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Gopal Pandit

हमें इतिहास से हमेशा एक सीख लेनी चाहिए और जो लोग इतिहास से सीख नहीं पाते वह लोग इतिहास में खो जाते हैं महाराणा प्रताप इतिहास में अमर है क्योंकि उन्होंने अपने पूर्वजों के इतिहास का स्मरण रखा और कभी शत्रु के आगे ना झुकने की परंपरा का पालन किया
हमें बेटियों को महारानी  पद्मावती जी का इतिहास बताना चाहिए किस तरह महारानी पद्मावती जी ने अपने सम्मान को बचाने के लिए जौहर किया ताकि कोई परपुरुष उनके दामन को छू ना सके 
और महाराणा प्रताप के इतिहास से सिख लेनी चाहिए किसी भी परिस्थिति में शत्रु के आगे झुकना नहीं चाहिए अपने धर्म और राष्ट्र के लिए अपना आत्मबलिदाब देने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए#गोपाल_पंडित

©Gopal Pandit
  #maharanapratap 
हमें इतिहास से हमेशा एक सीख लेनी चाहिए और जो लोग इतिहास से सीख नहीं पाते वह लोग इतिहास में खो जाते हैं महाराणा प्रताप इतिहा

#maharanapratap हमें इतिहास से हमेशा एक सीख लेनी चाहिए और जो लोग इतिहास से सीख नहीं पाते वह लोग इतिहास में खो जाते हैं महाराणा प्रताप इतिहा #History #Knowledge #शायरी #gopal_pandit #dear_ज़िंदगी #बेवफ़ा_ज़िंदगी

1,578 Views

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shishpal rajpurohit

तू अपना काम करता चल, 90% पुरुष ठंडा टिफिन खाते है
सिर्फ इसलिए ताकि
उनका परिवार गर्म खाना खा सके। पुरुष

पुरुष #बात

10 Love

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Geeta Sharma pranay

Expression Depression एक बात पुछनी थी मुझे 
अपने ही पुरूष-प्रधान देश के पुरुषों से... 
क्या स्त्री  सिर्फ उपभोग की वस्तु हैं,
उसकी कोई भावना की कदर ही नहीं,, 
क्या स्त्री के हृदय -हृदय नहीं, 
सिर्फ एक माटी का खिलौना हैं 
जो कोई भी उसके साथ कुछ 
भी कर सकता हैं,,, 
पर! किसी के ह्रदय के साथ खेलना ,
ये कहाँ का पुरुषत्व हैं? 
यहीं हमारा पुरूष-प्रधान देश है, 
जो अब स्त्री की रक्षा सिर्फ 
उसके तन  तक ही सीमित है ,
एक स्त्री सिर्फ उस पुरूष के लिए ,
उसका प्रेम प्राप्त करने के लिए 
कुछ भी बन जाती हैं,,, 
क्या वास्तव में पुरूष का ह्रदय
सिर्फ स्त्री के तन को मैला करने 
के लिए होता हैं, 
क्या समाज में आज भी हर दायरा 
सिर्फ स्त्री के लिए हैं,, 
पुरूष स्त्री के साथ कभी भी कैसा भी 
व्यवहार कर सकता हैं, 
उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ 
कर सकता हैं, 
बस!  उसका प्रेम स्त्री का प्रेम 
वासनायुक्त प्रेम हैं, 
उसके हिरदय में कभी पवित्र प्रेम 
जन्म नही लेता हैं??? पुरुष

पुरुष #कविता

6 Love

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गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश

