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Krishna Mandal
एक को छोड़ किसी को दिल में बसाया नहीं। हद से ज्यादा किसी से अंबक लराया नहीं। बेशुमार गम के बाद सीखे है,जीने का हुनर, अपने चाहत में किसी को हमने तरपाया नहीं। कवि:-कृष्ण मंडल #sed#शायरी एक को छोड़ किसी को दिल में बसाया नहीं। हद से ज्यादा किसी से अंबक लराया नहीं। बेशुमार गम के बाद सीखे है,जीने का हुनर, अपने चाहत म
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 21 जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि। तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ॥21॥ रावण का साम्राज्य, भगवान् राम के बल के थोड़े से अंश के बराबर और हे रावण! सुन,जिसके बल के लवलेश अर्थात किन्चित्मात्र, थोडे से अंश से तूने तमाम चराचर जगत को जीता है,उस परमात्मा का मै दूत हूँ जिनकी प्यारी सीता को तू हर ले आया है ॥21॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम रावण का सहस्रबाहु और बालि से युद्ध जानउँ मैं तुम्हारि प्रभुताई। सहसबाहु सन परी लराई॥ समर बालि सन करि जसु पावा। सुनि कपि बचन बिहसि बिहरावा॥ हे रावण! तुम्हारी प्रभुता तो मैंने तभी से जान ली है कि जब तुम्हे सहस्रबाहु के साथ युद्ध करनेका काम पड़ा था और मुझको यह बात भी याद है कि तुमने बालि से लड़ कर जो यश प्राप्त किया था। हनुमानजी के ये वचन सुनकर रावण ने हँसी में ही उड़ा दिए॥ हनुमानजी ने अशोकवन क्यों उजाड़ा? खायउँ फल प्रभु लागी भूँखा। कपि सुभाव तें तोरेउँ रूखा॥ सब कें देह परम प्रिय स्वामी। मारहिं मोहि कुमारग गामी॥ तब फिर हनुमानजी ने कहा कि हे रावण!मुझको भूख लग गयी थी इसलिए तो मैंने आपके बाग़ के फल खाए है औरजो वृक्षो को तोडा है सो तो केवल मैंने अपने वानर स्वाभावकी चपलतासे तोड़ डाले है और जो मैंने आपके राक्षसों को मारा उसका कारण तो यह है की हे रावण!अपना देह तो सबको बहुत प्यारा लगता है,सो वे खोटे रास्ते चलने वाले राक्षस मुझको मारने लगे॥ हनुमानजी ने राक्षसों को क्यों मारा? जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। तेहि पर बाँधेउँ तनयँ तुम्हारे॥ मोहि न कछु बाँधे कइ लाजा। कीन्ह चहउँ निज प्रभु कर काजा॥ तब मैंने अपने प्यारे शरीर की रक्षा करने के लिए जिन्होंने मुझको मारा था उनको मैंने भी मारा।इस पर आपके पुत्र ने मुझको बाँध लिया है,हनुमान जी कहते है कि मुझको बंध जाने से कुछ भी लज्जा नहीं आती क्योंकि मै अपने स्वामी का कार्य करना चाहता हूँ॥ हनुमानजी रावण को समझाते है बिनती करउँ जोरि कर रावन। सुनहु मान तजि मोर सिखावन॥ देखहु तुम्ह निज कुलहि बिचारी। भ्रम तजि भजहु भगत भय हारी॥ हे रावण! मै हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना करता हूँ।सो अभिमान छोड़कर मेरी शिक्षा सुनो॥और अपने मन मे विचार करके तुम अपने आप खूब अच्छी तरह देख लो और सोचनेके बाद भ्रम छोड़कर भक्तजनों के भय मिटाने वाले प्रभुकी सेवा करो॥ ईश्वर से कभी बैर नहीं करना चाहिए जाकें डर अति काल डेराई। जो सुर असुर चराचर खाई॥ तासों बयरु कबहुँ नहिं कीजै। मोरे कहें जानकी दीजै॥ हे रावण! जो देवता, दैत्य और सारे चराचर को खा जाता है,वह काल भी जिसके सामने अत्यंत भयभीत रहता है॥उस परमात्मा से कभी बैर नहीं करना चाहिये।इसलिए जो तू मेरा कहना माने तो सीताजी को रामचन्द्रजी को दे दो॥ विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 824 से 835 नाम 824 अश्वत्थः श्व अर्थात कल भी रहनेवाला नहीं है 825 चाणूरान्ध्रनिषूदनः चाणूर नामक अन्ध्र जाति के वीर को मारने वाले हैं 826 सहस्रार्चिः जिनकी सहस्र अर्चियाँ (किरणें) हैं 827 सप्तजिह्वः उनकी अग्निरूपी सात जिह्वाएँ हैं 828 सप्तैधाः जिनकी सात ऐधाएँ हैं अर्थात दीप्तियाँ हैं 829 सप्तवाहनः सात घोड़े(सूर्यरूप) जिनके वाहन हैं 830 अमूर्तिः जो मूर्तिहीन हैं 831 अनघः जिनमे अघ(दुःख) या पाप नहीं है 832 अचिन्त्यः सब प्रमाणों के अविषय हैं 833 भयकृत् भक्तों का भय काटने वाले हैं 834 भयनाशनः धर्म का पालन करने वालों का भय नष्ट करने वाले हैं 835 अणुः जो अत्यंत सूक्ष्म हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 21 जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि। तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ॥21॥ रावण का साम्राज्य, भगवान् राम के
Kanhaiya Lal Kushwaha
कविता : अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! समझे कोई विस्तार नहीं , तब सार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! सुंदर वृक्षों से हरी - भरी , थी धरा तुम्हें मालूम नहीं ! पंछी गाते - मुस्काते थे , अब कहीं भी ऐसी धूम नहीं !! कुछ करने से पहले , उसका आधार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! शीतल जल था, नदियां पावन , तब मधुर हवा भी गाती थी ! है बने जहां पर भवन , वहां पर फसल कभी लहराती थी !! रुक जाती है गति नदियों की , तब धार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! जनसंख्या तक तो ठीक,मगर अब जनसंख्या विस्फोट किया ! पहले था मूल्य मगर मुझको , अब जैसे जाली नोट किया !! तम को कम करके तेजोमय , संसार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनियां , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! हो गई अति अब रुक जाओ , वरना इतिहास नहीं होगा ! पढ़ जिसे गर्व महसूस करें , कुछ ऐसा खास नहीं होगा !! खुद को न खुदा समझ पाओ , अवतार बनाना पड़ता है ! जब बदलेगी दुनिया , अपने अनुसार बनाना पड़ता है !! #Earth_Day_2020 #prathvi #earthday धार को प्रमाण यही तुलसी, जो फरा सो झरा सो बरा सो बताना,, वसुधैव कुटुंबम्,
Gumnam Shayar Mahboob
अभी भी जख्म भरा पड़ा है सुखा नहीं है हरा पड़ा है सब भूलकर कर रहा गुफ्तगू गिला शिकवा सब धरा पड़ा है #जख्म #हरा #भरा #गुफ्तगू #गिलाशिकवा #धरा #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob
पंडित जी बनारस वाले
फिर कोई ज़ख्म मिलेगा तैयार रह ऐ दिल कुछ लोग फिर पेश आ रहे हैं बहुत प्यार से संभल जा जरा ..तेरा होने लगा हूं 🌹😃
Mohd sadik
फ़िज़ा में ज़हर भरा है जरा संभल कर चलो, मुखालिफ आज हवा है जरा संभल कर चलो, कोई देखे न देखे बुराइयां अपनी, खुदा तो देख रहा है जरा संभल कर चलो। ©Mohd sadik #me फ़िज़ा में ज़हर भरा है जरा संभल कर चलो,
sukoon
हौले हौले धरा पर झुका ये गगन हठ धरा का धरा पे धरा रहा गया पूरी गजल 👇 बोलना था उसे पर डरा रहा गया आंख में आंशू मेरे भरा रहा गया छोड़ कर वो मुझे दूर जाने लगा देखके मन मेरा ये मरा रहा गया आंख में सास में धड़कनों
suraj silodi
जरा जरा सा बादल आये । भरा भरा सा पानी लाये । - बादल ©Suraj Silodi #बादल जरा जरा से बादल आये । भरा भरा सा पानी लाये । ..... यह कविता बहुत जल्द आने वाली है । इसको अंत तक जरूर सुने धन्यवाद✍️✍️ #faraway