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Vishnu Paliwal
यूँ रफ्ता रफ्ता पहले प्यार वाली बात बढ़ती थी वो लड़का ग्यारहवीं में था, वो उसके साथ पढ़ती थी तड़प उठती थी पहले बेंच पर बैठी वो एक लड़की जब आख़री बेंच वाले उस लड़के को मार पड़ती थी वो लड़का ग्यारहवीं में था..
Shravan Goud
अगर निस्वार्थ भाव से किए कार्य का फल शुभ ही होगा। अगर निस्वार्थ भाव से किए कार्य का फल शुभ ही होगा।
Ek villain
ईमानदारी का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है ईमानदारी के बल पर हम अपने व्यक्तित्व में चमत्कारी परिवर्तन ला सकते हैं इमानदार व्यक्ति स्वस्थ सम्मानित होता है बहुत पुरानी बात है एक नगर में अकाल पड़ा था लोग भूखे से मरने लगे हुए थे वहां एक दयालु देव ने व्यक्ति रहते थे उन्होंने निर्णय लिया कि वह नगर के सभी छोटे बच्चों को प्रतिदिन एक रोटी देंगे इस घोषणा को सुनते ही सभी बच्चे कट्ठा होने लगे बच्चों को रोटियां बांटने लगे रोगियों का आकार छोटा था बच्चे एक दूसरे को धक्का देकर बिना रोटी का प्रयत्न कर रहे थे वही एक छोटी लड़की खड़ी थी वह सबसे आगे बढ़ी अंतिम बची रोटी प्रसन्नता से लेकर मैं घर चली गई दूसरे दिन भी लड़की को छोटी की रोटी मिली लड़की ने जमकर लोड कर रोटी थोड़ी तो रोटी में से सोने का सिक्का निकला उसकी माता ने कहा कि यह सिक्का उसी दानी व्यक्ति को दिया ओ लड़की दौड़ी-दौड़ी धनी व्यक्ति के घर गई उस व्यक्ति ने पूछा तुम यह क्यों आई हो लड़की ने कहा मेरे रोटी में सिक्का निकला है शायद ही आटे में गिर गया हो मैं आपको देने आई हूं वास्तव में नहीं व्यक्ति ने बच्चे की परीक्षा लेने के लिए जानबूझकर ये उपकरण किया था यह सुनकर धनी व्यक्ति बहुत प्रसन्न हुआ उसने उसे अपनी बना लिया वही उसकी ईमानदारी का फल था सामना करना पड़ता है ©Ek villain #ईमानदारी का फल मानव जीवन में कितनी #doubleface
Ek villain
वैदिक मान्यताओं के अनुसार ही कोहरा में संयम की अवधारणा के साथ परमात्मा ने इस जगत में जड़ और चेतना दो प्रकार की सृष्टि की रचना की है माध्यम से जगत में सत्यम शिवम सुंदरम की स्थापना करना परमात्मा का मुख्य उद्देश्य था जीवो की सृष्टि से क्रम में उनके सवाल मंगल करने के लिए मनुष्य को वृद्धि विवेक अंकित पर जीवनों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है इसलिए पर मुझ पर अन्य प्राणियों की योग क्षेम का भारती था इसके साथ ही उसकी सरलता सिद्धांत का प्रतिपादन किया है कि मनुष्य के कर्म ही उसके सुख दुख का कारण बनेगी इसमें इसका कोई हस्तक्षेप नहीं होगा वह तटस्थ भाव से केवल साक्षी और दृष्टा रहेगा तभी भारतीय दर्शन और दाम शास्त्री की अवधारणा को मानते हैं इसलिए शास्त्र में ईश्वर सबित्र निभाकर निरूपित साक्षी दृष्टा कहा गया है गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि मनुष्य अपने कर्म करते हुए जीवन में समृद्धि को प्राप्त करता है यही ज्ञान योग और भक्ति योग का भी आधार है अति सुख दुख लाभ हानि और यश अपयश के हेतु स्वयं मनुष्य के कर्म है हाल ही के वर्षों में अनुभव किया गया है कि पूरी दुनिया में मैं ना केवल मानव जाति आपूर्ति अन्य जीव सहित संपूर्ण पर्यावरण के लिए संकट खड़ा हुआ है जियो की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है नदियां प्रदूषण का दंश झेल नहीं रही है दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरे में दो-चार हो रही हैं पर्यावरण संतुलन से पर्वत विश्वकप अदाओं से आम जीवन जीवन शास्त्र और है करुणा जैसी महामारी आदि दिन मानव जीवन को चुनौती दे रही है यह सब प्रकृति के कार्य में अवश्य मनुष्य की सोच का परिणाम है वस्तुत यह नए साल हमारे लिए कोई चुनौती भी लाते हैं और भूल सुधार के लिए नए अवसर भी हमें जीवन मात्र के कल्याण इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए यह सब साथ कर्म पथ पर अग्रसर हो ©Ek villain # मानव जीवन में कर्म फल का सिद्धांत #HappyNewYear
Aradhana verma
राहो में राही मिल जायेंगे हजारो पर मंजिल तक जो साथ दे ऐसे राही कहाँ मिलते है आजकल ओ यारो ©Aradhana verma राहो में राही मिल जायेंगे हजारो