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Poonam Mehta
मां है ठंडी छांव रे इस बिन सुना गांव रे मां जैसा ना प्यारा कोई ना इसके जैसा सहारा कोई मां का सब सत्कार करो मां से तुम प्यार करो बच्चे को सुला सूखे पर खुद गीले में सो जाती है बच्चे की वह खड़़ी राह निहारे देहरी पर रात बिताती हैं अपने रोते बच्चे को मीठे बोलों से बहलाती हैं उसको ना तुम तड़पाओ रे ममता का उसकी रख लो मान दुख देकर उसको ना तुम कोई ऐसा कहर कमाओ रे मां के पैरों में जन्नतें एक जन्म में फिर ना मिलती चाहे कर लेना लाख तुम मन्नतें आओ करें सत्कार जननी का पालें बस प्यार जननी का सेवा सत्कार समर्पण से खुश रखने अपनी मांओं को मां के संग सदा हम रह लें ना तरसाए ठंडी छांव को मांवाँ ठंडियाँ छांवाँ....🌺🌷🌺🌷🌺
Nilam Agarwalla
तेरी नेह की छांव में, बैठे रहें यूं ही उम्र भर। तेरे जुल्फ के गांव में,खोए रहें यूं ही उम्र भर। तेरी बेतुकी बातों को,बस बैठे बैठे सुनते रहें तेरी आंखों की झील में, डूबे रहें यूंही उम्र भर।। ©Nilam Agarwalla #छांव
Raviraaj
पिता की हो, पेड़ की हो पति की हो, पत्नी को हो, या प्रेमिका की जुल्फों की हो। छांव में रहने की तमन्ना मत रखो।। ©Raviraaj #छांव
Manmohan Dheer
इम्तिहानों भरी मेहनकश ज़िंदगी में तू घनी शीतल मीठी सी छांव है ये दुनिया के दावे और हक़ीक़तें सिमट के तुझमें जैसे बड़ा गाँव है . शुभकामनाओं सहित 🙏 छांव
Deep Patel
ये घनी छांव भी शज़िश है किसी दुश्मन की, मुझको मालूम था तुम लोग ठहर जाओगे! @छांव
तृप्ति
मैं वो छांव हूं जो अक़्सर धूप में याद आ जाया करती हूं.. ये आदत में शुमार है मेरे मैं साया बन साथ देती हूं !! ये मायने नहीं रखता कि मैं पास हूं या दूर उस से... मैं ये सोच कर खुश हूं कि उसके जहन में रहा करती हूं !! ©तृप्ति #छांव
Neophyte
अपनी कीमतों से नीचे गिर कर बिका तू मुझपे वक़्त न लगा,तू मुझपे दांव न लगा अब तो दिल पर ज़ख्म की जगह नही बची मेरे क़ातिल तू कही और घाव न लगा इस दरिया का हौसला देख के डर इस तूफान के बीच अपनी नाव न लगा धूप ऐसी की बदन पर दरारे पड़ जाए सफ़र ऐसा की नसीब छांव न लगा -(क्षत्रियंकेश) छांव!
Chanchal Hriday Pathak
देखिए शहरों में अब वो ठहराव कहां है? है धूप बहुत तेज़ अब वो छांव कहां है? फूलों को भी तो रौंदते हैं लोग देखिए, अब देखते नहीं हैं कि वो पांव कहां हैं? अब पूछता है कौन यहां हाल किसी का, इंसानियत की बात अब वो भाव कहां है? अपने ही अब लगे हैं अपनों को मारने, अब इससे बड़ा तुम कहो वो घाव कहां है? सब आ गए हैं जद में सब हो गए फरेबी, चंचल* शराफतों के अब वो गांव कहा हैं? ©Chanchal Hriday Pathak #छांव