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Anuradha T Gautam 6280
Mahima Jain
•| ग़ज़ल |• " आख़िर कैसे " खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे, अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे। एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था, तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे। तूने तो एक पल में ही पराया कर दिया, मैं तेरे साथ बीते हुए पल भुलाऊं कैसे। मेरी आंखों में दिखता है अब भी तेरा प्यार, तू ही बता इसे दुनिया से छुपाऊं कैसे। दिल की "महिमा" वो ही जाने, जिसने दिल लगाया है, मेरा तो सब कुछ टूट गया, मैं ये रोग लगाऊं कैसे।। •| ग़ज़ल |• "आख़िर कैसे" खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे, अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे। एक तू ही तो था जिसने हंसना
Consciously Unconscious
हां यूं तो कम नहीं है बातें रोने को यहां पर, पर हर किसी को आसूं दिखाऊं कैसे? छुप सके तो बात हो अच्छी अब तुम ही कहो, आंखे छुपाऊं कैसे? की करने को तो कर लूं मैं बातें कई सारी, अब चुप्पी से अच्छा बतलाऊ कैसे? बहुत अच्छा है जमाना बहुत अच्छी इसकी नीयत, अब जाकर हर द्वार खुदको निर्दोष ठहराऊं कैसे? अच्छा है ये की चुप चाप रहूं मैं और अंतर में करता आवाज रहूं मैं, बहुत अच्छा हुं ये भी सच कहां, दूसरों को अपना ख्वाब दिखाऊं कैसे? मेरी बातें बड़ी तिरछी हैं पर समझ मै उन्हें जाया करता हूं, अब हर किसी को क्या है समझाऊं कैसे? क्या ये गलत है की अच्छा लगता हूं खुदको, अब हर किसी को खुदकी पसंद बनाऊं कैसे? रखता हूं खुद तक ही सीमित खुदके जज्बातों को, अब हर किसी से ऐसे बतलाऊं कैसे? सुनो खुदा होता तो शायद ना रोता कभी , इंसान हूं, अकेले में रोता हुं अब हर पल खुदको दबाऊं कैसे? जी लूंगा हंसी खुशी मैं जीवन अपना, तुम ही कहो अब छोटी छोटी बातों पर टूट जाऊं कैसे? हां ख्यालात हैं आते जाते कई सारे हर पल, अब कोई कहे तो सब सोच कर मुरझाऊं कैसे? हां जरूरी है की खड़ा हूं पर्वत की तरह हर पल, पर नदियां के बहाव से खुदको दूर ले जाऊं कैसे? बहुत अच्छा है जीवन खुदा तेरा शुक्रियादा, अब हर बात पर किस्मत को दोषी ढहराऊं कैसे? कोई बात नहीं जो जख्मी हैं पांव मेरे हैं घाव बहुत सारे, अब इन राहों को भुलाऊं कैसे मंजिल को आखिर छोड़ जाऊं कैसे? ©Consciously Unconscious #AloneInCity हां यूं तो कम नहीं है बातें रोने को यहां पर, पर हर किसी को आसूं दिखाऊं कैसे? छुप सके तो बात हो अच्छी अब तुम ही कहो, आंखे छु
Priyank _Umesh
आखिर उन्होंने कह ही दिया कि ''तुम हमें भुला क्यों नहीं देते " हमने भी उनसे कह दिया कि "चीजें दिमाग से निकाली जाती हैं दिल से नहीं " ##कैसे भुलाऊं
azma khan
घाव ठीक हो जाने से हादसे , भुलाए नहीं जाते मेरे दोस्त। ©azma khan भुलाऊं कैसे
Priyank _Umesh
जब तेरी यादें दस्तक देती हैं हमारे दिल पर तो तेरी तस्वीर पर ये नैना बरस जाते हैं तुझे भुलाने की कोशिश बहुत की मैंने मगर तेरी वफाओं के वादों से हम बहक जाते हैं तन्हाई मुझे अब जल्दी तलाश लेती है क्योंकि हम अक्सर तेरी यादों में डूब जाते हैं यूं तो बहूत कुछ है मेरे पास अभी मगर मोहब्ब्त की बूंदों की कमी से सूख जाते हैं ##कैसे भुलाऊं