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Sunil Pande Writer Content Creator

छोटे छोटे बटन बांटकर, मैन स्विच खुद दबाता है #शायरी

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तन्हा

वह हार मांगता है मेरी.... रोज मंदिरों में जाकर... मैं पैर दबाता हूं... मां के.. रोज़ थका-हारा आकर..!!

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आग लगी है, मेरी बस्ती में...तो बुझाने, वह क्यों जाएगा..??
उस मोहल्ले में... कही उसका मकान... थोड़ी है..!!

वह हार मांगता है, मेरी...रोज मंदिरों में जाकर..
 समझाओ उसे कोई.. मंदिरो में... बसे भगवान थोड़ी है..!!

मैं भी मां के पैर दबा कर... जीत मांग लेता हूं अपनी...
मेरी मां भी भगवान है.... मेरे लिए... इंसान थोड़ी है...!!

और यह दोस्ती है ना... बुरे वक्त में भी... साथ रहना पड़ता है साहब...
जब तीखी लगी जिंदगी... बस तभी याद करो...यह मीठा पकवान थोड़ी है...!!

और वह शख्स ...जिसने पीठ पीछे... खंजर से वार किया है, आज...
वह भी जिगरी दोस्त.... है मेरा... शैतान थोड़ी है...!! वह हार मांगता है मेरी.... रोज मंदिरों में जाकर...
मैं पैर दबाता हूं... मां के.. रोज़ थका-हारा आकर..!!

Rkumar

#जाते_जाते मैं उसका #दिल_दुखता भी तो कैसे हुई जो उससे #गलतियां, गिनता भी तो कैसे #बोझ हो गया था उस पर, #मेरा_इश्क़ मेरे यार कि मैं उसे मुहब #Life #दबाता #rkumar #मुहब्बत_तले

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Akshay Ojha

किसी व्यक्ति की उचाईयों पर पोहचने का अंदाज़ा उसके छोटे छोटे क्षणौ के प्रति विचारधाराओ से किया जा सकता हे। व्यक्ति की विचारधारा उसके बड़े या #yourquote #yqaestheticthoughts #astheticthoughts #deepredsea

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ना सर्दियों की अकड़ मुझमें
ना गर्मियों में गर्म होता हूँ में

जुड़ा हूँ ज़मीन से अपनी
माँ के पैरो में सोता हूँ में ॥ किसी व्यक्ति की उचाईयों पर पोहचने का अंदाज़ा उसके छोटे छोटे क्षणौ के प्रति विचारधाराओ से किया जा सकता हे।
व्यक्ति की विचारधारा उसके बड़े या

Krish Vj

ख़ामोशी-एक आवाज़ सिसकता रहा हूँ "दर्द" में, मैं यूँ तड़पता रहा सिसकती "आहों" को अपनी, मैं दबाता रहा रात का मुसाफ़िर "ग़म" उससे उलझता #ishq #खामोशी #restzone #rzलेखकसमूह #rztask41 #अल्फाज_ए_कृष्णा

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सिसकता रहा हूँ "दर्द" में, मैं  यूँ तड़पता रहा 
सिसकती "आहों" को अपनी,  मैं दबाता रहा 

रात का मुसाफ़िर "ग़म" उससे उलझता रहा 
दबा ली चीख, "ख़ामोशी"  में, मैं  ढ़लता रहा 

सुनकर अफ़साना "इश्क़" का यूँ मैं चुप रहा 
अपने "ख़ामोश"  "लबों"  को मैं सिलता रहा 

बेबसी छाई, नम  "आँखों"  को मैं देखता रहा 
पथरा गई "आँखे" व "जार-जार" मैं रोता रहा 

समेट दर्द-ए-इश्क़ दिल में,मैं "ख़ामोश" रहा 
ख़ामोश जुबान को सुनने वाला कोई ना रहा  ख़ामोशी-एक आवाज़ 

सिसकता रहा हूँ "दर्द" में, मैं  यूँ तड़पता रहा 
सिसकती "आहों" को अपनी,  मैं दबाता रहा 

रात का मुसाफ़िर "ग़म" उससे उलझता

parinda

तुझसे फ़कत कुछ ज़िन्दगी बाकी है, अभी फितरत में मेरा मुकाम बाकी है, तेरी ज़ूस्तज़ू में तू खुद को भगवान समझता है, मेरी हर हार में तेरा फ़ना होना बा #Poetry

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तुझसे फ़कत कुछ ज़िन्दगी बाकी है,
अभी फितरत में मेरा मुकाम बाकी है,
तेरी ज़ूस्तज़ू में तू खुद को भगवान समझता है,
मेरी हर हार में तेरा फ़ना होना बा
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