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सम्राट अनुज "अमानुष"
इस शहर में मज़दूर जैसा दर बदर कोई नहीं, जिसने सब के घर बनाए उसका कोई घर नहीं... #अन्तर्द्वन्द्व
Nishith Sinha
"जब अन्तर्द्वन्द अन्तर्मन से कहीं दूर चला चला जाता है , खुद की परछाई भी - किसी और का नजर आता है !!" # inner conflict # अन्तर्द्वन्द #
Vibha Katare
मन का अंतर्द्वंद मौन क्यों होता नहीं.. अंदर उमड़ते इस शोर को बाहर कोई सुनता नहीं, सन्नाटा है छाया कानों में, दृष्टिपटल पर घना काला पर्दा लगाया है.. शूल सी चुभती अभिलाषाएं.. नमक सी तिस पर लगे निराशाएँ.. चिंताओं की लंबी ध्रुवीय रात प्रतीक्षारत सुखमय रवि-आलिंगन को.. #अन्तर्द्वन्द #हिंदी #yqdidi #चिंता #worries
अविनाश पाल 'शून्य'
ऐसा नहीं है कि कोई अब पास नहीं आता, थक सा गया हूँ बस,अब कुछ रास नहीं आता। #शून्य #थकान_जिंदगी_की #थका_मन #अन्तर्द्वन्द #yqhindi #योरकोट_दीदी #योरकोट_हिंदी #योरकोटऔरमैं 🤔🤔🤔
अविनाश पाल 'शून्य'
मन में थे अन्तर्द्वन्द बहुत अधरों पे मोहक मुस्कान रही, कभी चक्रधर,कभी गिरधर और कभी सखा सुदामा की आन रही। कैसे जी लेते हो किरदार विविध कैसे तुम मुस्काते हो ? हे सखे तूँ है अनुपम,अद्भुत दिल रोता है तुम हँसतें जाते हो। #शून्य #मेरा_जिगरी #तुम्हारेलिए #दोस्तीहमारी #दोस्त_हो_तुम #अन्तर्द्वन्द #अनमोल_रिश्ता #ऐसेहीहँसतेरहना ✍🏼 मेरे जिगरी दोस्त के लिये । शु
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हर्ष सक्सैना
इश्क़ किया भी तो उसने किसी गुनाह की तरह, खता की सजा पा रही है फिर किसी खता की तरह।। क्या तो कमाल कर दिया कमाल की तरह, हमें देखकर नजर फेर ली अनजान की तरह।।१।। इश्क़ किया भी तो उसने किसी गुनाह की तरह, खता की सजा पा रही है फिर
Brijendra Dubey 'Bawra,
Love Quotes in Hindi प्रीति के बन्धन पुनीत में था हमें बांधा तुम्हीं ने, अतिकोमल मेरे ह्रदय पर था नयन सर साधा तुम्हीं ने। है प्रिय अधिकार तुमको सारे बन्धन तोड़ दो तुम, यदि हाल मेरा अप्रिय है तो साथ मेरा छोड़ दो तुम... पूरा गीत अनुशीर्षक में पढ़े... #NojotoQuote 'याद रखना' प्रीति के बन्धन पुनीत में था हमें बांधा तुम्हीं ने, अतिकोमल मेरे ह्रदय पर था नयन सर साधा तुम्हीं ने। है प्रिय! अधिकार तुमको सारे
Seema Katoch
अनजान डगर मयूर सा नाच उठा है मन इक मनचाहा साथी पाकर उड़ रही हूं जैसे आसमान पर या हूं धरती पर ,कोई बताए आकर.... इंद्रधनुषी सपनों का संसार लिए दिल बेकल है इक नई आस लिए साथ चलना,उड़ना है मिल कर तय करना है मीलों के सफर.... लेकिन क्या इतना सरल है उखड़कर दूसरी जगह बस जाना?? अन्तर्द्वन्द में उलझी दिल में कई सवाल लिए चल पड़ी हूं, उस पर जो है अनजान डगर क्या मेरी दशा भी है ,उस नन्हे पौधे सी?? जिसे कहीं और रोपा जाएगा किसी और को सौंपा जाएगा मुरझा जाएगा या होगा चेतन कैसा ये असमंजस कैसा ये आकर्षण? मिलेगी जब पर्याप्त धूप तो खिलेगा रंग रूप कम भी मिलेंगे यदि खाद पानी फिर भी रचेगा ये अद्भुत कहानी... मिट रही हैं उलझनें छंट रही हैं बदलियां तैयार हूं चलने को, उस पर जो है अनजान डगर... मयूर सा नाच उठा है मन इक मनचाहा साथी पाकर उड़ रही हूं जैसे आसमान पर या हूं धरती पर ,कोई बताए आकर.... इंद्रधनुषी सपनों का संसार लिए दिल बेकल