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Ravi Sharma
आप हैं तो परिवार है , आप इसका आधार हैं आप तो मेरी दुनिया है आप ही इसके शाहकार हैं।। आप हैं तो परिवार है... आप ही निकेतन, आप संसार हैं आप से सारी खुशियां आप से ये घर-द्वार है। आप हैं तो परिवार है... ©Ravi Sharma #boat आप हैं तो परिवार है , आप इसका आधार हैं आप तो मेरी दुनिया है आप ही इसके शाहकार हैं।। आप हैं तो परिवार है... आप ही निकेतन,
Vikas Sharma Shivaaya'
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि.. अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी) अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि। हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान। दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में। कृशानु -अग्नि, आग। ज्ञानिनामग्रगण्यम्-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले। सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है। वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता। रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय। वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम ! लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !! रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम्
Vikas Sharma Shivaaya'
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि.. अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी) अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि। हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान। दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में। कृशानु -अग्नि, आग। ज्ञानिनामग्रगण्यम्-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले। सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है। वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता। रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय। वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम ! लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !! रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम्
Nitin Kr Harit
सुनो ! प्रेम का एक जहां चाहता हूं, कहूं तुमसे कैसे, मैं क्या चाहता हूं। पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें ! सुनो ! प्रेम का एक जहां चाहता हूं, कहूं तुमसे कैसे, मैं क्या चाहता हूं। धवल चांदनी के उतरने से पहले, सुनो पंखुड़ी के बिखरने से पहले, चमकते
Ravendra
नेहा उदय भान गुप्ता
राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम।। 👇👇 बाक़ी कैप्शन में पढ़े👇👇 राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम।। 👇👇 बाक़ी कैप्शन में पढ़े👇👇 राष्ट्रपिता बापू कहते है हम जिसको, महात्मा गांधी है जिनका शुभ नाम। उनकी कथा सुनायेगी आज उदय दुलारी नेह, करके आप सभी के श्री चरणों में प्रणाम