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Sikandar Shaikh 714

ऐय शहर तूने तो मुझे मजदूर बना दिया रे-😭 labour Shayari Labourday

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बाप का गुरूर और मां की दुलार थे।
दुश्मनों का दुश्मन और यारौ का यार थे।
ऐय शहर तूने तो मुझे मजदूर बना दिया रे-
वरना गांव के तो हम भी राजकुमार थे।

©Sikandar Shaikh 714 ऐय शहर तूने तो मुझे मजदूर बना दिया रे-😭 #labour #Shayari 

#Labourday

Prem Nirala

मेरा नाम सुनते ही उसके लबों की थरथराहट बताती हैं कि उसे मुझसे इश्क़ कितना हैं ग़र मैं छू दूँ उसके लबों को तो उसके बदन की ऐठन बताती हैं कि उ #prem_nirala_

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मेरा नाम सुनते ही उसके लबों की थरथराहट बताती हैं
कि उसे मुझसे इश्क़ कितना हैं!

ग़र मैं छू दूँ उसके लबों को, तो उसके बदन की ऐठन बताती हैं
कि उसे मुझसे इश्क़ कितना हैं!

prem_nirala_ मेरा नाम सुनते ही उसके लबों की थरथराहट बताती हैं
कि उसे मुझसे इश्क़ कितना हैं

ग़र मैं छू दूँ उसके लबों को तो उसके बदन की ऐठन बताती हैं
कि उ

Sahaban Khan

ऐय खुदा उनके हरेक लम्हे की हिफाजत करना , मासूम सा चेहरा हे उदास अच्छा नही लगता । DP and Status 2019 :- https://goo.gl/ASwxeL

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ऐय खुदा उनके हरेक लम्हे की हिफाजत करना  मासूम सा चेहरा हे उदास अच्छा नही लगता ऐय खुदा उनके हरेक लम्हे की हिफाजत करना , मासूम सा चेहरा हे उदास अच्छा नही लगता ।


DP and Status 2019 :- https://goo.gl/ASwxeL

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

बैठे-बैठे रेत पर , लिखूँ सजन का नाम । आकर वो परदेस से, देखें मेरा काम ।। देखें मेरा काम , हुई कैसे दीवानी । लेकर उनका नाम , बहाएँ #कविता

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बैठे-बैठे रेत पर , लिखूँ सजन का नाम ।
आकर  वो  परदेस  से, देखें मेरा काम ।।
देखें   मेरा   काम ,  हुई  कैसे  दीवानी ।
लेकर उनका नाम , बहाएँ आँखें पानी ।।
लगी जिया को ठेस , रहे तबसे वो ऐठे ।
करती हूँ फरियाद , आज मैं तन्हा बैठे ।।

२५/११/२०२२    -       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बैठे-बैठे रेत पर , लिखूँ सजन का नाम ।
आकर  वो  परदेस  से, देखें मेरा काम ।।
देखें   मेरा   काम ,  हुई  कैसे  दीवानी ।
लेकर उनका नाम , बहाएँ

Vandna Sood Topa

जेहन में इक बरगद है जो जड़ें जमाये बैठा है दिन प्रतिदिन गहन ,बहुत गहन हो रहा है ये इक चिरैया को कैद किये ऐठा है चीथड़े चीथड़े हो गए हैं मन के स

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जेहन में इक बरगद है जो जड़ें जमाये बैठा है
दिन प्रतिदिन गहन ,बहुत गहन हो रहा है ये
इक चिरैया को कैद किये ऐठा है
चीथड़े चीथड़े हो गए हैं मन के सब पंख
तन मलिन हो रहा है प्रतिदिन उसका
विधाता के न्याय पर देखो इक प्रश्नचिन्ह सा लगा है
वो नीला अम्बर भी रक्तिम सा
समंदर में शिथिल सा खड़ा है जेहन में इक बरगद है जो जड़ें जमाये बैठा है
दिन प्रतिदिन गहन ,बहुत गहन हो रहा है ये
इक चिरैया को कैद किये ऐठा है
चीथड़े चीथड़े हो गए हैं मन के स

