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CK JOHNY
सच्चिदानंद =सत्+चित्+आनंद सत्= ।।यत् अस्ति त्रिकालेषु न बाध्यते तत् सद्।। जो सदा वर्तमान है और तीनों कालों के बंधन से मुक्त है वह सत् है। चित्= ।।यः चेतयति संज्ञापयति सर्वान् सः चित्।। जो समस्त चेतन आत्माओं को सत्य असत्य के लिए हमेशा चेताता रहता है वह चित है। आनंद = ।।यः सर्वान् आनंदयति सः आनंदम्।। जो समस्त आत्माओं को आनंद प्रदान करता है वह आनंद है। जो सदा सदमार्ग अपनाने के लिए चेताता रहता है उस परमेश्वर को सच्चिदानंद कहते हैं। सच्चिदानंद
Deepak Sayar
अभिनंदन बंदन तेरा रहने को ब्रज धाम दिया , मुझको भी ऐसा देना भगवन जैसे अर्जून को गीता ज्ञान दिया , गुरु पूर्णिमा कि सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ©Deepak Sayar Mathura श्री सच्चिदानंद भगवान श्रीकृष्ण की जय
Vivek
श्लोक से पढ़ जाती हो मेरी आंखों में देखकर क्या तुम भी करती हो प्रार्थनाएँ फिर हमसे मिलने की...!!! ©Vivek # श्लोक
Surendra Kumar Kahar
श्लोक ----------- मुकंकरोति वाचालं पंगुंलङ्घयेतगृं। यतिकृपातहंवन्दे परमानन्द माधवं।। ©Surendra Kumar Kahar श्लोक