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Amar'Arman' Baghauli hardoi UP
पढ़ने का अधिकार कहाँ था? *"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"*"* जीवन में जिनसे मिला, ज्ञान का है प्रकाश जिनकी चमक से दमक उठा, नीला ये आकाश। वैदिक समाज ने मानव को, ही मानव में बाँटा था तुमने समाज के उस माहुर को,मानवता से छांटा था। पढ़ने का अधिकार कहाँ था,तब समाज में लोगों को बाँध रखा था धर्म गांठ से,इस समाज में लोगों को। आडंबर,पाखंडों को,कभी न तुमने मान दिया मानव की सत्ता परम्,मानव का सम्मान किया। मनुज शत्रु है आडम्बर सब,प्रभु तुमने है सिद्ध किया कोई देव नहीं इस जहाँन में,देकर प्रमाण है सिद्ध किया। तेरे ज्ञान को जिसने माना, वो महान कहलाया है तेरा मार्ग अपना कर के,अशोक महान बन पाया है। तेरी मानवता का जिसने भी है मान किया इस दुनियां में लोगों ने उसका है सम्मान किया। कठिन परिश्रम करके,तुमने तत्वों को जाना था मानव ही है श्रेष्ठ धरा पर, ये तुमने पहचाना था। दुनियां भर में बुद्ध नाम से,देश को है पहचान मिली तर्क,ज्ञान, विज्ञान को जग में,तब से है पहचान मिली। बद्ध तेरे अरमानों की, लगी जहाँ को आस है इसीलिए तो दर्शन तेरा, सारे जग से खास है। बन जा तू रहबर मेरा,बस इतना 'अरमान' है देश का मैं हूँ वासी,मुझे इसका अभिमान है। *"*"*"*"*"*"* अमर'अरमान' बघौली, हरदोई उत्तर प्रदेश 7651997046 ©Amar'Arman' Hardoi up पढ़ने का अधिकार कहाँ था #Buddha_purnima
Anil kumar jatav
हो बुरा वक्त तो अपने भी नही मिलते है। सूखे पेडो पर परिन्दें भी नही मिलते है। जितने कम दाम में बिक जाते है इंसान यहाँ। उतने सस्ते तो खिलोने भी नही मिलते है। अनिल ©Anil kumar jatav हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था, मेरी कस्ती बहाँ डूबी जहाँ पानी कम था।
Manish Goswami
भावनाओं का कहाँ द्वार होता हैं, जहाँ मन मिल जाए वहाँ हरीद्वार होता हैं। भावनाओं का कहाँ द्वार होता हैं, जहाँ मन मिल जाए वहाँ हरीद्वार होता हैं।
shiv electronic khamh
शिव कुमार गुप्ता खाम्ह बाजार अरे हमे तो अपनो ने लूटा गैरों मे कहाँ दम था। मेरी किश्ती थी डूबी वहाँ ,जहाँ पानी कम था यारो.।
Lokesh Mathankar
वफ़ा का इस तरह मेरी था ज़फ़ा होना बदलकर रास्ता क़िस्मत का ख़फ़ा होना बनाकर लाश रक्खा हूं दिल को सीने में कहाँ आसान था मेरा बेवफ़ा होना l ✍️लोकेश माथनकर कहाँ आसान था
Badal
कहाँ मुमकिन था तुमसे दुर रहकर जी पाना...! देख ली मैनें दो-तीन दिन तुमसे दुर रहकर भी जो सुकून तेरे पहलुओं में मिला शायद वो कहीं ना मिला... इसीलिए मैंने फैसला कर लिया है अब ताउम्र तेरे पास रह तेरे लिए ही लिखा करूंगा...!!! ☢ कहाँ मुमकिन था...!!
kalpana
बिखरती रही वो रेत जैसे बहती रही वो दरिया जैसे ले गया वक़्त जहां चलती गयी वो बस वैसे मिला नहीं कभी कोई ठिकाना पता ही नहीं लगा था कहाँ जाना.. ....7k💫 ©kalpana कहाँ था जाना