#तुम_पुरुष_हो
सुनो, तुम पुरुष हो!
तो तुम्हे केवल कर्तव्य निभाने है,
घर से लेकर दुनियादारी तक!
भीड़ से लेकर चारदीवारी तक!!
तुमने जहां बात की अधिकारों की,
तो तुम धारा के विपरीत होगे,
सामाजिक ताने बाने को तोड़ रहे होगे!
सबके तंज का रुख अपनी ओर मोड़ रहे होगे!!
तुम कठोर हो तुम सह जाओगे,
यही तुम सीखोगे, आगे सिखाओगे,
टूटना नहीं है तुम्हे दायरे में रहना है!
मान्यताओं के विपरीत नहीं संग रहना है!!
कहते हों लोग कि तुमसे प्यार है,
तुम्हे ही समाज के सारे अधिकार है,
पर इस बहाने बोझ तुम पर ही डाला गया है!
अधिकारों के बहाने कर्तव्यों से छला गया है!!
पर फिर भी तुम खुश रहते हो,
अपने अन्दर ही कहीं गुम रहते हो,
छोड़ देते हो कहीं दूर तकलीफों की बातें।
कैसे गुजारते हो दिन, कैसे बीतती तुम्हारी रातें।।
तुम अपने खोल में ही खुश रहते हो,
ऐसे ही दूसरों से खुद को अलग करते हो,
अलहदा है यही पहचान तुम्हारी सबसे।
ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।।
ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।।

पुरुष दिवस की सभी मित्रों को बधाई।।
19.11.2018 पुरुष
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Yogendra singh

 पुरुष #

पुरुष # #story #nojotophoto

4 Love

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Ankit yaduvanshi

असीमित  दर्द , सूखी  आंखें  अनगिनत  जिम्मेदारियां पारिवारिक  अपेक्षाओं  का  बोझ  दिल  में  नमी , होठों  पर  मुस्कान  विभिन्न  किरदारों  में  ढल  जाता हूं  हां , मैं  पुरुष  कहलाता  हूं..!

©Ankit yaduvanshi #पुरुष
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Anoop Mohan

 पुरूष के लिए स्त्री का स्पर्श 
उतना ही महत्वहीन हो जाता है,,,
            जितना दिन में दीपक का ;
जब कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा छला जाता है  !

          #मैं पुरुष हूँ !!

©Anoop Mohan
  #पुरुष
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पूर्वार्थ

मैं पुरुष हूँ
विधाता की हूँ रचना,मैं नारी का अभिमान हूँ,
हाँ मैं एक पुरुष हूँ!

मन की बात मन में रख,ऊपर से हरदम खुशमिजाज़ हूँ
माँ की ममता,पिता का स्वाभिमान हूँ,
हाँ मैं एक पुरुष हूँ!

मैं जीवन में आया जबसे,अपेक्षा के बोझ से लदा हरदम
पिता के फटे जूते से लेकर,बहन की शादी के
सपनों का आधार हूँ,मैं उम्मीदों का पहाड़ हूँ
हाँ मैं पुरुष हूँ!

थकान हो गई तो क्या,पाँव रुक गए तो क्या
मुझको चलना है हरदम,मैं बिटिया की गुड़ियों का खरीदार हूँ
मैं आशाओं का मीनार हूँ
हाँ मैं पुरूष हूँ!

रो मैं सकता नहीं,कह मैं सकता नहीं
डर अपना यह,मैं सह सकता नहीं
ऊपर से बहुत अभिमानी,पर अंदर से निपट असहाय हूँ
मैं परिवार का एतबार हूँ,
हाँ मैं पुरुष हूँ!

पत्नी की इच्छा,माँ के सपने
बच्चों की ख्वाहिशें,पिता के गुस्से का शिकार हूँ,
हाँ मैं पुरुष हूँ!

आदर देता मैं हरदम,प्यार लुटाता हूँ हर इक कदम
फिर भी कुछ हैवानों के कारण,मैं नफरत का शिकार हूँ,

हाँ मैं पुरुष हूँ
हाँ मैं पुरुष हूँ
हाँ मैं पुरुष हूँ

©पूर्वार्थ
  #पुरुष
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पूर्वार्थ

पुरुष का दर्द
औरत के दुख को सब समझते हैं पर पुरुष का दर्द नहीं समझते हैं 
औरत रोती है तो सब रुक जाते हैं पर पुरुष रोता है तो सब हँसते हैं
औरत के संघर्ष को सब पहचानते हैं पर पुरुष के संघर्ष को नहीं पहचानते हैं औरत लड़ती है तो सब उसका साथ देते हैं पर पुरुष लड़ता है तो सब उसका विरोध करते हैं
औरत की पीड़ा को सब महसूस करते हैं पर पुरुष की पीड़ा को नहीं महसूस करते हैं औरत को सहारा देते हैं पर पुरुष को अकेला छोड़ देते हैं
पुरुष भी इंसान है उसका भी दिल होता है उसके 
भी सपने होते हैं उसके भी दुख होते हैं
पर समाज उसे नहीं समझता उसके दर्द को नहीं सुनता
 उसके संघर्ष को नहीं देखता
आओ हम पुरुष के दर्द को समझें उसके संघर्ष को पहचानें 
उसकी पीड़ा को महसूस करें और उसे सहारा दें

