क्या है फिर।। #पूर्व पाठक
Vivek
पूर्व जन्म की किसी प्यारी कहानी जैसा प्यार...!!! ©Vivek # पूर्व जन्म
manoj kumar jha"Manu"
प्राता रत्नं प्रातरित्वा दधाति । (ऋग्वेद १.१२५.१) प्रातःकाल उठने वाले अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करतें है । सूर्योदय से पूर्व उठें।
भवानी सिह सोलकी
पूर्व उपराष्ट्रपति स्वः भैरोसिंह शेखावत की 96 वीं जयंती पर नमन राजस्थान के पूर्व उपराष्ट्रपति
Sunil Singh
*जर्मनी में भारतीय दूतावास में काम करने वाली एक महिला ने मोदीजी के बारे में पोस्ट में ऐसा लिखा!* उन्होंने लिखा था ......... जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जर्मनी आए थे तो वह अपने साथ करीब 40 लोगों को लेकर आए थे जो उनके रिश्तेदार थे. उनके ठहरने के लिए कुल पांच होटल (सभी फाइव-स्टार) बुक किए गए थे। सभी रिश्तेदार रोजाना महंगे मॉल्स में शॉपिंग करते थे और लाखों-करोड़ों रुपए की चीजें खरीदते थे। बिल पूरे राज्य विभाग के नाम पर वसूले गए। मनमोहन सिंह के पूरे दौरे के दौरान यही रोज की कहानी थी. उन सबके सामने विदेश विभाग का पूरा भारतीय-कर्मचारी सेवक नाचता था। मनमोहन जी एक बार भी दूतावास नहीं आए और न ही हमसे मिले. अब जब मोदीजी प्रधानमंत्री के रूप में दो बार जर्मनी आए तो पूरे स्टाफ को दोबारा उसी शो की उम्मीद थी. लेकिन मुझे आश्चर्य है कि वह बिल्कुल अकेला आया! रिश्तेदारों की कोई फ़ौज नहीं है. इसलिए सुरक्षा कारणों से होटल की केवल एक मंजिल पूरी तरह से बुक की गई थी। मॉल्स में खरीदारी नहीं हो रही है वे पूरे समय काम में व्यस्त रहते हैं। दूतावास के कर्मचारियों को चमचागिरी करने की अनुमति नहीं थी; बल्कि कर्मचारी अपने कार्यालय के रोजमर्रा के कार्य निपटाते रहे। दरअसल, हम सारा डेटा इकट्ठा करने और उसे फाइल फोल्डर में डालने में इतने व्यस्त थे कि हम तीन दिनों तक घर नहीं जा सके। अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद, मोदीजी कुछ समय निकालकर दूतावास आए और यात्रा को सफल बनाने का श्रेय सभी को दिया और सभी ने उनके साथ एक कप चाय पी। यह एक महान व्यक्ति का परिचय है! मित्रों, वर्षों बाद आपको एक ईमानदार प्रधानमंत्री मिला है, उनका सम्मान करें; हर बार उन्हें नीचा दिखाने वाले विपक्ष को हराकर उन्हें सबक सिखाएं और देश को बचाएं। 🚩 *भारत🇮🇳 माता की जय* 🚩 *केवल ईमानदारी पसंद करने वाले लोग ही इस संदेश को साझा करेंगे।* ©Sunil Singh # पूर्व एवं वर्तमान प्रधानमंत्री।
BANDHETIYA OFFICIAL
पूर्व संध्या गणतंत्र की पूर्व संध्या हो न वंध्या, घोषणा है, हो चुका है, हो रहेगा, देश यह गणतंत्र, जो हुआ है स्वतंत्र, बिन घोषणा ही- सांध्य की इक रीत बिन, रस्म कायम कर लाया दिन, पूर्व संध्या बस वही, तभी तो यह निज तंत्र, है, रहेगा गणतंत्र, हो रहेगा गणतंत्र, घोषणा है, पूर्व संध्या। ©BANDHETIYA OFFICIAL पूर्व संध्या की रस्म ! #together