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Maickal Amit
"लोग उसे बेवकूफ कहते रहे" लेकिन ये मुहब्ब्त है बेबसी है तड़प है। अपनो को खोने का डर है ©Maickal Amit कोरोना संक्रमित पति को अपनी सांस देने की नाकाम कोशिश 😓😓😓
Kumar Manoj Naveen
*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* संक्रमित इलाके में सतत ड्यूटी, मौत का है डर, चारो तरफ मातम है पसरा, न जाने कौन और कब? चिन्तित परिवार ,पूछे कब आओगे घर, दरअसल पूछने से मतलब,हम खतरे से तो है बाहर। बात कहने में अच्छी लगती है, बीर योद्धा ने जीवन किया अर्पण, वास्तव में उनके बीवी- बच्चों से पूछो, जिनके अपने लौट के न आए घर। खैर मजबूरी ही सही, कर्तव्य पथ पर है अग्रसर, पीछे नहीं हटेंगे, अपनी जान लगा देंगे फर्ज पर। जान देने से यदि संक्रमण होती बेअसर, काश दो-चार जाने होती,बार-बार करते अर्पण। ***नवीन कुमार पाठक *** #संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी #
Manku Allahabadi
#IndiaFightsCorona इश्क हो या कोरोना संक्रमित ना होना !! ©Manku Allahabadi Let's get vaccinated ...................................... इश्क हो या कोरोना संक्रमित ना होना !! ...................................... #m
प्रकाश साळवी
कोरोना... कोरोना !! खेळलास डाव भले तू मोठा कोरोना समजू नकोस भारता छोटा कोरोना *** पाहिलीस का तू भारताची संस्क्रुती अजून नाही पाहिला तू वरवंटा कोरोना *** परतविलेत हल्ले पूर्वी प्लेग पटकीचे पाहिला नाहि वारसा तू भलामोठा कोरोना *** जरा समजून घ्यावे संकटाला लोकहो संसर्गामुळेच होतोस तू मोठा कोरोना *** आहे पूर्ण विश्वास आमच्या शक्तिवर परतून टाकू कुटील हल्ला तू खोटा कोरोना *** तू कुणीही असो जीवाणू वा विषाणू एव्हढेच सांगतो चीनचा तू कूलटा कोरोना *** शासनाचे जरा ऐका घरातच रहा तुम्ही काय करेल वाकडे तू ऊलटा कोरोना *** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबाईल : 9158256054 कोरोना कोरोना
poetess poonam Udaichandra
#5LinePoetry थम गई मेरी कलम, कैसे व्यक्त करू मन के उदगार। कि उजड़ गए मेरे सामने ना जाने कितने घर परिवार।। © poetess poonam Udaichandra कोरोना, कोरोना #5LinePoetry
karthikey poems
कुछ यूं बदला बदला सा है कुदरत का यह रंग जब से आया है .....यह कोरोना वीरान हुई सड़कें घरों में कैद हुआ आम जन मन...... डर डर के हर कोई बोला है हाय कोरोना तबाई कोरोना चैन नहीं है सांसों में भी वह भी बोले कोरोना कोरोना अब तो सिर्फ आजाद है वह पंछी..... जो प्रकृति से ना खेले बाकी बचा बेचारा मानव जो थाली - ताली से ही बोले घुटता है दम रोता है मन जिसको है कोरोना अगर रक्त में घुल गया तो विस्फोटक है कोरोना क्या करें जिद्दी बड़ा है जान लेकर ही मानता है यह कोरोना निगल रहा हैं जो जन-जन को विश्वव्यापी महामारी है यह कोरोना हाय कोरोना तबाही कोरोना
Navash2411
वर्ष का अंत हो रहा था, नववर्ष का आगमन, तभी वुहान में नोवल कोरोना रूपी राक्षस का जन्म हुआ दुनियाँ नववर्ष की तैयारी में मदमस्त हो रही थी। उसी समय भारत में CAA नामक भूत आया, कुछ मुसलमानों को नागरिकता जाने का डर सताया। कुछ विपक्षी नेताओं ने भी फुलसाया, बहकाया, चतुरों ने कुछ दलितों और बुद्धिजीवियों को भी साथ लगाया। गो CAA गो NRC का नारा लगाया, CAA में गलत क्या है ये पूछने पर संविधान खतरे में बताया, साथ ही शहर-शहर शाहीन बाग बैठाया। आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरू होने लगे, बॉलीवुड वाले भी न जाने क्यों CAA पर रोने लगे। हिंदुस्तान में जब शाहीन बाग शाहीन बाग हो रहा था, दुनियाँ का अधिकांश हिस्सा कोरोना से रो रहा था। आफत के पैर कहाँ होते हैं, जैसे संस्कृति के विचरण के नहीं होते। दोनों को मानव ही यात्रा कराता है, जाने अनजाने सबको संकट में लाता है। कभी जिस देश की आलोचना कर रहा होता है, फिर वहीं लौट के आता है। यही तो बंधु नियतिवाद का तकाजा है, प्रकृति के आगे बेकार में जोर लगाता है। ◆जय माता दी◆ #कोरोना #कोरोना #शाहीनबाग #शाहीनबाग