©पूर्वार्थ #पुरुष
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Dr.Laxmi Kant trivedi (lucky)

Hope  मर्द हो तो पहले हम दर्द बनो 
जब भी जरूरत पड़े तुरन्त बोलो 
जिसको किसी दूसरे का दर्द एहसास होता है
वही असली मर्द होता है 

बड़े ना तुम न बड़े हम 
इस बात मैं क्यूँ उलझे हम 
स्त्री पुरुष अधूरे है बिना एक दूजे के           
करें स्त्री की हिफाजत जो हमेशा,
यहीं आदर्श है उत्तम पुरुष के 

पुरुष दिवस की ढेरों शुभकामनायें समस्त लोंगो को 💐 पुरुष #

पुरुष #

7 Love

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HariOm Patidar

पुरुष की व्यथा का पानी आंखो से अश्रु बन नहीं बहता ,
बहता है माथे से एड़ी तक पसीना बन,
 जिम्मेदारी का बोझ ढोते हुए । 

hari... पुरुष...

पुरुष... #अनुभव

12 Love

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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS

-यकीनन 
पुरुषों की पैदाइश 
पत्थर खाकर ही हुई होगी 

कमबख्त 
कि संवेदनाओं का
सदियों से कोई मोल नहीं
" क्योंकि वह पुरुष हैं "

©Ankur Mishra #पुरुष
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अपर्णा विजय

मुस्कुराता है ऊपर से 
अंदर से जो लहू लुहान है
क्या करें बिचारा 
दी गई उसे पुरुष की पहचान है
के मजबूत हो तुम रो नहीं सकते
जो दिखते हो ऊपर से
 वह अंदर हो नहीं सकते
दिल तो तुम्हारा भी,
दुखता है पर बता नहीं सकते
पुरुष हो ना  तुम इसलिए  
ग़म अपना
जमाने को जता नहीं सकते
ओढ़ कर वो
नकली मुस्कुराहट का लिबास
हर दिन सफर करता है
टूटता  है गिरता है 
उठता है और बिखरता है
घर की जरूरत का गुणा भाग कर
तमाम परेशानियों को 
सबसे,छिपाकर
न जाने किन ख्यालों से गुजरता है
प्यार और दुलार की
 उसे भी दरकार होती है
तबीयत तो उसकी भी
 नासाज और बीमार होती है
आसान नहीं है होना आदमी यहां
हिस्से में जिसके धूप कम होती है
दामन थामे इनका शब ए तार होती है ।

अपर्णा विजय

©अपर्णा विजय #पुरुष
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पूर्वार्थ

पुरुषो को समर्पित

एक मजदूर बनकर
उम्र भर बोझां  ढोता रहा
कभी भाई बनकर,कभी पिता बनकर,और कभी बाप बन कर !

