मलमास,शंकर जी के दिन💕
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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
देखकर सूखी प्यासी झील,
नहीं बहता आँखों से नीर ।
खिलें कैसे कंवल में नील,
हृदय में उठती हो जब पीर ।। १
सुनो सजन मेरी बात आ
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मैं नीतीश
कविता में
मलमास हूँ मैं
विचारों में बिखरा
अहसास हूँ मैं
मजदूर ,बेबस ,गरीब
को महसूस कर सके
वही भावनाएं बटोरे हुए