Harshita Dawar

H- ह से हारी नहीं हूं मैं A- ए से एकता की ऐठन में चलती नही हूं मैं R- र से रोती हुई आंखों में रुसवाई नहीं हूं मैं S - स से सहमा सिमटा सुलगता #lifelessons #hardwork #yqbaba #yqdidi #nevergiveup

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H- ह से हारी नहीं हूं मैं
A- ए से एकता की ऐठन में चलती नही हूं मैं
R- र से रोती हुई आंखों में रुसवाई नहीं हूं मैं
S - स से सहमा सिमटा सुलगता साया नहीं हूं मैं
H- ह से हैरान हैरत में हिमाकत नहीं हूं मैं
I - अ आई से आईने में अक्स आंखों से ओझल नहीं मैं
T - टी ट से टटोलती टेहलती ठहराव नहीं हूं मैं
A- अ से अंदर आग से आगारों में लिपटी वहीं हूं मैं
हर्षिता हिम की हराई हिरासत में हताश नहीं हूं मै
हौसलों में हस्ताक्षर सी हठी वहीं हूं मैं
जज़्बात ए हर्षिता H- ह से हारी नहीं हूं मैं
A- ए से एकता की ऐठन में चलती नही हूं मैं
R- र से रोती हुई आंखों में रुसवाई नहीं हूं मैं
S - स से सहमा सिमटा सुलगता

mukesh verma

#Nojoto#Quotes#poem#मk Apps..😊 क्या बंदा औऱ क्या बंदी अब apps बन गए है सगे-संबंधी बार बार इन्हें open करने का मिनट-मिनट पर

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#nojoto#quotes#poem#मk
      
         Apps..😊

क्या बंदा औऱ क्या बंदी
अब apps बन गए है सगे-संबंधी
बार बार इन्हें open करने का
मिनट-मिनट पर

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा । गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।। भूल कहाँ होती मानव से ... पूर्ण कहाँ है ये म #कविता

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गीत
भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा ।
गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।।
भूल कहाँ होती मानव से ...

पूर्ण कहाँ है ये मानव जो, संपूर्ण बना अब बैठा है ।
आज विधाता को ठुकराकर , जो ज्ञानी अब बन ऐठा है ।।
बता रहा है वो जन-जन को , मुझको पहचाना जायेगा ।
भूल कहाँ होती मानव से ...।

खूबी अपनी बता रहा है , वह घर-घर जाकर लोगों को ।
पर छुपा रहा वह सबसे अब, बढ़ते दुनिया में रोगों को ।।
किए जा रहा नित्य परीक्षण , की ये परचम लहरायेगा ।
भूल कहाँ होती मानव से ...।

संग प्रकृति के संरक्षण को , आहार बनाता जाता है ।
अपनी सुख सुविधा की खातिर , संसार मिटाया जाता है ।।
ऐसे इंसानों को कल तक , शैतान पुकारा जायेगा ।
भूल कहाँ होती मानव से ....

भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा ।
गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।।

१०/०२/२०२४       -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR भूल कहाँ होती मानव से , जो वह अब पछतायेगा ।

गलती करके भी कौन यहाँ , तू बोल भला शर्मायेगा ।।

भूल कहाँ होती मानव से ...


पूर्ण कहाँ है ये म

"Vibharshi" Ranjesh Singh

बेटी की जिद से विवश हो कर | कह दिया जा कर लो विवाह उसी से, कल्पित मन से शिला ह्रदय पर ढोकर || विस्मय विचित्र छाया अब मन में, पुत्री का म #Poetry #poems #Fatherspain

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पिता की व्यथा 

केपस्न में पढ़ें बेटी की जिद से विवश हो कर | 
कह दिया जा कर लो विवाह उसी से, 
कल्पित मन से शिला ह्रदय पर ढोकर ||

विस्मय विचित्र छाया अब मन में, 
पुत्री का म
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