भाइयों को पढ़ाया लिखाया सब लायक बनाया,
सिर  उठाकर  उन्हें  दुनिया  में जीना सिखाया!
भूख और गरीबी का कभी भी, उन्हें एहसास ना होने दिया,
किसी भी चीज के लिए,उन्हें जिंदगी में निराश ना होने दिया !
बो देर तक सोते रहे और मैं जगता रहा !!
एक मजदूर बनकर, 
उम्र भर बोझा  ढ़ोता रहा !
बहन की एक अच्छे घर में शादी की, दान दहेज देने में कोई कमी नहीं की,
कुछ कमी थी तो ससुराल वाले ताना देंगे,मेरी प्यारी बहना को चैन से जीने नहीं देंगे !
यही सोचकर पास पल्ले में जो भी था,ओ सब कुछ मैंने लुटा दिया था !
अपनी बहन की खातिर, मैंने अपनी हस्ती को मिटा दिया था !!
बहुत सालों तक उसको दिए दहेज का,कर्ज पाटता रहा !
कभी रूखी कभी सूखी खाकर,अपना वक्त हंस हंस के काटता रहा !!
कभी चिंता में जगता रहा, कभी सोता रहा !
एक मजदूर बनकर,
 उम्र भर बोझ ढ़ोता रहा !!
फिर आ गई अपने, परिवार कि, जिम्मेदारी !इसी कि जरूरतें पूरा करने में गुजर गई उम्र सारी !!
पत्नी की ख्वाहिशें, बच्चों की मनचाही पसंद !रहा हमेशा  ही मैं सबको खुश करने में पाबंद !!
उनको  बड़ा आदमी  बनाने के क्या-क्या ना किया !एजूकेशन लोन लिया, दो दो शिफ्टों में काम किया !!
जो मैंने चाहा वो काम करेंगे ?
सुख सुविधाओं के साथ जीवन व्यतीत करेंगे !जो मैंने कष्ट उठाया बो ना उठाएं कभी !
भूले से भी उनके जीवन में दुख ना आए कभी !!
यही मन्नत मांग कर,बजरंगबली को हर हफ्ते प्रसाद चढ़ाता रहा !
एक मजदूर बंद कर, उम्रभर बोझा ढोता रहा !!

याद कर कर के पुरानी यादें,मेरा दर्द -ओ -गम कम नहीं होता !
गर बच्चे मां बाप का दर्द समझते तो, गली- गली ये  वृद्धाश्रम नहीं होता !!

यही सोच सोच कर मैं रात भर,रोता रहा, तड़पता रहा !!

मजदूरी मांगने का बक्त आया तो कोई पास नहीं है !
मेरे  दुख दर्द  का  घर में किसी को एहसास नहीं है !!
अपनी दुर्गति का मुझे एहसास हो रहा है !
देखो धीरे-धीरे मेरा शरीर ल्हाश हो रहा है !!

जो नहीं चाहा मैंने अमन,वह मेरे साथ होता रहा !
एक मजदूर बनके,उम्र भर  बोझां ढोता रहा...!❤🙏

©पूर्वार्थ #पुरुष
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पूर्वार्थ

"कहां मिलते हैं ऐसे पुरुष"

हे इश्क की मरीजो!
वहीं मिलते हैं अच्छे पुरुष ,जहां आप जाना नहीं चाहते, 
जहां आप कहते हैं औकात देखी अपनी ? 

पुरूष भी अच्छे होते हैं 
अब तुम्हें पसंद ही नशेड़ी, धोखेबाज, योयो टाईप आएं 
क्योंकि पद ऊंचा है, लुक्स अच्छी है ,या खानदानी रईस है तो हे विश्व सुंदरियो! 
इसमें उन पुरूषों का क्या दोष 
जिन्हें आप ढूंढ रहे हैं ? 

अब ये मत कहना ,स्त्री ह्रदय देखकर प्रेम करती है 
धन दौलत या लुक्स देखकर नहीं। 
अगर ऐसा है तो ,तुम्हारे सपनों का राजकुमार ही क्यों 
मजदूर क्यों नहीं ? 
क्या मजदूरों का दिल अच्छा नही होता?

हमने सुना है ,IAS अधिकारी ने गरीब स्त्री से शादी की, 
आपने कभी सुना है ,एक IAS स्त्री ने मजदूर से शादी की ? 

पुरुष प्रेम नहीं करता तो क्यों प्रेम करते हो ?
 क्यो प्रपोजल स्वीकार करते हो ?

पुरुष को सिर्फ देह से प्रेम है ,स्त्री को रूह से प्रेम है 
ठीक है मान लेते हैं तो काहे देह सौंपते हो ,
रूह से प्रेम तो बिना शादी के भी हो सकता है ना ? 

तुम्हें पुरुष से इतनी ही नफ़रत है ,तो जाकर स्त्री से ही प्रेम करो ना। 
तुम्हें तो सिर्फ रूह से प्रेम है ना तो 
मुझे नहीं लगता वहां पुरुष को होना चाहिए,क्योंकि पुरुष को सिर्फ देह से प्रेम है।

बिल्कुल कुछ पुरुष बुरे भी हैं 
इसमें कोई संदेह नहीं। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं स्त्रियां भी दूध की धुली नहीं हैं 
वो हम गिनाने लग गए तो प्रलय आ जाएगी 
परंतु हम कुछ की वजह से सबको गलत नहीं कहेंगे 
जैसे आप कहती हैं..

