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Raone

बाप-बेटी #कविता

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बाप-बेटी 


किसी घर लक्ष्मी तो किसी घर पनौती बेटियाँ ।

जनम से लेकर मरने तक सवालों के घेरे में बेटियाँ ।।

संसार की जितनी मुह उतनी बातें ।

दुनियाँ के लिए लड़की पर बाप की धन, संस्कार, इज्ज़त बेटियाँ।।

घर बेटी जब पैदा हुयी, जब पहली गोंदी बाप के आयी ।

उसके नरम उस स्पर्श से, छलक बाप की आँखें आयीं  ।।

ये लम्हाँ बस वहीं जाने गा, जो गोंदी में अपने बेटी पायेगा ।

जग की खातिर लड़की थी, पर बाप की वो बस बेटी थी ।।

मुख उसके जब पापा उसने अपने कान सुना ।

सातों सुर के गूंज को, कानों ने उसके यह राग चुना ।।

उँगली पकड़ पापा के , जब वो नन्हे पैरों से चलती ।

मानों तीनों लोकों में परियाँ, पैजनिया पहन नर्तन करतीं ।।

बैठ पापा की छाती पर, जब नन्हे पैर चलाती है ।

मानों साक्षात् लक्ष्मी सा वो, पैर से सर पे आशीष दे जाती है ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-1) बाप-बेटी

Raone

बाप-बेटी #कविता

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बाप-बेटी 

घर से बाहर पापा को जाते, मीठी किलकारी वो दे जाती ।

शाम को घर वापस आते हीं गुड़िया मेरी,

 नन्हे कदमों संग छलकते लोटे का पानी, संग अपने है ले आती ।

बेटी नहीं वो पापा की, बहार बन धरती पर आयी ।।

बड़े होने की भी जाने क्या जल्दी थी, बेटी को शिक्षा भी तो देनी थी ।

पापा ने अपने चाँद के टुकड़े को, खूब पढ़ाया ।।

उसे बेटा नहीं अपनी बेटी हीं बनाया ।

जैसे तैसे ये सोलह सावन बीत गये, जाने कैसे इतने दिन कट गये ।।

पापा को अब बेटी की चिंता हर पल सताने लगी ।

ब्याह से ज्यादा बेटी से दूरी का भय याद ये आने लगी ।।

बेटी का पहला इश्क़, जिसे बचपन से पापा कहती ।

अब पल में सब दूर होगा, अब बेटी यह कैसे सहती ।।

बेटी का वह मज़बूत कंधा, बेटी का वो हौसला ।

अपने पापा से बड़ा, कोई हो सकता है क्या भला ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-2) बाप-बेटी

khushboo naroliya

#बाप-बेटी

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Raone

बाप-बेटी #कविता

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बाप-बेटी 

अन्ततः दिन इक वह आता है, जो गुड़िया से रानी उसे बनाता है।

घर की लक्ष्मी, घर की तुलसी, अंगना पापा का छोड़ चली।।

बचपन में जिस अंगना में पहला कदम चलायी थी ।

अंगना और चौखट को अब लाँघने की बारी आयी थी ।।

सोलह सावन जिस बगिया को उसने, अपने अन्तः मन में समेटा था ।

एक पल में सब दूर हुआ, इसीलिए बेटी बना इस संसार में उसने भेजा था ।।

संग जिसके रहने को, बचपन से मैंने सोचा था ।

अब ना तेरा साथ रहा, पापा क्या यह विधि-विधान का लेखा था ।।

बेटी , पापा के आँखो से, अश्कों को दूर हटाती है ।

देखते हीं देखते पापा के आँखो से, झट ओझल वो हो जाती है ।।

@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-3) बाप-बेटी

KAHANI WALA

" बाप और बेटी "

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Rajesh rajak

बो बेटी मै बाप

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इक भयानक सच,रात अंधेरी,घोर अंधेरी,
चला कदम से तेज,तभी कोंधी बिजली,करी न देरी,
इक घबराहट,तन मन में लिपट गई,हुई टकराहट तेज,बो सीने से चिपट गई,सिसकियां रुदन में बदल गईं,
काया उसकी डोल गई, बेद मंत्र सा बोल गई,
एक एहसास अंधेरे में भी जागा,भयातुर माहौल भागा,
चंद लम्हों बाद,अरे तू, अरे आप!
सोचो कोन था?बो बेटी मै बाप,थोड़ा गहराई से इन पंक्तियों को समझें आप। बो बेटी मै बाप

Mahindra

बाप बेटी का प्यार #विचार

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अजीतकुमार अजीत कुमार

बेटी मा बाप के साथ #विचार

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बेटी पढंओ बेटी बचाओ बेटी मा बाप के साथ

P S Jha

बाप के कपड़े उतर गए बेटी को पहनाने मे 
बेटी के कपड़े उतर गए जानू को मनाने मे

©Prem Shankar jha #अंधा #इश्क #बेटी #बाप 
#allalone

Maroof alam

बेटी/शायरी

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बेटी   जहालत की दिवारों पर इल्म का गढ़ना बुरा लगता है
आज भी कुछ लोगों को एक बच्ची का पढ़ना बुरा लगता है
वो रोकना चाहते हैं रस्ता उजाले का
अंधेरों को रोशनी का बढ़ना बुरा लगता है

मारुफ आलम बेटी/शायरी
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