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Arjun Rao

मैं अबला नारी नहीं हूं #Shayari

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sanjana-jp

#अबला नारी

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शादी के पहले भी ना आज़ाद रहती ,
ये वो हस्ती हैं जो ख़ुद को खोकर,
दूसरों के लिए परेशान रहती,
सुनने को भी मिलता हमेशा इन्हें,
लड़की हो लिहाज़ में रहो,
तुम आज़ाद नहीं 
बस मेरे सर की पगड़ी की लाज़ रखो,
बस ख्वाइश हैं मुझे तुम्हारी, शादी की,
मेरी ख्वाइशों का सम्मान करो,
और अपने सारे सपनो को दबा के रखों,
जब बारी आती शादी की,
फिर भी ना होती आज़ाद ये,
इज्ज़त और सम्मान के ख़ातिर,
हर बोझ उठाने को होती हैं तैयार ये,
यहाँ भी वहीं बात दोहराई जाती,
औरत हो लिहाज़ में रहो,
बस फ़र्क इतना होता कि ,
ये,एक लड़की से औरत बन जाती, #अबला नारी

Ishwari Deshmukh

*एक लड़की!* 
हा मै एक लड़की हू, 
मेरे पापा की छोटीसी गुड़िया हू, 
माँ दुर्गा अवतार हू, 
आज की नई पहचान हू... 
लोक मुझे कहते है,"मै सिर्फ लड़की हू |",
हा मै मानती हू के ,मै एक लड़की हू ,
पर हा मै सिर्फ एक लड़की नहीं हू,
मै किसी लड़के से कम नहीं हू ...
तेरे अस्तित्व की वजह हू मै,  
इस विश्व का आरंभ हू मै , 
आज किसी की बेटी हू मै, 
शायद कल किसी की बहू हू मै... 
क्यूँ ईस समाज में गलत हू मै ??
क्यूँ प्रतिदिन साबित करू ,सही हू मै? 
आज भी कुछ नहीं बदला है, 
आज भी समाज का सच वही है... 
क्यूँ समाज ये मानता है? 
एक लड़का कुल का दीपक है, 
और एक लड़की कुच नहीं है, 
पर हा लडकी उस दीपक की जलती ज्योत है... 
क्यूँ तू मेरा अस्तित्व मिटाना चाहता है ?
तू परिवर्तन कर तेरी सोच मे ,
मुझे आने दे ईस संसार मे,
क्यूँकी आज नहीं तो कल तुझे मेरी जरूरत है... #NojotoQuote लड़की 
#लड़की #नारी #अबला #सबला #दुर्गा #अवतार #जिंदगी #पहचान

Ravi PrashAnt Tiwary

मैं अबला नारी नहीं , मैं प्रचंड रूप काली हूं । #kavita #कविता

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MOTIVATION STORY

किस किसे कहते हैं किस जिसे कहते हैं वह अमेरिका में रहते हैं #लव

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Geeta Sharma pranay

मै नारी अबला #कविता

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मै नारी अबला !
कैसे अपने आप को कह दूँ ?
बस! थोड़ा-सा सुख मैने क्या चाह लिया, 
सब के लिए मै कामचोर ही हो गई, ?
मै नारी अबला! 
हर क्षेत्र में मैं आत्म-निर्भर बनी, 
अपनी मेहनत से, 
कुछ देर थक कर क्या बैठी, 
मै तो सब के लिए आलसी ही हो गई? 
मै नारी अबला !
हर क्षेत्र में, 
कभी माँ, तो कभी पत्नी बनकर
मुझसे ही बार-बार अग्नि-परीक्षा
की लालसा होने लगी, 
बस! क्या यही जीवन हैं मेरा ?
मै नारी अबला! 
कैसे समाज के ठेकेदारों ने 
मुझ पर आरोप लगा दिया? 
मैरे द्वारा किया गया त्याग-तप 
को ही गलत ठहरा दिया ?
क्या मै बस भोग की वस्तु हूँ? 
मै नारी अबला! 
कैसे मैं खामोश हो जाऊ,, "
मै शर्मो-हय्या की प्रति-मुर्ति
क्या बन बैठी, 
मै तो स्वयं के लिए निर्बल हो गई? 
मै नारी अबला? 
कैसे मै सदियों से लगा कलंक 
अभी भी अपने मस्तक पर धारण करूँ ?
मैने आवाज़ क्या उठाई ,
तो सारे पुरुषत्व को ठेस लग गई ?
हाँ "हूँ मै अबला " 
बस!  अपनी ममता के आगे, 
और अपने दाम्पत्य जीवन व
घर-परीवार के आगे, 
तभी तो मैं माँ और पत्नी बनकर
सारी बुराई का ठीकरा अपने
ऊपर ले लेती हूँ |
मैं नारी अबला! 
कैसे अपने आप को कह दूँ ?
                 गीता शर्मा 'प्रणय'
             30.05.2020 मै नारी अबला #कविता
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