बस अब और नही

नोट: हम स्त्री की स्वतंत्रता और समान अधिकार के 
समर्थक अवश्य हैं परंतु क्षमा कीजिएगा हम स्त्री द्वारा दी
 गई गाली को नारीवाद का नाम नहीं दे सकते..!!

©पूर्वार्थ
  #पुरुष
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Nilam Agarwalla

#पुरुष
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पूर्वार्थ

सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है
तुम थोड़ा सा "#प्यार_देना"
पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ।
मन के किसी,कोने में दबा कुचला
सहमा सा "#प्रेमी_भी_हूँ।"
पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"#मैं_पुरूष_हूँ।"
जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता
सरेआम अपनी तकलीफ पर खुलकर रो नहीं सकता।
क्यूँकि "#मैं_पुरूष_हूँ।"
मगर हटकर परे दुनियां के मापदंडों से
थामकर मेरी हथेलियों को अपने हाथों में
बिना कोई सवाल,कहना "#मैं_हूँ_ना"।।
अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष
पर हूँ तो मैं भी "#इंसान_हीं_ना"।।
बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ,दिन भर
तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमशुम
उदास देखना,तो बिना सवाल,अपने गोद में सर रख
बालों में हाथ फेरते हुए कहना।।
सब ठीक हो जाएगा
क्यूँ फिक्र करते हो "#मैं_हूँ_ना"

©पूर्वार्थ #पुरुष
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Amit Singhal "Aseemit"

#पुरुष
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Rajeev R.K

होते हैं ... 
कुछ पुरुष भी ऐसे जो अपना सर्वस्व वार देते हैं
स्त्री के प्रेम में
अपना पौरुष भी हार देते हैं 

ना देह का लोभ होता है ना होता है कपट मन में
चरणों में भेंट चढ़ाने को
अपना अहम भी मार देते हैं 

आलिंगन का लोभ नहीं, ना दर्शन की ही दरकार कोई
ख्यालों में रह कर भी
नजदीकियों सा प्यार देते हैं

जुस्तजू नही कुछ पाने की, उम्मीद भी ना हो निभाने की
बस रह कर मौन, हो कर गौण
अंतर्मन का करार देते हैं .... 
होते हैं ....
कुछ पुरुष भी ऐसे भी 😒😒

©Rajeev R.K
  #पुरुष
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Andy Mann

Village Life पुरुष जब किसी स्त्री को चाहता है तो उसका सर्वस्व चाहता है,
उसके दुःख, सुख, प्रेम, ईर्ष्या सब कुछ पर अपना पूर्ण अधिकार चाहता है, पुरुष अपनी प्रिय स्त्री के आंसुओ के एक बूंद को भी किसी के साथ साझा नही करना चाहता है। ❤️

©Andy Mann
  #पुरुष
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Parakash Singh

 पुरुष

पुरुष

3 Love

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Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital

#पुरुष
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nisha Kharatshinde

पुरुष 

कर्तव्यतत्पर तो ही असतो
हळवा बाप मनातून
घरटयातील पिलांसाठी
तो ही रडतो आतून

निर्भिड,सक्रिय,कौटुंबिक तो
घराण्याचा मान ही असतो
वटारलेल्या डोळ्या मागील
पती कुणा बाप ही असतो

मन मारुन पुरुषही जगतो
तिच्या स्वप्नांचा विचार करतो
सुखदुःखांची बासुरी होऊन
शांत सूरांनी तिला मनवतो

तो ही पडतो बळी हिंसेचा
शोषण,पक्षपात झळाळी सोसतो
कुटुंबप्रमुख या नावाखाली
स्वदुखांना स्वतःच दडपतो

आहेरमाहेर‌ कधी त्याला नसते
अपेक्षांचे रडगाणे मागे असते
जबाबदारीच्या ओझ्याखाली
जगणे कधीतरी ओझे बनते

