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नशीली कलम
Zindagi quotes ये वक़्त किसी का सगा नही है नशीली कलम मेने उन नोटो को भी बाज़ार में पड़े देखा है जो एक समय पुरा बाज़ार खरीदने की औकात रखते थे Baldev pandey #NojotoQuote भरतीय मुद्रा
Phool Singh
ध्यान मुद्रा स्वयं की खोज ही आत्मज्ञान कहलाती, सत्य का कराती बोध एक बिंदु पर ध्यान लगाओ तो जानों क्या झूठ-सच में भेद।। मीन की आँख बने केंद्र बिंदु जब, माया-छाया न टिकती देर अंकुर फूटता तब ज्ञान प्रकाश का निर्माण ब्रह्माण्ड का होता देख।। ज्ञान पाने के होते दो ही रास्ते, गुरू से या खुद से सीखते देख पर सच्चा ज्ञान तुम्हे खुद ही मिलेगा तेरी जो खुद से कराता भेट।। कट जाओगे तब जग-संसार से, जब स्वयं को अंतर्ध्यान में खोते देख प्रकाशित होगा तन-मन ज्ञान से तो पाओ विभिन्नता में सत्ता एक।। धुल जायेगा मैल दिल से, हृदय में दोष न रहेगा एक निर्मल-निश्छल जीवन होगा तब कष्ट न रहेगा एक।। कोई न वस्तु अप्राप्तय होगी, हर पल प्रशंसा-प्रसिद्धि में बढ़ोत्तरी देख जग जीवन से मन ऊब जायेगा स्वयं को तब ध्यान में डूबा देख।। ©Phool Singh ध्यान मुद्रा
Bh@Wn@ Sh@Rm@
क्या दास्तान लिखूं इन शहीदो की जिन्होने वतन के लिये अपनी कुर्बानी दे दी जो देख नही सकते थे,भारत को जकडा हुआ खुद को बेडियो मे जकडे,नारे लगाते थे गली-गली सिर्फ अज़ादी ही मकसद नही थी इन शूरवीरो का भारत को एक-जुट होता देखना ख्वाब था इन वीरो का बचपन से जवानी तक लबो पर एक ही शब्द था वन्दे मतरम वन्दे मातरम एक ही नारा था ना आन्खो मे डर था ना दिल कमजोर था बस गोरो को उनकी औकात दिखाने का जज्बा था भूके प्यासे कितने ही दिन रहे जेलो मे प्राण त्याग दिये पर अपने प्रण पर अटल रहे ना सोचा ना समझा बस वतन से मुहब्बत कर ली इन क्रान्तीकारियो ने बचपन से ही मौत को अपनी दुल्हन समझ ली अग्रेजो ने इनकी मौत की तारिख भी तय कर दी भगत सिंह,सुखदेव ओर राजगुरु को धोके से फान्सी दे दी इतने अत्याचार होने पर भी जो डगमगाये नही आज ही के दिन वो फान्सी पर लटकते मुस्कराते रहे आखिरी सासं भी जिनकी इन्कलाब ज़िन्दाबाद बोलती रही मै उसी देश की बेटी हुं जिसकी लिखते लिखते आन्खे नम हो गई!! ©Bh@Wn@ Sh@Rm@ #शहीदी २४ मार्च
Deepali Mestry
सांसे भरके गुब्बारें में चल पडा वो किस्मत आज़माने हसता खिलखिलाता सफर था मौज मस्ती में कट़ रहा था सामने घना कोहरा था निला आसमान पहाडों सा खडा था सांवली घटा़ जब आ टकराई मंद मंद जब वो मुस्काई साथ उसे भी ले चला सफर पर साथ खुबसुरत था ड़गर कठीण थी संग जीने मरने की कसमें खाई थी जोर से तब इक आॉंधी आई गुब्बारे को चोंट पहुॅंचाई घंटा भी आक्रोश से जम के बरसी आॅंधी को औकात बताई इस सब में अब देर हुई थी गुब्बारें में सांसे कम थी ख्वाब अधुरे छो़ड चला था घटा से बिछडने का समय करीब था सांसे छो़डता ज़मिन पे आ गिरा हम जैसा ही सच्चा - साधा कुछ जाना - पहचाना था गुब्बारा शब्दवेडी #२४/३६५ #आम_आदमी_की_कहानी
nita kumari
जख्म थे दिल के फिर से हरे हो गए, भरते नहीं वो जख्म जो अपनों से मिले हैं लाख कोशिशों के बावजूद भी भूले नहीं वो लम्हें, जब कोई अपना ही दर्द देकर गैर हो गए। ©nita kumari #LongRoad #२१/२/२४
Ek villain
आभासी मुद्रा कहकर पुकारना क्रिप्टोकरंसी की सत्ता और महत्व पर प्रहार था ऐसे उसे बुरा लगना स्वाभाविक था उसे ही टारगेट किया जा रहा है कि जब कि ऐसे में कोई करेंसी अपना लोहा मनवाती रही है उन पर भी तो कोई ध्यान दें क्रिप्टो करेंसी की इस बात पर दम था मुद्रा के विविध रूपों की व्याख्या सुन अतीत में झांका तो कुछ करंसी दृश्य सामने आए पहला देश में अपनी सफलता के पीछे छुपी संघर्ष यात्रा के बयान कर रहे थे अपनी बात कह जा रहे थे वह मौजूद लोग उनके हाव-भाव वस्त्र विन्यास को गौर से देखते हुए यह सोच रहे थे कि उन्हें किसी ना कोई काम करते तो अब तक नहीं देखा फिर इन संघर्ष सफलता में कैसे शामिल हो गए सहस लफ्जों करेंसी की याद आई यह करेंसी है जो स्वयं आकार लिपट जाती है देखते ही देखते बिना कोई काम किए लोग कहां से कहां पहुंच जाते हैं यह क्रिप्टो करेंसी का प्रभाव है वर्षों से जमे जमाए धंधे पर चोट करने वालों का वह लानत भेज रहे थे कह रहे थे कि बरसों से यह काम कर रहे हैं तब किसी को ध्यान नहीं आया आज अचानक क्या हो गया है हमें टारगेट किया जा रहा है हमने एक-एक पैसा जोड़कर यह मुकाम हासिल किया है आज हमें शक की नजरों से देखा जा रहा है अरे एक देते हैं तो 10 लेते हैं यह कोई सरकारी आरआरसी तो है नहीं जो यूं ही वसूली जाए हमें इतनी आसानी से थोड़ी ना दे देते हैं कोई अलग हालत में हाथ डालकर पैसे निकालना पड़ता है उन्हें इस आक्रोश भरे व्यक्तियों को सुनकर जब तो करेंसी याद आ गई ©Ek villain #आभासी मुद्रा प्रभावी #doubleface
Bharat Bhushan pathak