असंख्य वेदनांनी त्रस्त असूनही 
पुरुषार्थ न गाजवता जगतो
कडक शिस्तीच्या मागे
हृदयी प्रेम दडपणारा बापच असतो

✍️ काव्यनिश

©nisha Kharatshinde पुरुष

पुरुष #Poetry

15 Love

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पूर्वार्थ

पुरुष
तब तक ही तुम्हारा होता है,जब तक वह तुमसे लड़ता है
छोटी छोटी बातों पर,वह टोक देता है
हरे नेलपॉलिश के लगाने पर,या बाल बांध लेने पर
वह टोक देता है किसी अनजान से बात करने पर

वह तब तक ही तुम्हारा होता है
जब तक वह छोटी सी बात पर भी गुस्सा हो जाता है
और जब मनाओ तो थोड़ी ही देर में मान भी जाता है

फिर एक दिन वह चुप हो जाता है
छोटी छोटी बातों पर गुस्सा होना बन्द कर देता है
छूट जाता है उसका रूठना और उसका टोकना

साथ ही छूट जाता है वह हिस्सा जो तुम्हारा था
टूट जाती है उसकी उम्मीदें,और तुम चिल्लाना चाहती हो

तुम चिल्लाती हो और वह चुपचाप सुन लेता है
सुन लेता है लेकिन सुनाना बंद कर देता है

वह उम्मीदें हार चुका होता है
और जा चुका होता तुमसे बहुत दूर

इतनी दूर कि उसका वापस आना मुमकिन नहीं होता
तुम खुशकिस्मत हुई तो उसकी देह और जेब भर तुम्हारे पास रह जाते हैं

©पूर्वार्थ #पुरुष
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Drjagriti

#पुरुष
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पूर्वार्थ

सुनो!
तुम पुरुष हो
तुम्हारी तारीफ़ के लिए मैं 
किसी भौतिक वस्तु का सहारा नहीं लूंगी
मैं नहीं कहूंगी 
तुम खूबसूरत हो
मैं नहीं कहूंगी
तुम्हारे माथे पर ये चांद सी बिंदी
तुम्हारे कानों में वो गुंबदनुमा झुमके
तुम्हारी घनी काली जुल्फों की छाया...!.

तुम पुरुष हो
तुम्हारे हाथों में चूड़ियां भी नहीं खनकतीं
तुम्हारे पैरों ने पायल भी नहीं बजतीं
न तुम्हारे पैरों की उंगलियों में सजती है 
कोई बिछिया
मैं तुम्हारी तारीफ के लिए
तुम्हारे बालों में किसी गजरे से लेकर 
पैरों के बिछिया तक का कोई सहारा नहीं ले पाऊंगी।
मैं लिख भी नहीं सकूंगी कोई कविता गीत ग़ज़ल 
तुम्हारी तारीफ़ में।

तुम पुरुष हो
दुनियां की सारी भाषाओं के 
सारे अक्षर ढूंढ लिए
तुम्हारी तारीफ़ के लिए कोई शब्द ही नहीं मिले

लेकिन तुम जानते हो?
तुम्हारी ’तारीफ़’ शब्दों से परे है
कोई वर्णमाला तुम्हारी तारीफ़ नहीं कर पाएगी
तुम समझ सको तो समझना
सुन सको तो सुनना
तुम्हारी तारीफ़ में कहे जाने वाले
मेरे अनकहे शब्द
जब भी मैं प्रेम से निहरूंगी तुम्हें
क्यों कि
तुम पुरुष हो
और
मैं 'नि:शब्द' हूं
तुम्हारे लिए तुम्हारी तारीफ़ में
हे मेरे प्रिय पुरुष!

©पूर्वार्थ #पुरुष
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सोमराज मेघपूत

वो थे,तभी हम है

©सोमराज मेघपूत
  जलपुरुष को नमन .... Anjali Maurya

जलपुरुष को नमन .... Anjali Maurya #Quotes

88 Views

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भारतीय संस्कृति में पुरुष और स्त्री को आधा-आधा अंग मान कर एक शरीर की व्याख्या की गई है  पुरुष को अर्द्धनारीश्वर तथा स्त्री को अर्द्धांगिनी कहा गया है। पुरुष/स्त्री

पुरुष/स्त्री

10 Love

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